Monday 16 July 2018

अब क्रूर नहीं रही परदे की सौतेली माँ!



-  एकता शर्मा 

  सौतेली माँ ऐसा डरावना शब्द है, जो सदियों से समाज को कंपकंपाता आ रहा है। असल माँ की मौत बाद यदि पिता दूसरी शादी कर ले, तो घर आने वाली दूसरी औरत पति की पहली पत्नी से हुई संतानों की सौतेली माँ होती है। ये दूसरी औरत जैसी भी हो, बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार भी करे, तब भी उसकी छवि हमेशा ख़राब बताई जाती रही है। समाज में भी और फिल्मों में भी! फिल्मों में ये चरित्र हमेशा ही क्रूरता का पर्याय रहा है। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों के समय से अभी तक ये परंपरा जारी है। उस दौर में सामाजिक फिल्मों में ट्विस्ट देने के लिए एक खलनायिका की भूमिका रखी जाती थी, जो या तो क्रूर जल्लाद सास होती थी या सौतेली माँ!    
 फिल्मों में अकसर सौतेली मां की छवि बेहद क्रूर और डरावनी दिखाई जाती है। जबकि, असल जिदंगी में सभी सौतेली माँ जुल्मी नहीं होती! ललिता पंवार, मनोरमा और शशिकला वाले ज़माने की बात अलग है, जब आँखे तरेरने वाली सौतेली मायें बच्चों पर हर तरह के जुल्म करती थी! इसके बाद 'बेटा' जैसी फिल्म आई जिसमें अरुणा ईरानी ने सौतेली माँ का किरदार अपने बेटे अनिल कपूर के साथ कुछ अलग ही अंदाज निभाया था। अब ऐसी फिल्मों का जमाना तो चुक सा गया है। अब तो फिल्मकारों ने भी किरदार को नया कलेवर देकर समाज नई हवा के झौंके का अहसास कराया है।      

  जानी-मानी और हाल ही में दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी की अंतिम फिल्म 'मॉम' की कहानी भी कुछ अलग ट्रीटमेंट वाली थी। ये दो बेटियों और सौतेली माँ के रिश्तों को नए सिरे से परिभाषित करने वाली फिल्म है। जिसने सौतेली माँ की छवि को खंडित कर दर्शकों के दिल में सौतेले शब्द के मायने बदल दिए। इस फिल्म में बेटी सौतेली माँ को मैडम कहकर बुलाती है। फिल्म की कहानी एक ऐसी मां की है, जो अपनी सौतेली बेटी के गुनाहगारों को सजा दिलाने लिए किसी भी हद तक चली जाती है। इसमें श्रीदेवी ने देवकी का किरदार निभाया, जो सख्त बायलॉजी सख्त टीचर होती  है और पति और दो बेटियों के साथ दिल्ली में रहती है। देवकी की लाइफ में एक ऐसा मोड़ आता है, जब कुछ लोग उसकी बड़ी बेटी के साथ दुष्कर्म करके उसे नाले में फेककर चले जाते हैं। आर्या की जान तो बच जाती है, लेकिन उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाती है। सबूत न होने से के आर्या के गुनाहगार भी रिहा कर दिए जाते हैं। ऐसे में देवकी खुद अपने बेटी को इंसाफ दिलाने का फैसला करती है। लेकिन, देवकी चाहती है कि वह अपने हाथों से अपनी बेटी के गुनाहगारों को सजा दे। 
   फिल्मकारों की असल जिंदगी में भी सौतेली माओं की कमी नहीं है। ये मायें न तो क्रूर हैं और न षड्यंत्रकारी! बल्कि, ज्यादातर सौतेली मायें उन बच्चों की सबसे अच्छी दोस्त साबित हुई हैं। करीना कपूर खान और उनकी सौतेली बेटी सारा अली खान की उम्र में सिर्फ 13 साल का अंतर है। सैफ से शादी करने के बाद करीना ने अपने सौतेले बच्चों को अपना दोस्त समझा और उनके साथ हमेशा दोस्तों की ही तरह पेश आईं। सारा खान, सैफ की पहली पत्नी अमृता सिंह की बेटी हैं। संजय दत्त की सबसे बड़ी बेटी त्रिशाला उम्र में अपनी मम्मी मान्यता से सिर्फ 9 साल छोटी हैं। मान्यता और त्रिशाला का रिश्ता भी दोस्तों जैसा है। बताते हैं कि मान्यता की सोशल मीडिया पर हर फोटो को सबसे पहले उनकी बेटी त्रिशाला का ही लाइक मिलता है। महेश भट्ट की दूसरी पत्नी सोनी राजदान (आलिया भट्ट की माँ) के साथ पूजा भट्ट भी काफी कम्फर्टेबल फील करती हैं। पूजा और उनकी सौतेली माँ सोनी में 16 साल का अतंर है। आशय यही कि सभी सौतेली मायें क्रूर नहीं होती! पर, सभी 'मॉम' फिल्म के किरदार की तरह  अच्छी होती है, ये दावा भी नहीं किया जा सकता!
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