Saturday 20 August 2016

परदे की दुनिया में बिखरते असली रिश्ते


- एकता शर्मा 

   फिल्मों की ही तरह फ़िल्मी दुनिया के लोगों की जिंदगी भी उतार-चढ़ाओ से भरी होती है! कौनसी फिल्म हिट हो और कौनसी फ्लॉप हो जाए, ये कोई दावा नहीं कर सकता! यही स्थिति फिल्मवालों की जिंदगी में भी होती है! किसकी जोड़ी कब तक बनी रहेगी, कब टूटेगी ये बात भी तय नहीं है। रिश्तों के टूटने और बिखरने का जो सीन इन दिनों आकार ले रहा है, वही इस चमचमाती जिंदगी का असली सच है। रिश्ते रूठ भी रहे हैं और टूट भी रहे हैं। दरअसल, जीवन में मिली सफलता और सफलता से आगे की चाहत ही इन रिश्तों दीवार के दरकने का सबसे बड़ा कारण है। जीवन में सफलता की चाह अच्छी बात है और मशहूर होना भी। मुश्किल यह है कि ये दोनों हमेशा साथ नहीं रहते। एक दिन दोनों को खत्म होना ही है। फ़िल्मी लोग जब नए रिश्ते बनाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं, तो रिश्तों के साथ-साथ दिल की दीवारों में भी दरारें जनम ले लेती हैं। सिनेमाई संसार की ताजा तस्वीर भी इस ही कुछ कहती है।  
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   रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ की मोहब्ब्त का रंग चढ़ने से पहले ही उतर गया! रिचा चड्ढा ने अपने फ्रेंच प्रेमी से प्यार का ऐलान किया और शादी की तैयारियां भी शुरू कीं, लेकिन सारी तैयारियां धरी की धरी रह गई। मलाइका अरोड़ा के भी पति अरबाज खान के बीच भी तनाव बना हुआ है। अंकिता लोखंडे और सुशांत सिंह राजपूत के बीच 6 साल बाद ब्रेकअप हो गया! सोहेल खान की पत्नी सीमा भी घर छोड़कर अपने माता पिता के पास पहुंच गई हैं। करिश्मा कपूर ने पति संजय कपूर से अलग होने के बाद मुकदमा कर दिया! चर्चा है कि दोनों पक्ष तलाक के लिए राजी है। फरहान अख्तर और उनकी पत्नी अधुना ने भी अपने अलग रास्ते चुन लिए हैं। जॉन अब्राहम और उनकी पत्नी प्रिया रुंचाल की शादी भी टूटने की कगार पर है। पुलकित सम्राट और पत्नी रोहिरा के बीच भी दरारें आ गई!  
  सिनेमा के संसार में सालों पुराने रिश्ते अपना अस्तित्व खो रहे हैं। तलाक के तेवर तीखे हैं और ब्रेकअप भी बहार पर है। माना कि इन दिनों पतझड़ का मौसम है। हर पेड़ के पत्ते गिरते नजर आ रहे हैं। लेकिन, असली जिंदगी के संबंधों का यूं पतझड़ सा बिखरना और दिल की दीवारों के दरकने का यह सैलाब सिरहन पैदा कर रहा है। जिधर देखो उधर, रिश्ते टूटते-बिखरते नजर आ रहे हैं। किसी का दिल दरक गया, तो किसी का रिश्ता रूठ गया। किसी ने अपना रास्ता अलग चुनने के लिए कोर्ट में अर्जी दे दी है तो फूल जैसे रिश्तों रंग अपने असली अंदाज में आने से पहले ही बिखर रहे हैं।
  जॉन अब्राहम और प्रिया रुंचाल की शादी को अभी दो साल ही हुए हैं कि मामला बिखर गया। बिपाशा बसु के साथ जॉन अब्राहम के अफेयर ने करीब एक दशक तक खूब सुर्खियां बटोरी। जॉन ने प्रिया से शादी कर ली। मगर मन तो मन है, एक से भर गया तो दूसरे पर अटका थोड़े ही रहेगा। सो, अब प्रिया और जॉन, दोनों का एक दूसरे से मन भर गया है। दोनों अलग हो गए हैं। बिपाशा बसू भी जॉन को भुलाकर करन ग्रोवर की हो गई! फरहान अख्तर और अधुना के बीच सब कुछ ठीक ठाकचल रहा था, लेकिन हाल ही में इनका भी तलाक हो गया है। करण जौहर की पार्टी में फरहान अख्तर अदिती की बांहों में बांहे डाले पहुंचे तो अधूना के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने फरहान से अलग होने का फैसला किया। फरहान अख्तर और अधुना ने अपनी 15 साल पुरानी शादी टूटने के बाद भले ही मौन धारण कर लिया हो। लेकिन रिश्ता टूटने की वजह अदिती राव हैदरी ही हैं, यह पक्का हो गया है। पुलकित सम्राट और उनकी पत्नी रोहिरा में भी अनबन हो गई और दोनों अलग हो गए। इस शादी के टूटने के लिए यामी गौतम को जवाबदार माना जा रहा है। पुलकित से ‘सनम रे‘ की शूटिंग के दौरान यामी इतनी नजदीक आ गई कि रोहिरा को दूर होना पड़ा।
   सलमान खान तो खैर, 50 पार के होकर भी अब तक 'बजरंगी भाईजान' की मुद्रा में हनुमान चालीसा ही पढ़ रहे हैं। लेकिन उनके छोटे भाई अरबाज और मलाइका की शादी कोई 18 साल पहले ही हो गई थी। लेकिन, इतने सालों के बावजूद दोनों में दूरियां बढ़ गई हैं। रिश्ता दरक रहा है। सलमान के दूसरे भाई सोहेल और उनकी पत्नी सीमा के बीच भी दूरियां आ गई हैं। खबर आई है कि हुमा कुरैशी की वजह से सीमा अपने पति सोहेल का घर और उसके बेटे को छोड़कर अपने माता पिता के पास रहने चली गई हैं। रणवीर और कैटरीना 7 साल से साथ थे। दोनों का उठना, बैठना, रहना सब कुछ साथ-साथ ही था। लेकिन ऋषि कपूर और नीतू सिंह ने कैटरीना को अपनी बहू के रूप में स्वीकार नहीं किया। मामला जो भी हो, रिश्ता टूट ही गया!  
  विराट व अनुष्का इसी साल शादी के बंधन में बंधने वाले थे। लेकिन बंधने से पहले टूटने और फिर जुड़ने की खबरें हवा में है। शादी के लिए अनुष्का अभी तैयार नहीं हैं। रिचा चड्ढा साल भर पहले अपने फ्रांसिसी दोस्त से मिली थीं। शादी करने का फैसला किया, सो उन्होंने फ्रेंच सीखना भी शुरू किया था। रिचा बीच में कई बार फ्रांस भी गई, लेकिन व्यस्तता की वजह से अपने दोस्त से नहीं मिल पाई। जिसके बाद दोनों ने फैसला किया कि जो रिश्ता आकार ही नहीं ले पा रहा है, उसे खत्म कर देना चाहिए। इस रिश्ते के टूटने के अगले ही पल रिचा की लाइफ में हुमा कुरैशी के भाई साकिब सलीम आ गए। साकिब को अक्सर रिचा के साथ देखा जा सकता है। इससे पहले आमिर खान, सैफ अली खान, रितिक रोशन ने भी अपनी जीवन साथी के साथ रिश्ते तोड़कर नए रास्ते चुन लिए थे!
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Monday 15 August 2016

आजादी की जंग का दस्तावेज बनी ये फ़िल्में

 - एकता शर्मा 

 सिनेमा परदे पर समय-समय पर देश की आजादी, उससे जुड़ी घटना या किसी महत्वपूर्ण संदेश को फिल्म का विषय बनाकर परदे पर पेश किया जाता रहा है। काले, सफ़ेद ज़माने की फिल्म 'शहीद' हो या आज की 'रंग दे बसंती!' इन फिल्मों की हर स्तर पर तारीफ भी हुई और दर्शकों की सराहना भी मिली! ये फिल्में जहाँ आज के दर्शकों को आजादी के संघर्ष के सच से परिचित कराती हैं, वहीं देशप्रेम की भावना भी जागृत करती हैं। कुछ फिल्में आजादी की जंग लड़ने वालों की जद्दोजहद को दिखाती रही हैं, तो कुछ फिल्मों में आजादी के बाद के संघर्ष को अपनी कहानी में पिरोया है। यहाँ ऐसी ही कुछ फिल्मों का जिक्र, जो देशप्रेम जगाने के मामले में अव्वल तो रही ही हैं! इन फिल्मों कप बरसों तक याद भी किया जाता रहेगा!  
   गुलामी के बादलों को छांटने के लिए कैसे संघर्ष हुए, यह 'आनंदमठ' फिल्म में पूरे जज्बे से दर्शकों के सामने आया। 'नवरंग' पूरी तरह आजादी के रंग में डूबी फिल्म नहीं थी, मगर अंग्रेजों के अत्याचार इस फिल्म में भी दिखाई दिए! उस दौर के दर्शकों ने जाना कि आजादी के मायने क्या हैं। बॉलीवुड समय-समय पर आजादी का जश्न अपने हिसाब से बनाता रहा। जैसे-जैसे साल-दर-साल बीतते गए आजादी और देशभक्ति की परिभाषा भी बॉलीवुड के परदे पर बदलती गई। पहले जो खलनायक अंग्रेज हुआ करते थे उसकी जगह पड़ोसी देशों के साथ युद्ध और फिर सीमा पार आतंकवाद ने ले ली।
कुछ ऐसी ही फिल्मों का जिक्र जो अपने कथानक और अभिनय के कारण मील का पत्थर बन गई!
* शहीद : आजादी के बाद 1948 में प्रदर्शित हुई, इस फिल्म में स्वतंत्रता संग्राम को दर्शाने की कोशिश की गई थी! इसी दौर में कुछ और फिल्में भी इसी विषय को दर्शाते हुए बनाई गईं, लेकिन 'शहीद' उन सबसे अलग थी! फिल्म के मुख्य कलाकार दिलीप कुमार और कामिनी कौशल थे। फिल्म के निर्देशक थे रमेश सहगल। फिल्म का गाना 'वतन की राह में, वतन के नौजवां शहीद हों!' आज भी हिट है।
* हकीकत : 1964 में प्रदर्शित इस फिल्म में भारत और चीन के बीच 1962 में हुई जंग को आधार बनाया गया था। देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू आज़ादी के बाद चीन को सबसे बड़ा मित्र समझ रहे थे। उस वक्त 'हिन्दी-चीनी भाई-भाई' का नारा भी मशहूर हुआ था, लेकिन 1962 में चीन ने पीछे से वार किया और भारत पर हमला कर दिया। भारत की सेना इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार नहीं थी। इस कारण भारत को हार का मुंह देखना पड़ा। फिल्म का निर्देशन चेतन आनंद का था। कलाकार थे बलराज साहनी, धर्मेंद्र, प्रिया राजवंश, संजय खान और विजय आनंद।
* गांधी : इस फिल्म को आज़ादी (15 अगस्त) और संविधान स्थापना के दिन (26 जनवरी) की परमानेंट फिल्म माना जाता है। 1982 में रिलीज़ हुई इस फिल्म को बनाया था हॉलीवुड के मशहूर निर्माता-निर्देशक रिचर्ड एटनबरो ने। फिल्म में गांधी की भूमिका निभाने वाले बल्कि ब्रिटिश एक्टर थे सर बेन किंग्सले! इसमें महात्मा गांधी के जीवन संघर्ष और स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं को पेश किया गया है। कई भारतीय और विदेशी कलाकारों से सजी इस फिल्म को पूरी दुनिया में सराहना मिली। 55वें ऑस्कर अवार्ड्स में फिल्म को 11 अलग-अलग कैटेगरी में नॉमिनेशन मिला और इनमें से आठ पुरस्कार उसकी झोली में आए। 
* बॉर्डर :  जेपी दत्ता की 1997 में रिलीज़ हुई ये फिल्म 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान राजस्थान के लौंगेवाला पोस्ट पर लड़ी गई लड़ाई पर आधारित और सच्ची घटनाओं से प्रेरित थी। दिखाया गया है कि कैसे पंजाब रेजिमेंट के 120 जवानों ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना की पूरी टैंक रेजिमेंट के खिलाफ रातभर अपनी पोस्ट को बचाए रखा था। फिल्म में सारे कलाकारों ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया और फिल्म सुपरहिट रही। फिल्म के मुख्य कलाकारों में सनी देओल, अक्षय खन्ना, जैकी श्रॉफ, सुनील शेट्टी, पूजा भट्ट, तब्बू, शर्बानी मुखर्जी आदि थे।
* लगान : आमिर खान निर्देशित फिल्म 'लगान' भी देशभक्ति की भावना से लबरेज़ फिल्म है। इसमें अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने और क्रिकेट, जो उस दौर में अंग्रेजों का पसंदीदा खेल था, में उन्हीं ही मात देने की अनोखी कहानी है। फिल्म में अंग्रेज अधिकारी गांव वालों पर भारी लगान थोपता है। जब गांव वाले लगान कम करने की विनती करते हैं तो लगान और बढ़ा दिया जाता है। तभी एक सीनियर अंग्रेज अधिकारी प्रस्ताव रखता है कि अगर गांव वाले अंग्रेजों को क्रिकेट में हरा दें तो उनका तीन साल का लगान माफ हो जाएगा। प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद गांव वाले क्रिकेट सीखने की जी-तोड़ कोशिश करते हैं और अंत में फिरंगियों को हरा भी देते हैं। 'लगान' का निर्देशन आशुतोष गोवारीकर का था और मुख्य कलाकार थे आमिर खान, ग्रेसी सिंह, रैचेल शैली और पॉल ब्लैकथॉर्न।
* लीजेंड ऑफ भगत सिंह : शहीद भगत की सिंह की जिंदगी पर बनी और 2002 में प्रदर्शित फिल्मों के जिक्र के बगैर आज़ादी से जुड़ी फिल्मों की पूरी नहीं होती! आजादी की जंग के दौरान शहीद भगत सिंह ने 24 साल की उम्र में अंग्रेजों के फांसी के फंदे को हंसते-हंसते गले लगा लिया था। उनके जीवन की कहानी हमेशा ही लोगों के लिए प्रेरणादायी रही है। राजकुमार संतोषी के निर्देशन में बनी ये फिल्म भगत सिंह की जिंदगी पर आधारित है। फिल्म में अजय देवगन ने भगत सिंह का किरदार निभाया है। फिल्म में राज बब्बर, अमृता राव और फरीदा जलाल जैसे मशहूर कलाकार भी थे। फिल्म के निर्देशक थे राजकुमार संतोषी।
* स्वदेस : शाहरुख खान अभिनीत इस फिल्म में अमेरिका में रह रहा एक कामयाब भारतीय वैज्ञानिक कैसे वापस अपनी मिट्टी से जुड़ता है, इसे बखूबी दिखाया गया है। 2004 में प्रदर्शित इस फिल्म में शाहरुख खान वैज्ञानिक की भूमिका हैं, जो 'नासा' में काम करते हैं। वह अपनी दादी को लेने भारत आता है और यहां उसकी पहचान एक बार फिर अपनी मातृभूमि से होती है। भारत आकर वह पाता है कि शहरों में हो रहे विकास से गांव वाले अब भी महरूम हैं और वह गांव वालों की हर तरह से मदद करने की कोशिश करता है। आशुतोष गोवारीकर की इस फिल्म न सिर्फ कामयाबी के झंडे गाड़े, बल्कि शाहरुख खान को एक अभिनेता के तौर पर स्थापित भी कर दिया।
* लक्ष्य : 2004 में प्रदर्शित ये फिल्म 1999 के कारगिल युद्ध पर आधारित थी। इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक युवक, जिसे पता ही नहीं है कि उसे जीवन में क्या करना है। वह सेना में भर्ती होता है और न सिर्फ युद्ध में हिस्सा लेता है, बल्कि अपनी टीम को विजय भी दिलाता है। रितिक रोशन ने लेफ्टिनेंट करण शेरगिल का किरदार बखूबी निभाया है। हालांकि फिल्म की कहानी काल्पनिक थी, लेकिन फिर भी लोगों का दिल जीतने में कामयाब रही। फिल्म के निर्देशक थे फरहान अख्तर! रितिक के अलावा प्रीति जिंटा, अमिताभ बच्चन, ओम पुरी और बोमन ईरानी थे।
* रंग दे बसंती : इसे लोगों की आंखें खोलने वाली और लोगों के विश्वास की फिल्म कहा जाए तो गलत नहीं होगा! जहां विद्रोह की भावना समय और उम्र से परे हो जाती है। 2006 में आयी इस फिल्म में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और उनके सहयोगियों की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई पर फिल्म बनाने के लिए एक फिरंगी युवा फिल्म निर्माता सू भारत आती है। लेकिन, पैसों की कमी की वजह से वह अपनी फिल्म में काम करने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिर्टी के कुछ छात्रों को चुनती है। ये युवा आज के युवाओं जैसे ही हैं। आत्मकेंद्रित और मस्ती करने वाले, जिनके लिए देशभक्ति और बदलाव लाने जैसी बातें किताबों में ही होती हैं। फिल्म बेहतरीन है और युवाओं को भी काफी पसंद आई। फिल्म में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जो इन युवकों को सिस्टम के खिलाफ लड़ने को मजबूर कर देती हैं। फिल्म के निर्देशक हैं राकेश ओमप्रकाश मेहरा और मुख्य कलाकार हैं आमिर खान, सोहा अली खान, कुणाल कपूर, आर माधवन, सिद्धार्थ नारायण, शरमन जोशी, अतुल कुलकर्णी और ब्रिटिश एक्ट्रेस एलिस पैट्टन।
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Thursday 4 August 2016

सिर्फ साथ रहने से महिला को भरण-पोषण का अधिकार नहीं

इंदौर हाईकोर्ट का फैसला


एकता शर्मा
समाज में बिना शादी किए साथ रहने (लिव इन रिलेशन) का चलन बढ़ा है। साथ ही अदालतों में ऐसे मामलों की संख्या भी तेजी से बढ़ी, जिनमें महिलाओं ने लिव इन में रहते हुए साथ रिश्ते बनाए और बाद में विवाद होने पर उनसे भरण पोषण माँगा। इस तरह के मामलों में कई पेचीदगियां होने से फैसले भी बदले हैं। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश कैलाश गंभीर ने 2010 में लिव-इन में रहते हुए महिला को पुरुष साथी द्वारा शादी करने से इंकार करने के बाद बलात्कार का मामला दर्ज कराने की इजाजत देने से भी इंकार कर दिया। पिछले हफ्ते इंदौर हाई कोर्ट ने बगैर शादी साथ रह रही महिला को भरण-पोषण का अधिकार देने से भी इंकार कर किया है। कोर्ट ने कहा कि बगैर शादी साथ रह रही महिला को भरण-पोषण पाने का अधिकार नहीं है।
  हाई कोर्ट की इंदौर बैंच ने यह फैसला निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए दायर याचिका पर दी। हाई कोर्ट ने माना कि धारा 125 के तहत भरण-पोषण पाने के लिए महिला का विधिवत पत्नी होना जरूरी है। ज्योति नामक महिला ने 2012 में त्रिलोक के खिलाफ कुटुंब न्यायालय में भरण-पोषण का केस दायर किया था। महिला ने कहा कि उसने त्रिलोक के साथ एक मंदिर में शादी की थी। चार साल वह उसके साथ रही, इसलिए उसे भरण-पोषण पाने का अधिकार है। त्रिलोक ने कोर्ट में यह तो स्वीकारा कि वह चार साल महिला के साथ रहा, लेकिन उसने शादी की बात से इंकार कर दिया।
  कहना था कि वह अपंग है और उसने महिला को केयर-टेकर के रूप में साथ रखा था। महिला पहले से शादीशुदा है। कुटुंब न्यायालय ने मामले का निपटारा करते हुए त्रिलोक को हर माह तीन हजार रुपए भरण-पोषण के रूप में देने के आदेश दिए थे। इस पर उसने इस आदेश को चुनौती देते हुए एडवोकेट के माध्यम से हाई कोर्ट में अपील की। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए अपील स्वीकार ली। कोर्ट ने फैसले में माना कि सिर्फ साथ रहने से महिला को भरण-पोषण का अधिकार नहीं मिल जाता।
 सुप्रीम कोर्ट के तय मापदंड
सुप्रीम कोर्ट ने पहले लिव इन रिलेशनशिप को स्वीकार्यता दी और अब इसके लिए कुछ मानक भी तय किए थे। इसका मकसद महिला अधिकारों को सुनिश्चित करना था। अदालत ने लिव इन रिलेशन में भरण पोषण पाने का हकदार बनने के लिए कुछ मापदंड तय किए थे। तत्कालीन न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू और न्यायाधीश टीएस ठाकुर की खंडपीठ ने कहा था कि लिव इन रिलेशनशिप में रह रही महिला को भरण पोषण पाने के लिए कुछ मानकों को पूरा करना होगा। अदालत ने कहा कि महज वीकेंड या एक रात का साथ गुजारा भत्ता पाने का हकदार नहीं बनाता।
  अदालत ने स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता पाने के लिए घरेलू रिश्ता जरूरी है। इसलिए किसी महिला को बिना शादी किए अपने साथी से गुजारा भत्ता पाने के लिए इन मानकों को पूरा करना होगा! इनके तहत दोनों को अपने पार्टनर के साथ समाज की नजरों में पति पत्नी की तरह ही रहना होगा! कानून के तहत दोनों की उम्र शादी करने लायक होना जरूरी है। दोनों का आपसी रजामंदी और अपनी मर्जी से एक साथ रहना जरूरी है, किसी प्रलोभन या कोई अन्य कारण लिव इन रिलेशनशिप नहीं माना जाएगा। इसके अलावा दोनों का एक निश्चित समय तक एकसाथ रहना जरूरी है।
  इन मानकों को पूरा करने पर ही कोई महिला अपने पार्टनर से गुजारा भत्ता पाने की हकदार होगी। अदालत के इस फैसले से अल्ट्रामॉर्डन पुरुष और महिलाओं, दोनों को एक दूसरे के अनावश्यक शोषण से बचाया जा सकेगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ा एक अहम फैसला दिया था। इसमें तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की खंडपीठ ने शादी के पहले शारीरिक संबंध और बिना शादी के लड़का-लड़की को एक साथ रहने पर पाबंदी लगाने की मांग को खारिज कर दिया था।
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Tuesday 2 August 2016

विवादस्पद चरित्रों पर ‘बायोपिक’ कौन देखेगा?


- एकता शर्मा 

   फ़िल्मी दुनिया का ट्रेंड है कि यहाँ किसी सब्जेक्ट पर कोई फिल्म हिट हो जाती है तो सारे फिल्मकार उसके पीछे लग जाते हैं! ये पागलपन इतना ज्यादा है कि उस मुद्दे से जुड़े नकारात्मक पक्ष तक को नजरअंदाज कर दिया जाता है। इस ट्रेंड का ताजा शिकार है बायोपिक बनाने का दौर! जिसे देखो इसी सब्जेक्ट के पीछे लगा है। डाकू पानसिंह पर फिल्म ‘पानसिंह तोमर’ हिट होने के बाद तो जैसे बायोपिक का बाँध ही टूट पड़ा! नीरजा भनोट की बायोपिक ‘नीरजा’, धावक मिल्खा सिंह की ‘भाग मिल्खा भाग’ और महिला बॉक्सर ‘मेरी कॉम’ पर फिल्में बनने के बाद कंट्रोवर्शियल क्रिकेटर अजहरुद्दीन की बायोपिक पर ‘अज़हर’ बन गई! बाकी फ़िल्में तो अच्छी चली, पर ‘अजहर’ ने पानी भी नहीं माँगा! अब मीना कुमारी, संजय दत्त और सनी लियोन की जिंदगी पर भी फिल्म बन रही है! इससे भी ज्यादा आश्चर्य इस बात का कि दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के व्यक्तित्व को भी बायोपिक का विषय बनाया गया है। इस विवादस्पद चरित्र पर ‘हसीना’ नाम से फिल्म बन रही है जिसमें सोनाक्षी सिन्हा हसीना का किरदार निभाएंगी। इंडियन मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति स्व. अब्दुल कलाम के जीवन पर भी फिल्म बनने जा रही है।
    बायोपिक फिल्में रियल लाइफ की उन्हीं शख्सियतों पर बनाई जाती हैं, जिनका जीवन रोचक और प्रेरक हो और जो विवादों में न रहे हों! क्योंकि, विवादित शख्सियतों के बायोपिक पर होने वाले विवादों को दरकिनार नहीं किया जा सकता! ऐसी ही कुछ विवादित शख्सियतों की बायोपिक आने वाले दिनों में दर्शकों के सामने होंगी! अजहरुद्दीन पर बनी ‘अजहर’ तो परदे पर आकर उतार भी गई! अब संजय दत्त और हसीना पारकर की बायोपिक भी विवादों से घिरी है। संजय दत्त से जुड़े तमाम विवादों को दर्शक रणबीर कपूर अभिनीत बायोपिक ‘संजय दत्त’ में देखेंगे। वहीं विवादों में रही दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के व्यक्तित्व पर भी विवाद होगा ही! क्योंकि, ये फिल्में विवादित शख्सियतों की बायोपिक हैं।
   आतंकवादियों से जूझकर पेन-एम विमान में यात्रियों की रक्षा करने वाली एयर होस्टेस नीरजा भनोट पर बनी बायोपिक ‘नीरजा’ ने भी सोच से भी अधिक 80 करोड़ का व्यवसाय किया! लेकिन, विमान में नीरजा भनोट की साथी क्रू-मेंबर रही नूपुर अबरोल ने ‘नीरजा’ को रियल से अधिक फिक्शनल बताया। नूपुर के इस वक्तव्य ने सफल और सराही जा रही ‘नीरजा’ को विवादों से जोड़ दिया। निर्देशक तिग्मांशु धूलिया ने मीना कुमारी पर बायोपिक बनाने की घोषणा की है। लेकिन, घोषणा के साथ ही उनके सामने चुनौती खड़ी हो गई। मीना कुमारी के सौतेले बेटे ताजदार अमरोही ने तिग्मांशू का आरोप है कि उनके परिवार से फिल्म बनाने की मंजूरी नहीं ली गई! हालांकि, तिग्मांशू ने इस आरोप का जवाब देते हुए कहा कि हमने विनोद मेहता की किताब के अधिकार खरीदे हैं। ये किताब 20-25 साल से सार्वजनिक दायरे में है। अगर हम फिल्म इसी किताब से बना रहे हैं, तो कोई आपत्ति नहीं ले सकता! फिर भी हम अमरोही से संपर्क करेंगे। हम फिल्म उनके आशीर्वाद के बगैर नहीं बनाएंगे। तिग्मांशू ने ही ‘पान सिंह तोमर’ की बायोपिक का निर्देशन किया था। इसके लिए इरफान खान सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी हो चुके हैं।  
   पाकिस्तान की जेल में बंदी रहे भारतीय नागरिक सरबजीत की बहन दलबीर कौर की बायोपिक ‘सरबजीत’ पर भी विवादों का साया मंडराता रहा। लुधियाना की एक अन्य महिला बलजिंदर कौर ने सरबजीत की असली बहन होने का दावा किया है। उन्होंने दलबीर कौर की भूमिका निभा रही ऐश्वर्या राय बच्चन और निर्देशक उमंग कुमार को लीगल नोटिस भी भेजा और फिल्म पर रोक लगाने की बात कही थी। इस पर सरबजीत के गांव भिखीविंड के लोग फिल्म तथा दलबीर कौर के हक में उतर गए थे।   खबर है कि विद्या बालन सिल्वर स्क्रीन पर एक ऐसी लेखिका के जीवन को जीने जा रही हैं जो विवादों में रही हैं। यह हैं अंग्रेजी की प्रसिद्ध लेखिका कमला सुरैया। सुरैया ने अपने बेबाक लेखन से पारंपरिक विचारों को हैरान कर दिया था। 2009 में उनका निधन हो गया, उससे कुछ साल पहले उन्होंने इस्लाम कबूल करने के बाद नाम बदलकर कमला सुरैया कर लिया था। इस बायोपिक को लेकर विद्या बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि वे भविष्य में इस फिल्म से जुड़ने वाले विवादों के लिए खुद को तैयार कर चुकी हैं। विद्या इससे पहले सिल्क स्मिता के विवादित जीवन को ‘डर्टी पिक्चर’ में अपने अभिनय से साकार कर चुकी हैं।
    कुछ महीनों पहले खबर आई थी कि रवीना टंडन बेनजीर भुट्टो पर केंद्रित बायोपिक में अभिनय करेंगी, मगर अब यह प्रोजेक्ट टलता नजर आ रहा है जिसकी वजह इसका विवादित होना बताया जा रहा है। फिल्म की कास्टिंग जारी है। मगर विषय विवादित है। मेकर्स इसे तैयार करने में समय ले रहे हैं। वो नहीं चाहते हैं कि किसी तरह की दिक्कत खड़ी हो। ऐसे में उनकी कोशिश है कि प्लॉट में बदलाव कर कुछ नाम बदल दें। सबकुछ तैयार हो जाने के बाद ही फिल्म शुरू होगी। एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी पर आधारित फिल्म ‘एपीजे’ बनाने की भी तैयारी हो गई है। इस बायोपिक फिल्म में पूर्व राष्ट्रपति के उपलब्धियों और संघर्ष के दिनों को दिखाया जायेगा।   क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की बायोपिक भी साल की बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक है। जेम्स एर्सकिन के निर्देशन में बनी फिल्म ‘सचिन : ए बिलियन ड्रीम्स’ तेंदुलकर की जिंदगी पर आधारित है। इस फिल्म में सचिन की जिंदगी से जुड़े कुछ ऐसे पहलू भी दिखाएं जाएंगे, जो पहले न कभी लोगों ने देखे और न कभी सुने होंगे। बॉलीवुड में इन दिनों सनी लियोनी का नाम फिर सुर्खियों में हैं। अभिषेक शर्मा इस एक्‍ट्रेस पर बायोपिक बनाने जा रहे हैं। फिल्‍म में मुख्‍य भूमिका में खुद सनी लियोनी ही होंगी। बॉलीवुड में आने से पहले पोर्न फिल्‍मों में काम कर चुकी सनी लियोनी कनाडा में जन्‍मी भारतवंशी हैं।
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