Monday, 28 January 2019

सिनेमा के परदे पर समलैंगिक किरदार

- एकता शर्मा

   सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक रिश्तों पर अपना फैसला सुना दिया। अब आपसी सहमति से समलैंगिक संबध बनाना अपराध नहीं माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने दो वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा-377 को ही खत्म कर दिया। इस मसले पर लंबे समय से बहस चल रही थी। जबकि, कुछ फिल्मों में भी इस तरह के किरदारों को लम्बे समय से द‍िखाया जाता रहा है। समलैंगिक शब्द सुनते ही सभी के मन में ख्याल आता है कि लोग हमारे बारे में क्या सोचेंगे! लेकिन, बॉलीवुड में ऐसे कई अभिनेता हैं, जो समाज की इस सच्चाई से आपको रुबरु कराने के लिए फिल्मों में गे (समलैंगिक) की भूमिका निभा चुके हैं। किसी ने गंभीर किरदार बनकर तो किसी ने कॉमेडी के अंदाज में ये भूमिका निभाई! एक नजर डालते हैं, ऐसे कलाकारों पर जो फिल्मों में समलैंगिक बन चुके हैं।
     चिराग मल्होत्रा और प्रणय पचौरी की फिल्म 'टाइम आउट', भी एक गे-कैरेक्टर के आसपास घूमती फिल्म है। हंसल मेहता की फिल्म 'अलीगढ़' में मनोज बाजपेई भी समलैंगिक प्रोफेसर का किरदार निभा चुके हैं। जबकि, 'दोस्ताना' दो ऐसे किरदार की कहानी थी, जो असलियत में तो समलैंगिक नहीं होते! लेकिन, किराए का घर ढूंढने के लिए मजबूरी में उन्हें ये किरदार निभाना पड़ता है। जॉन अब्राहम और अभिषेक बच्चन इसी रोल में नज़र आए थे। 1996 में आई दीपा मेहता की फिल्म 'फायर' होमोसेक्सुअलिटी और फ्रीडम ऑफ स्पीच जैसे मुद्दे पर बनी थी। फिल्म में शबाना आज़मी और नंदिता दास होमोसेक्सुअल किरदार में नज़र आई थीं। 
  करण जौहर की फिल्म 'स्टूडेंट ऑफ द इयर' में अभिनेता ऋषि कपूर ने कॉलेज के प्रिंसिपल का किरदार निभाया था, लेकिन इस किरदार के हाव-भाव गे-किरदार जैसे थे। हाल ही में आई फिल्म 'पद्मावत' साल की सबसे बड़ी विवादित फ़िल्मों में से एक रही! इस फिल्म में जिम सौरभ का किरदार होमोसेक्सुअल जैसा था। शॉर्ट फिल्म 'तेरे जैसा यार कहां' में बॉलीवुड के डायरेक्टर सतीश कौशिक ने एक क्यूट रोल निभाया है। वे इस फिल्म में कैंसर पेशेंट के रोल में हैं। वहीं इस फिल्म में उनका किरदार होमोसेक्सुअल जैसे मुद्दे से जुड़ा हुआ है।   अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्मों में अलग ही इमेज रही है! लेकिन, 'ढिशूम' में अक्षय ने समलैंगिक का किरदार निभाया। अक्षय का कहना है कि उन्हें गर्व है कि उन्होंने ये किरदार निभाया! शायद अपनी जेनरेशन का मैं पहला कलाकार हूं, जिसने ऑनस्क्रीन समलैंगिक बनने की चुनौती स्वीकार की! बॉलीवुड के चार डायरेक्टरों ने ने एक फिल्म बनाई थी। इसमें करन जौहर की शार्ट फिल्म में रणदीप हुड्डा और साकिब सलीम ने समलैंगिक का रोल किया था। फिल्म में इन दोनों के बीच एक किसिंग सीन था, जो काफी चर्चा में रहा! अनुपम खेर ने सलमान खान की फिल्म 'दुल्हन हम ले जाएंगे' में करिश्मा कपूर के मामा के रोल निभाया था, जो कि एक समलैंगिक रोल था। फिल्म 'माई ब्रदर निखिल' भी इसी विषय की फिल्म थी। इसमें संजय सूरी और पूरब कोहली ने समलैंगिक का किरदार किया था। 
  निर्देशक फ़राज़ आरिफ़ अंसारी की शॉर्ट फ़िल्म 'सिसक' को कई फ़िल्म महोत्सवों में दिखाया गया! 'सिसक' समलैंगिकों पर बनी भारत की पहली साइलेंट फ़िल्म है। इसे 'विकेड क्वीर' (समलैंकिगों पर बोस्टन के सालाना फ़िल्म महोत्सव) में विजेता घोषित किया गया था। यहीं इस फ़िल्म का वर्ल्ड प्रीमियर भी हुआ था। निर्देशक फ़राज़ ने कहा था कि बोस्टन के इतिहास में ये पहला मौका है, जब कोई भारतीय फ़िल्म विजेता बनी! 
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अमिताभ के जादू में 'केबीसी' का तड़का!


- एकता शर्मा
  अमिताभ बच्चन 'कौन बनेगा करोड़पति' का 10वां सीजन लेकर फिर टीवी पर आ रहे हैं। बीते 18 सालों से अमिताभ टीवी के इस रियलिटी शो को को होस्ट करते आ रहे हैं। 'कौन बनेगा करोड़पति' यानी 'केबीसी' एक ऐसा रियलिटी गेम शो है, जिसमें प्रतियोगी सवालों के सही जवाब देकर अधिकतम निर्धारित राशि तक जीत सकता है। इसका पहला प्रसारण सन् 2000 में हुआ था। यह शो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहे गए शो ‘हू वांट्स टू बी अ मिलियनेयर’ से प्रेरित है। अमिताभ बच्चन 2000 से ही इस शो के साथ जुड़े हैं। सीजन छोड़कर अमिताभ बच्चन केबीसी के सभी सीजन होस्ट कर चुके हैं। अमिताभ बच्चन ने छोटे परदे पर इसी शो के माध्यम से पदार्पण किया था। अमिताभ के अलावा एक बार के अलावा एक बार शाहरुख खान भी इस शो को होस्ट कर चुके हैं! लेकिन, जो जादू अमिताभ बच्चन में है, वो शाहरुख़ नहीं ला सके और अगले शो में फिर अमिताभ को ही सूत्रधार की कुर्सी संभालना पड़ी! 
    इसके बावजूद इस शो का होस्ट बनने की इच्छा जाहिर करने वाले कलाकारों की कमी नहीं है। अमिताभ बच्चन के फ्लॉप एक्टर बेटे अभिषेक बच्चन भी एक बार होस्ट की कुर्सी के प्रति अपना मोह दर्शा चुके हैं। पिछले दिनों तो 'दस का दम' जैसे फ्लॉप शो के होस्ट सलमान खान भी 'कौन बनेगा करोड़पति' को होस्ट करने की इच्छा जता चुके हैं। फैंस को शो का इंतजार काफी दिनों से था. इस बार के शो में क्या बदलाव होगें ये देखना दिलचस्प होगा। शो के क्विज़ मास्टर सिद्दार्थ बसु का कहना है कि इस बार हम दर्शकों के लिए बहुत सारा मनोरंजन लाए हैं। इस बार के सवाल पहले से ज्यादा मुश्किल हो सकते हैं। 'कौन बनेगा करोड़पति' ऐसा गेम शो है जो पहले सीजन से ही दर्शकों का पसंदीदा कार्यक्रम बन गया था। 
  समझा  है कि इस बार का शो कुछ ज्यादा ही इंट्रेस्टिंग होगा। देखना होगा कि इस बार के मुकाबले में कौनसा प्रतियोगी सबसे ज्यादा रकम लेकर अपने घर जाता है। इस बार शो को काफी बदला भी गया है और इसमें कुछ नयापन लाने की कोशिश की गई है। बताते हैं कि इस बार शो में हाईलेवल ग्राफिक्स का इस्तेमाल किया गया है। इस बार शो में 31 मिलियन से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। शो में दर्शकों के लिए एक ऐसे विज्युअल डिलाईट होने का वादा किया गया है, जो कि ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) के इस्तेमाल के साथ आ रहा है। ये दर्शकों को नया अनुभव देगा। फिफ्टी-फिफ्टी, ऑडियंस पोल और जोडीदार लाइफलाइन को बरकरार रखा गया है। 
  इस साल 'आस्क द एक्सपर्ट' लाइफलाइन भी प्रतियोगियों मिलेगी। इसमें एक सही उत्तर के साथ एक विशेषज्ञ वीडियो कॉल पर प्रतियोगी की मदद करने के लिए मौजूद होगा। शो में पहली बार, खेल-राजनीति से लेकर विभिन्न विषयों पर ऑडियो-विज़ुअल प्रश्न फोरमैट में शामिल किए गए हैं। 'केबीसी' के 10वें सीजन में समाजसेवी प्रकाश आमटे और उनकी पत्नी मंदाकिनी भी दिखाई देंगे, वे 'कर्मवीर' नाम के एक स्पेशल एपिसोड का हिस्सा होंगे। अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर भी में लिखा कई कि दो असाधारण लोगों के साथ समय बिताना प्रेरणादायी और भावनात्मक रहा! लंबे समय बाद ऐसा हुआ। बाबा आमटे के बेटे प्रकाश आमटे आदिवासियों के बीच रहकर काम कर रहे हैं। 
     इस शो की बड़ी सफलता में सिद्धार्थ बसु के योगदान को भुला पाना भी संभव नहीं है। शो को इतने लम्बे समय तक रोचक बनाए रखने में अमिताभ बच्चन के अलावा उन बदलाव  योगदान है, जो किए जाते रहे हैं। इसे निर्देशन का ही प्रभाव कहा जाएगा कि 'केबीसी' की सफलता से प्रेरित होकर दस का दम, छप्पर फाड़ के, सच का सामना जैसे कई क्विज़ शो आए पर 'कौन बनेगा करोड़पति' के आस-पास भी ये न पहुँचे। दिलचस्प बात यह है कि निर्देशक सिद्धार्थ बसु एक्टिंग भी करते हैं। उनका जलवा दर्शक ‘मद्रास कैफ़े’ और ‘बॉम्बे वेलवेट’ जैसी फिल्मों में देख चुके हैं। बसु ने नाटकों में भी काम किया है। बसु ने अपने जीवन के शुरूआती दिनों में काफी संघर्ष देखा, जिसमें नाटकों में कार्य करने के अतिरिक्त, डॉक्यूमेंट्री बनाना और होटल तक में काम करना शामिल रहा है। 'कौन बनेगा करोड़पति' सिद्धार्थ बसु का ही वह विजन है, जिसने टेलीविजन की दुनिया में एक नया इतिहास रचने में सफलता पाई है। केबीसी का 10वां सीजन तो अमिताभ बच्चन ही होस्ट कर रहे हैं! लेकिन, केबीसी के आगे आने वाले सीजन अमिताभ होस्ट करते हैं या फिर सलमान खान, ये देखना दिलचस्प होगा!
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मनोज कुमार जैसे किरदारों में अब अक्षय!

- एकता शर्मा

  रसों तक सिनेमा के परदे पर मनोज कुमार की पहचान देशभक्त हीरो के रूप में बनी रही! यहाँ तक कि एक किरदार के कारण उनका नाम ही भारत कुमार पड़ गया था। जब भी किसी देशभक्ति वाली फिल्म का नाम दिमाग में आता है, तो जहन में सबसे पहले मनोज कुमार का ही चेहरा उभरता है। मनोज कुमार ने पूरब और पश्चिम, उपकार, रोटी, कपडा और मकान और 'क्रांति' जैसी कई देशभक्ति भरी फ़िल्में दी। उनके अभिनय से हटने के बाद बरसों तक उनकी ये कुर्सी खाली रही! लेकिन, जिस तरह अक्षय कुमार की सामाजिक सरोकार और देशभक्ति वाली फ़िल्में आ रही है, उन्हें अगला मनोज कुमार समझा जा सकता है। 
   बॉलीवुड के 'खिलाडी़' अक्षय कुमार ने देशहित की कहानियों वाली कई फिल्में की हैं। इन्हीं में से एक 'अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों' है। ये अक्षय की पहली फिल्म थी, जिसमें वे सैनिक के किरदार में थे। अनिल शर्मा के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। 'हॉलीडे : ए सोल्जर इज नेवर ऑफ ड्यूटी' भी ऐसी ही फिल्म थी, जिसका निर्देशन एआर मुरूगादास ने किया था। फिल्म में अक्षय कुमार ने एक जिम्मेदार सैनिक अधिकारी का रोल किया था। फिल्म में अक्षय सेना से छुट्टी पर घर लौटते हैं, फिर भी एक मिशन को पूरा करने की धुन में लगे रहते हैं। 
    नीरज पांडेय के निर्देशन में बनी 'बेबी' में अक्षय कुमार भारतीय खुफिया एजेंसी 'रॉ' के एजेंट की भूमिका में नजर आए हैं। इसमें अक्षय एक छोटी से टीम लेकर आतंकवाद के खिलाफ निकलते हैं। टीनू सुरेश देसाई के निर्देशन में बनी 'रुस्तम' में अक्षय कुमार एक ईमानदार नेवी ऑफिसर के रोल में थे। वे अपने ही विभाग में चल रहे एक बड़े घोटाले को उजागर करते हैं। लेकिन, इसके लिए उन्हें अपनी पत्नी की इज्जत को दांव पर लगाना पड़ता है। 
  ऐसी ही एक देशभक्ति वाली फिल्म थी 'एयरलिफ्ट' जिसमें अक्षय देशभक्ति तो दिखाते हैं, पर दुबई में रहने वाले एक बिजनेसमैन बनकर। ये फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है। इसमें कुवैत के गृहयुद्ध में फंसे भारतीय अप्रवासियों को वहां से बाहर निकालते हैं। अक्षय की 'गब्बर इज बैक' भी देशभक्ति वाली फिल्म थी। अक्षय इस फिल्म में लोगों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाने और सरकारी खामियों को उजागर करते हैं। वे भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता की मदद भी करते हैं। 
  'टॉयलेट : एक प्रेमकथा' भी अक्षय की सामाजिक सरोकार वाली फिल्म है। इसके अलावा 'पैडमेन' में उन्होंने ऐसे व्यक्ति का किरदार निभाया है, जो महिलाओं की सेनेटरी पेड की समस्या को आधार बनाकर बदलाव की बात करता है। अक्षय कुमार की हल ही में रिलीज हुई फिल्म 'गोल्ड' आजाद भारत को पहला ओलंपिक गोल्ड मैडल जिताने का सपना देखने वाले हॉकी खिलाड़ी की कहानी है। इस फिल्म में उस समय के नेशनल हॉकी कोच तपन दास की जिंदगी से प्रेरित किरदार निभाते नजर आते हैं। ज्यादा याद किया जाए तो सैनिक, खट्टा-मीठा, जॉली एलएलबी को भी इसी लिस्ट में रखा जा सकता है।  
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20 साल बाद फिर थिरकी रेखा!


- एकता शर्मा 

   फ़िल्मी दुनिया में रेखा ऐसी अभिनेत्री रही हैं, जिनका जलवा आज भी बरक़रार है! पिछले दिनों थाईलैंड में हुए आइफा अवॉर्ड में रेखा ने भले ही खत्म हो गया हो, पर 20 साल बाद स्टेज पर उतरी रेखा ने जिस तरह डांस किया, वो उनके चाहने वालों के दिल में उतर गया! जिसने भी वो कार्यक्रम टीवी पर देखा, वो अचंभित था कि क्या 63 साल की रेखा में आज भी इतना ग्लैमर बरक़रार है? लोग रेखा की स्टेज परफॉर्मेंस को भूल नहीं पा रहे हैं। जिस उम्र में अभिनेत्रियां रिटायर हो जाती हैं, उस उम्र में रेखा ने स्टेज पर जलवे बिखेरकर देखने वालों के दिलों में हलचल मचा दी। आईफा अवॉर्ड समारोह में रेखा हल्के गुलाबी रंग के अनारकली सूट में अपने अंदाज में कई गानों पर नाचीं। वे 20 मिनट तक स्टेज पर थिरकीं। 
   फिल्मों से जुड़े हर अवॉर्ड समारोह में कांजीवरम साड़ी में सजी धजी दिखाई देने वाली रेखा का नाम ही रेखा है, वरना उनकी जिंदगी बहुत ज्यादा टेढ़ी-मेढ़ी रही। रेखा ने अपनी जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। बचपन है ही एक ज्योतिष ने भविष्यवाणी कर दी थी कि उनके ग्रहों का मेल ऐसा है कि उन्हें कभी पति सुख कभी नहीं मिलेगा। यही कारण है कि रेखा की जिंदगी में कई पुरुष आएं, लेकिन ये साथ लम्बे समय नहीं चला। रेखा ने ज्यादातर संबंधों को स्वीकारा नहीं, लेकिन गॉसिप कॉलम में वे हमेशा सुर्खियां बनी रहीं। उन्हें सच्चा प्यार नहीं मिला, जिसकी उन्हें तलाश थी। रेखा ने विवाह भी किया, लेकिन उसका अंत त्रासद रहा। 
  रेखा आज भी खूबसूरत दिखती हैं। बल्कि, ढलती उम्र के साथ वे ज्यादा निखरती जा रही है। रेखा का जीने का बेफिक्र अंदाज और जिंदादिली अब भी बरकरार है। उनके निजी जीवन को लेकर बुहत कुछ कहा जाता रहा है। लेकिन, रेखा ने इन सबकी कोई परवाह नहीं की। रेखा के पति की मौत हो चुकी है, फिर भी उनकी मांग में सिंदूर दिखाई देता है। इस पर न जाने कितनी अटकलें लगाई जाती रहीं, लेकिन रेखा ने इन सबकी परवाह नहीं की! फ़िल्मी दुनिया की अब तक का सबसे बड़ी गॉसिप है अभिनेता अमिताभ बच्चन और रेखा का रिश्ता! अफवाहें तो यहां तक रहीं कि जिस दिन ऋषि कपूर और नीतू सिंह की शादी थी, उसी दिन रेखा और अमिताभ बच्चन ने भी शादी कर ली थी। ऋषि कपूर और नीतू सिंह की रिसेप्शन पार्टी में भी रेखा सिंदूर और मंगलसूत्र पहनकर पहुंचीं थीं। ये भी खबरें थी कि रेखा ने विनोद मेहरा से 1973 में शादी की थी। लेकिन, उन्होंने विनोद मेहरा को महज शुभचिंतक बताया और किसी भी अन्य संबंधों से इनकार किया। रेखा की घोषित शादी मुकेश अग्रवाल से 1990 में हुई थी। लेकिन, यह शादी ज्यादा नहीं चली और साल 1991 में अग्रवाल ने आत्महत्या कर ली थी।
   तमिलनाडु में जन्मी रेखा का पूरा नाम भानुरेखा गणेशन है। कहा जाता है रेखा ने जब फिल्मी जीवन की शुरुआत की थी तब वो काफी मोटी थी। उस समय किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि सांवली और मोटी सी लड़की आगे जाकर बॉलीवुड की अभिनेत्री बनेगी। रेखा ने सिर्फ व्यावसायिक फिल्में की, बल्कि कलात्मक फिल्मों से भी उन्होंने अपने अभिनय की छाप छोड़ी! रेखा 1966 में फिल्मों में आ गईं थी। उनकी पहली फिल्म तेलुगु में 'रंगुला रत्नम' थी, जिसमें उन्होंने एक बाल कलाकार की भूमिका निभाई थी। लेकिन, हिंदी सिनेमा में उनकी शुरुआत 1970 में आई फिल्म 'सावन भादों' से हुई। रेखा ने बॉलीवुड में एक लंबा समय गुजारा! इतने समय में बॉलीवुड अभिनेत्रियों की दो- तीन पीढियों की न जाने कितनी हीरोइनें आईं चर्चित हुईं और फिर भुला दी गईं। लेकिन, रेखा बिना थके लबें समय तक बॉलीवुड में सक्रिय रही हैं। अब उन्होंने आईफा के स्टेज पर जलवा बिखेरकर एक बार अपने चाहने वालों के दिल की धड़कने बढ़ा दी। 
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देश को सलाम करती ये फिल्में!


- एकता शर्मा 

  बॉलीवुड में देश की आजादी पर कई फिल्में बनी है। जिसे काफी पसंद किया गया! आजादी के संघर्ष की इन फिल्मों में कई ऐसी फिल्में हैं, जो हमारे अंदर देशभक्ति का जज्बा जगाती हैं। कहते हैं देशभक्ति का नशा जिसके सर चढ़ जाए सारी दुनिया उसके कदमों में होती है। बॉलीवुड की देशभक्ति से भरी फ़िल्में इस नशे को और भी बढ़ा देती हैं। देशभक्ति पर बनी ये फ़िल्में जब भी परदे पर आई, दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए! कहा जाता है कि 1962 में आई फिल्म ‘हकीक़त’ में जब दर्शकों ने परदे पर भारतीय सैनिकों को युद्ध करते देखते तो खड़े होकर सैल्यूट करने लगते थे। जब सिनेमाघरों में देशभक्ति उतरती है तो दर्शकों के अन्दर भी देशभक्ति का जज्बा लहरें मारने लगता है।
  बॉलीवुड में 1952 में बनी एक ऐसी ही फिल्म बनी थी 'आनंदमठ' जिसमें राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' को भी पहली बार दिखाया गया। यह फिल्म बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास 'आनंदमठ' पर ही आधारित थी। फिल्म में भारत भूषण, गीता बाली, पृथ्वीराज कपूर, प्रदीप कुमार थे। फिल्म में देश के शूरवीरों के बलिदान को दिखाया गया है। फिल्म में 18वीं शताब्दी में अंग्रेजी हुकूमत से लड़े गए क्रांतिकारियों की कहानी थी। इसमें वंदे मातरम भी गाया गया था।  
  1965 में बनी 'शहीद' में मनोज कुमार थे। फिल्म की कहानी 1916 से शुरू होती है, जब भगतसिंह के चाचा अजितसिंह को ब्रिटिश शासन के खिलाफ बगावत करने के जुर्म में पुलिस गिरफ्तार करके ले जाती है। बड़े होकर भगतसिंह भी अपने चाचा के नक्शे कदमों पर चलने लगते हैं और साइमन कमीशन के खिलाफ हो रहे आंदोलन में शामिल हो जाते हैं। मनोज कुमार ने भगतसिंह के किरदार को परदे पर उतारा था। इस फिल्म की कहानी भगत के साथी बटुकेशवर दत्त ने लिखी थी। और यह संयोग ही था कि जिस वर्ष में फिल्म रिलीज होने वाली थी उसी वर्ष बटुकेशवर की मौत हो गई। 1962 में आई 'हकीकत' ऐसे सैनिकों की टुकड़ी के बारें में थी, जो लद्दाख में भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़ी जंग का हिस्सा है। 
   1997 में रिलीज हुई जेपी दत्ता की फिल्म 'बॉर्डर' भारत और पाकिस्तान के बीच लोंगोवाल में हुई जंग पर आधारित थी। इस फिल्म की खासियत ये थी कि इसमें जंग को सच्चाई के साथ दिखाया गया था। इसके अलावा फिल्म में जवानों की निजी जिंदगी की भी कहानियां थी। कोई जवान सरहद पर अपने परिवार को किस हालत में छोड़कर पर आता है! किसी का परिवार उसका इंतजार करता रहता है, कभी छुट्टी मिलने के बावजूद जवान  घर नहीं जा पाते! 'बॉर्डर' को देशभक्ति पर बनी एक बेहतरीन फिल्म माना जाता है। बैन किंग्सले की 'गांधी' देशभक्ति वाली फिल्म तो नहीं थी, पर इस फिल्म ने महात्मा गांधी के जीवन की सच्चाई को दर्शकों के सामने जरूर लाया था। इसमें गांधीजी से जुड़े हर पहलू को पर्दे पर दर्शाने की कोशिश की गई थी। फिल्म ने 8 ऑस्कर अवॉर्ड्स जीते थे।
  फरहान अख्तर की 2004 में आई फिल्म 'लक्ष्य' 1999 के कारगिल युद्ध के संघर्ष की ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित काल्पनिक कहानी थी। रितिक लेफ्टिनेंट करण शेरगिल की भूमिका में थे। वे अपनी टीम का नेतृत्व करके आतंकवादियों पर विजय पाते हैं। 'मंगल पांडे : द राइजिंग' क्रांतिकारी मंगल पांडे की जिंदगी पर बनी फिल्म थी, जिन्होंने 1857 में ब्रिटिश अफसरों का विद्रोह किया था। माना जाता है कि मंगल पांडे ने ही सबसे पहले अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की जंग का आगाज किया था। 1967 में आई फिल्म मनोज कुमार की फिल्म ‘उपकार’ भी देशभक्ति से ओतप्रोत फिल्म थी। इस फिल्म को बनाने का मकसद ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे को बुलंद करना था। फिल्म की कहानी राधा (कामिनी कौशल) और उसके दो बेटों भारत (मनोज कुमार) और पूरन (प्रेम चोपड़ा) के बीच जमीन के बंटवारे पर आधारित थी। ये तो वे चंद फ़िल्में हैं, जो उँगलियों पर गिनी गईं! बीते सौ से ज्यादा सालों में हिंदी फिल्मों के परदे पर ऐसी कई फ़िल्में बनी, जिन्होंने लोगों की देशभक्ति को झकझोर दिया था। अभी भी इन फिल्मों का दौर ख़त्म नहीं हुआ, वक़्त के साथ इनकी कहानियाँ बदली हैं, पर इनकी भावनाओं में कोई फर्क नहीं आया!  
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बॉलीवुड फिल्मों पर बैन से पाकिस्तान को मिलता चैन!


- एकता शर्मा

   पाकिस्तान कितनी भी कोशिश कर ले, पर वो किसी भी मामले में भारत से मुकाबला नहीं कर सकता! फिल्मों के मामले में वो हमेशा ही बॉलीवुड से मात खाता आया है। लेकिन, पाकिस्तानी दर्शक भारत की हिंदी फिल्मों के दीवाने हैं। यही कारण है कि वहाँ हिंदी फ़िल्में तो अच्छा कारोबार करती हैं, पर उनके सामने पाकिस्तानी फ़िल्में ढेर हो जाती हैं। पाकिस्तानी फिल्मकारों की मुसीबत ये है कि न तो वे बॉलीवुड के स्तर की फ़िल्में बना पाते हैं और न पाकिस्तानी दर्शकों को हिंदी फ़िल्में देखने से रोक पाते हैं! यही कारण है कि पाकिस्तान सरकार किसी न किसी बहाने हिंदी फिल्मों की रिलीज पर बैन लगा देती है। 

   ताजा मामला ऋषि कपूर और तापसी पन्नू की फिल्म 'मुल्क' को पाकिस्तान में बैन कर देने का हुआ! वहाँ के सेंसर बोर्ड ने 'मुल्क' को पाक के सिनेमाघरों में रिलीज करने से रोक लगा दी। इस फिल्‍म में भारतीय मुसलमानों पर उठने वाले हर सवाल को सलीके से उठाया गया है। यह पहला मौका नहीं है, जब पाकिस्‍तान ने ऐसी हरकत की हो! ईद पर रिलीज हुई सलमान खान की फिल्म 'रेस-3' को भी पाकिस्तान में बैन किया गया था। करीना कपूर, सोनम कपूर, स्‍वरा भास्‍कर और शिखा तल्‍सानिया की फिल्म 'वीरे दी वेडिंग' को भी पाकिस्तान सेंसर बोर्ड ने बैन कर दिया था। शादी करके पाकिस्‍तान जाकर भारतीय सेना के लिए जासूसी करने वाली लड़की की कहानी वाली आलिया भट्ट की फिल्‍म 'राजी' को भी इसी साल बैन किया जा चुका है। तापसी पन्नू की ही 'नाम शबाना', शाहिद कपूर की फिल्म 'उड़ता पंजाब' और आमिर खान की फिल्म 'दंगल' जैसी कई फिल्मों को पाकिस्तान सरकार अपने रिलीज होने से रोक चुकी है।   
  'रेस-3' को बैन करने के पीछे पाकिस्तान सरकार का तर्क ये है कि ईद का मौका पाकिस्तानी फिल्मों की दुनिया के कारोबार के लिए अच्छा मौका होता है। यदि ईद पर बॉलीवुड की फिल्म रिलीज की जाएगी, तो पाकिस्तानी फिल्मों का कारोबार ठप हो जाएगा। सलमान खान को लेकर पाकिस्तान में भारी क्रेज है। इससे पहले जब भी सलमान की कोई फिल्म वहाँ रिलीज हुई, पाकिस्तानी फिल्मों ने पानी नहीं माँगा! ईद के मौके पर वहाँ रिलीज होने वाली पाकिस्तानी फिल्मों में माहिरा खान की 'वजूद' के अलावा दो और फिल्में 'सात दिन मोहब्बत इन' और 'आजादी' रिलीज हुई थी। 
   'मुल्क' की रिलीज को बैन किए जाने पर फिल्म के डायरेक्टर अनुभव सिन्हा ने ट्वीट करके पाकिस्तान के लोगों से एक लेटर भी शेयर किया। इस लंबे लेटर की शुरुआत में उन्होंने लिखा कि प्यारे पाकिस्तानियों, कुछ हारे हुए लोगों द्वारा एंटीनेशनल कहे जाने से बिना डरे मैं आपको प्यारे पाकिस्तानियों कहने का जोखिम उठा रहा हूँ। मुझे परवाह नहीं है। मैंने हाल ही में 'मुल्क' नामक एक फिल्म बनाई है, दुर्भाग्यवश आप कानूनी रूप से इसे देखने में सक्षम नहीं होंगे! क्योंकि, आपके देश में सेंसर बोर्ड ने इसे देखने से प्रतिबंधित कर दिया है। अनुभव ने आगे लिखा कि देर सवेर यह फिल्म आप तक पहुंचेगी। आप इसे जरुर देखें और मुझे बताएं कि पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड ने इसे क्यों बैन किया? मैं चाहता यही हूं कि आप इसे सिनेमाघरों में जाकर देखें, लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पा रहा है तो आप इसे गैर कानूनी तरीके से ही देखिए! हालांकि, हमारी टीम पायरेसी के विरोध में है लेकिन अगर यही एक तरीका है तो यही सही! 
   अनुभव सिन्हा का अनुमान बिल्कुल सही निकला होगा! 'मुल्क' को अब तक लाखों पाकिस्तानी देख भी चुके होंगे। क्योंकि, पाकिस्तान में बॉलीवुड फिल्मों को चोरी से देखने का चलन काफी पुराना है। बॉलीवुड की जिस भी फिल्म को वहाँ बैन किया जाता है, उस फिल्म का पाइरेटेड वर्जन पाकिस्तान में करोड़ों का कारोबार करता है। क्योंकि, कोई भी सरकार दर्शकों की भावनाओं को तो कभी बैन सकती! 'रिफ्यूजी' फिल्म का एक गीत याद कीजिए 'पंछी. नदिया, पवन के झौंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके।' पाकिस्तान की सरहद जिन्हें नहीं रोक सकती, उस लिस्ट में बॉलीवुड की फिल्मों का नाम लिखना भी गलत नहीं होगा!     
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प्रियंका से सलमान की नाराजी गलत नहीं!


- एकता शर्मा 
  बॉलीवुड में हीरोइनों को कभी भी हीरो की तरह तवज्जो नहीं मिलती! इतिहास गवाह है कि यहाँ हीरो के कंधे पर ही पूरी फिल्म का दारोमदार टिका होता है। नरगिस की 'मदर इंडिया' जैसी इक्का-दुक्का फिल्मों को छोड़ दिया जाए, तो अधिकांश फ़िल्में हीरो प्रधान ही होती हैं। सिर्फ फ़िल्में ही नहीं, फिल्मों का कारोबार भी हीरो के नाम और उसके काम से ही चलता है। ऐसे में यदि कोई हीरोइन अपनी शादी के लिए किसी बड़े हीरो के प्रोडक्शन हाउस की फिल्म छोड़ दे, तो हीरो का गुस्से में तिलमिलाना सही भी लगता है।
   ये प्रसंग कोई कहानी नहीं, बल्कि हाल ही में घटी एक सही घटना है। मामला है प्रियंका चोपड़ा के सलमान खान की फिल्म 'भारत' के छोड़ने का! कहा जा रहा है कि प्रियंका ने ये फिल्म अक्टूबर में हॉलीवुड सिंगर निक जोंस से अपनी शादी के लिए छोड़ दी! पर एक कहानी यह भी सामने आई है कि हॉलीवुड में अपनी प्रसिद्धी के घमंड से चूर प्रियंका चोपड़ा 'भारत' के पोस्टर में दिशा पाटनी के साथ नहीं दिखना चाहती थी। क्योंकि, वे नहीं चाहती थी कि उनके साथ को छोटी एक्ट्रेस पोस्टर शेयर करे। उन्होंने इस फिल्म की शुरुआत में ही शर्त रखी थी कि वे फिल्म के लिए अपने सोलो पोस्टर चाहती हैं। सलमान खान की तरह फिल्म में उनके भी कई लुक दिखाई देने वाले थे। ऐसा नहीं है कि प्रियंका पहली बार किसी को-स्टार के साथ पोस्टर में दिखाई देती! पहले भी वे 'अंदाज' और 'बाजीराव मस्तानी' के पोस्टर्स में भी वह अपनी को-स्टार्स के साथ पोस्टर में नजर आ चुकी है।
  प्रियंका चोपड़ा ने शूटिंग शुरू होने के कुछ दिन पहले ही जिस तरह से सलमान खान की इस बड़ी फिल्म से किनारा किया है, उसके पूरी बॉलीवुड की झकझोर दिया! इसलिए भी कि सलमान आज जिस मुकाम पर है, वहाँ कोई हीरोइन उसे नाराज करने का जोखिम मोल लेना नहीं चाहेगी। लेकिन, प्रियंका ने सलमान से जिस तरह किनारा किया है, वो बॉलीवुड में अपनी तरह की पहली घटना है। चौंकाने वाली बात ये है कि प्रियंका ने सलमान की 'भारत' जिस कारण से छोड़ने का एलान किया, लेकिन, वे सोनाली बोस की फिल्म 'द स्काई इज पिंक' से अलग नहीं हुई! वे इस फिल्म की शूटिंग भी शुरु कर देंगी। इस फिल्म में प्रियंका के साथ फरहान अख्तर और जायरा बसीम हैं।
  'भारत' छोड़ने को लेकर प्रियंका तो कुछ नहीं बोली, पर डायरेक्टर अली अब्बास जफर ने अपने ट्वीट के जरिए ये इशारा जरूर दिया था कि शादी के कारण प्रियंका ने 'भारत' फिल्म छोड़ दी है दी है। प्रियंका की इस हरकत पर सलमान की नाराजी की बड़ी वजह ये है कि ये फिल्म सलमान खान की बहन अलवीरा के पति अतुल अग्निहोत्री की कंपनी 'रील लाइफ प्रोडक्शंस' कर रही है। जबकि प्रियंका ने 'भारत' की दो दिन की शूटिंग भी कर ली। बॉलीवुड में किसी फिल्म को इस तरह छोड़ देना गैरजिम्मेदाराना रवैया माना जाता है। प्रियंका की आखिरी हिंदी फिल्म प्रकाश झा की 'गंगाजल' थी, जो 2016 में रिलीज हुई थी। इस साल की शुरुआत में उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी कि वह जल्द ही बॉलीवुड में वापसी करने जा रही हैं। फिल्म साइन करने के बाद प्रियंका ने ट्वीट किया था कि मैं 'भारत' का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूँ। 
  प्रियंका और अमेरिकी सिंगर और सांगराइटर निक जोंस हाल ही में प्रियंका के साथ मुंबई आए थे। इस मुंबई यात्रा के बाद प्रियंका और निक का रिश्ता और मजबूत हो गया था। पिछले काफी समय से प्रियंका और निक की शादी करने की खबरें आ रही थी, जो अब तय हो गई। प्रियंका और निक सगाई पहले ही कर चुके हैं। लेकिन, शादी से पहले प्रियंका ने सलमान से पंगा लेकर अच्छा नहीं किया। सलमान को चाहने वाले प्रियंका के इस बर्ताव की तुलना उनकी फिल्म 'एतराज' के किरदार से कर रहे हैं। जिसमें उन्होंने एक स्वार्थी महिला की भूमिका निभाई थी, जो अपने मतलब के लिए किसी को भी धोखा देने में देर नहीं करती! 'भारत' फिल्म को छोड़ना भी प्रियंका का इसी तरह का किस्सा तो है! 
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