Sunday 15 December 2019

परदे पर राम का चरित्र हर युग में खरा सोना!

- एकता शर्मा   

 राम नाम की इन दिनों कुछ ज्यादा ही गूंज है। राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इन दिनों भगवान राम चर्चा में हैं। सारा मामला किसी हाईवोल्टेज फिल्मी ड्रामें से कम नहीं लग रहा! ऐसा इसलिए भी होना प्रतीत होता है कि समाज, सरकार और साधु संतों के बीच राम नाम का कुछ ख़ास ही महत्व है। हिन्दी फिल्मों के लिए भी राम हमेशा से महत्वपूर्ण कैरेक्टर रहे हैं। क्योंकि, चाहे हिन्दी फिल्मों के शैशव काल की बात हो या मध्यकाल की राम नाम को फिल्मकारों ने जमकर भुनाया! हिंदुस्तानी समाज में राम ऐसा चरित्र है जिन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम की तरह पूजा जाता है! यही कारण है कि हिंदी फिल्मों के सौ साल से ज्यादा लम्बे इतिहास में रामचंद्र जी पर कई फ़िल्में बनी और वे सफल भी हुईं!    
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     हिन्दी फिल्मों की शुरूआत ही राम के पितृपुरूष राजा हरिश्चन्द्र पर आधारित फिल्म 'राजा हरिशचंद्र' से ही हुई थी। उसके बाद लगभग हर दशक में सिनेमा के परदे पर राम अवतरित होते रहे! दर्शक कभी जूते उतारकर तो कभी राम की जयजयकार करते हुए फिल्मी राम के दर्शन कर अपने आपको धन्य मानते रहे। शुरूआती दिनों में 'अयोध्या चा राजा' ने बाॅक्स आफिस पर सिक्के बरसाकर इस परम्परा के बीज बो दिए थे कि सिनेमा में और कोई चले या न चले, राम का नाम हमेशा निर्माताओं की झोली भरता रहेगा। आज के दर्शक भले आश्चर्य करें कि 1943 में प्रेम अदीब और शोभना समर्थ अभिनीत फिल्म 'राम राज्य' के प्रदर्शन के बाद दर्शक सालों तक प्रेम अदीब को राम और शोभना समर्थ को सीता मानकर ही उन्हें प्रणाम करते और उनकी आरती उतारते रहे। विजय भट्ट के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने बाॅक्स ऑफिस पर उस समय 60 लाख रूपए की कमाई कर नया कीर्तिमान रचा था। यह पहली हिन्दी फिल्म थी, जिसका प्रीमियर अमेरिका में हुआ था। यह पहली और आखिरी फिल्म है, जिसे महात्मा गांधी ने भी देखा। हो सकता है इसे देखने के बाद ही महात्मा गांधी के दिमाग में राम राज्य की अवधारणा बलवती हुई हो!
   उसके बाद 1961 में बाबूभाई मिस्त्री के निर्देशन में बनी 'सम्पूर्ण रामायण' ने फिर एक बार सिनेमाघरों को जय जय सियाराम की गूंज से सरोबार किया था। ट्रिक फोटोग्राफी के लिए मशहूर बाबूभाई मिस्त्री ने रावण और हनुमान को उडते दिखाकर फिर लंका दहन और राम रावण युद्ध के रोमांचक दृश्य फिल्माकर दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया। इस फिल्म के गीत भी बहुत पसंद किए गए और महिपाल और अनीता गुहा राम-सीता की भूमिका में पहचाने गए। रावण की भूमिका निभाकर बीएम व्यास पक्के खलनायक बन गए थे। हिन्दी फिल्मकारों के लिए राम एक हुण्डी जैसे साबित हुए।   यही कारण है कि अब तक जितनी भी पौराणिक फिल्में बनी, उनमें राम पर आधारित फिल्में सबसे ज्यादा बनी और चली भी! ऐसी ही फिल्मों में लंका दहन (1917), राम पादुका पट्टाभिषेकम (1932), सीता कल्याणम (1934), सती अहिल्या (1937), सीता राम जनम (1944), रामायणी (1945), रामबाण (1948), रामजन्म (1951), रामायण (1954), सम्पूर्ण रामायण (1958,1961,1971), सीता राम कल्याणम (1961), लवकुश (1963 और 1997), हनुमान विजय (1974), बजरंग बली (1976), रावण (1984 और 2010), रामायणा : द लिजेंड ऑफ़ प्रिंस रामा (1992), हनुमान (2005), रिटर्न आफ हनुमान (2007), दशावतार (2008) और हनुमान चालीसा (2013) प्रमुख है।
  वैसे कुछ ऐसी फिल्में भी है, जिनका भगवान राम से दूर दूर का नाता नहीं, लेकिन उनके शीर्षक में भी राम का इस्तेमाल कर दर्शकों को आकर्षित करने का प्रयास किया गया। इनमें राम-लखन, राम तेरी गंगा मैली, रामावतार, राम और श्याम, रामलीला, राम जाने और 'हे राम' प्रमुख है। फिल्मों की तरह गानों में भी राम का जगह जगह प्रयोग किया गया है। मसलन राम करे ऐसा हो जाए, ओ राम जी, रोम रोम में बसने वाले राम, रामचन्द्र कह गए सिया से, जय रघुनंदन जय सिया राम। ऐसा नहीं कि केवल हिन्दी फिल्मों पर ही रामचन्द्रजी का आशीष बरसा! बरसात, और आरजू जैसी रोमांटिक फिल्मों के लेखक और निर्देशक रामानंद सागर ने भी जब टीवी पर कदम रखकर रामाश्रय लिया तो उनके धारावाहिक रामायण ने अरूण गोविल, दीपिका चिखलिया और दारासिंह को दर्शकों के दिलोें मे राम-सीता और हनुमान के रूप में बसा दिया। आज जब वीएफएक्स सहित कम्पयूटर ग्राफिक्स जैसी तकनीक उपलब्ध हैं, तो एक बार फिर भव्य पैमाने पर सिनेमाई पर्दे पर राम के अवतरण की संभावना प्रबल हो गई है।
  राम पर फ़िल्में सिर्फ ब्लैक एंड व्हाइट के ज़माने तक ही सीमित नहीं थीं! आज भी ये चरित्र उसी तरह लोकप्रिय है। 'दंगल' और फिर 'छिछोरे' से चर्चित हुए डायरेक्टर नितेश तिवारी का अगला प्रोजेक्ट 'रामायण' भी चर्चा में है। फिल्म की कास्टिंग को लेकर जबरदस्त चर्चा है। ऋतिक रोशन को राम और दीपिका पादुकोण को सीता के रोल में कास्ट करने की प्लानिंग है। वहीं प्रभास को रावण का रोल निभाने के लिए अप्रोच किया गया! नीतेश तिवारी ने कहा भी था कि 'छिछोरे' के बाद मैं 'रामायण' बनाने जा रहा हूं। ये एक ट्राइलॉजी होगी। हम इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। जब नितेश से दीपिका और ऋतिक रोशन को कास्ट करने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम अभी कॉन्सेप्ट लेवल पर हैं। हमने अभी कास्टिंग के बारे में सोचा तक नहीं है। मगर प्रोड्क्शन से जुड़े सूत्र ने बताया कि रामायण में पहली बार ऋतिक-दीपिका स्क्रीन शेयर करेंगे। इसके अलावा एक पॉपुलर सुपरस्टार रावण का रोल प्ले करेगा। मेकर्स ने रामायण के लिए 600 करोड़ का बजट रखा है। ये किसी भी इंडियन फिल्म के लिए साइन किया जाने वाला बड़ा बजट है।
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