Friday 1 May 2020

इरफ़ान जिसकी आँखे भी अभिनय करती रही!

- एकता शर्मा 
   
   ये खबर विश्वास करने वाली नहीं है, पर करना पड़ेगी। बड़े परदे के बेहतरीन अभिनेता इरफ़ान खान अब नहीं रहे। उन्होंने कैंसर को हरा दिया था, पर मौत ने उन्हें तब भी छोड़ा! वे दो दिन मुंबई के कोकिलाबेन  हॉस्पिटल में भर्ती रहे और आज जिंदगी से हार गए। उन्हें इस दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता था! वे सर से पैर तक अभिनेता थे! उन्ही आवाज से लगाकर आँखें तक अभिनय करती थी! हाल ही में दर्शकों ने उन्हें 'इंग्लिश मीडियम' में देखा था, जो 'हिंदी मीडियम' की अगली कड़ी थी! उन्हें 'पानसिंह तोमर' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। लेकिन, अब सारी बीती बातें हो गई! उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि भी एक अलग ही रंग लिए थी! कुछ साल पहले उन्होने अपने नाम के साथ जुड़ा 'खान' ही निकाल दिया था! इसलिए कि इससे उनके किसी धर्म विशेष का होने का पता चलता था! 
      इरफान खान ने हिंदी के साथ अंग्रेजी फ़िल्मों व टेलीविजन में भी काम किया। उन्होंने द वारियर, मकबूल, हांसिल, द नेमसेक, रोग और हिंदी मीडियम जैसी फिल्मों में अभिनय किया। 2004 में उन्हें 'हांसिल' के लिए फ़िल्म फ़ेयर अवॉर्ड में श्रेष्ठ खलनायक पुरस्कार भी मिला था। उन्होंने बॉलीवुड की 30 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। वे हॉलीवुड में भी जाना-पहचाना नाम थे। उन्होंने ए माइटी हार्ट, स्लमडॉग मिलियनेयर, इनफर्नो और द अमेजिंग स्पाइडर मैन जैसी फिल्मों में काम किया था। 2011 में उन्हें 'पद्मश्री' से भी सम्मानित किया गया।
   इरफ़ान के अभिनय की खासियत थी कि वे किरदार में पूरी तरह डूब जाते थे। 2012 में उन्हें 'पानसिंह तोमर' में अभिनय के लिए श्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था। दर्शकों का मानना है कि वे पूरा अभिनय अपनी आंखों से करते थे। इसके अलावा वे लीक से हटकर फिल्‍में करने के लिए भी मशहूर हुए। अभिनय के क्षेत्र में ऑलराउंडर माने जाने वाले इरफान खान ने हमेशा ही अपने अभिनय से हर वर्ग के दर्शकों को प्रभावित किया! उनका अपना एक अलग अंदाज था और वे ऐसे एक्टर थे जो अपने अभिनय से किसी भी किरदार में जान डाल देते थे। हॉलीवुड अभिनेता टॉम हैंक्स का कहना था कि इरफान की तो आंखें भी एक्टिंग करती हैं। 
  इरफ़ान जब एमए की पढ़ाई कर रहे थे, तब उन्हें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के लिए स्कॉलरशिप मिली। अभिनय में ट्रेंड होने के बाद इरफ़ान ने मुंबई का रूख किया और टीवी धारावाहिकों में व्यस्त हो गए। चाणक्य, चंद्रकांता, स्टार बेस्ट सेलर्स जैसे कई धारावाहिकों में इरफ़ान ने काम किया और यहीं से फिल्म निर्माता-निर्देशकों का उनकी तरफ ध्यान गया। मीरा नायर की फिल्म 'सलाम बांबे' में उन्हें छोटी सी भूमिका निभाने का मौका मिला था। 'सलाम बांबे' के बाद उन्होंने कई ऑफबीट फ़िल्में की। एक डॉक्टर की मौत, कमला की मौत और 'प्रथा' जैसी समांतर फिल्मों में अभिनय के बाद इरफ़ान ने मुख्यधारा की फिल्मों की और रूख किया। 
    इरफ़ान ख़ान कभी नायक की भूमिका के दायरे में कैद नहीं रहे। वे लाइफ इन ए मेट्रो, आजा नचले, क्रेजी-4 और सनडे जैसी फिल्मों में महत्वपूर्ण चरित्र भूमिकाएं निभाई तो मकबूल,रोग और बिल्लू में भी काम किया। गंभीर अभिनेता की छवि वाले इरफ़ान की एक्टिंग का जादू सिर्फ बॉलीवुड में ही नहीं, पूरी दुनिया के लोगों पर छाया रहा! लेकिन, उन्होंने अपने अभिनय जीवन की शुरुआत जूनियर कलाकार की तरह की थी। पहली बार उन्हें 'हांसिल' से पहचाना गया था। उनकी हॉलीवुड फिल्म ‘इनफर्नो’ को भी दर्शकों ने सराहा था। ‘इनफर्नो’ भारत और अमेरिका में एक साथ रिलीज हुई थी। इरफान का कहना था कि यह उनके लिए पुरस्कार जैसा है। उनका सपना था कि वे ध्यानचंद जैसे विख्यात हॉकी खिलाड़ी की जीवनी पर फिल्म करें, लेकिन उनका ये सपना अधूरा रह गया। उनका कहना था कि ध्यानचंद जैसे खिलाड़ी की जीवनी पर फिल्म में काम करना उनके लिए गर्व की बात होगी। 
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