Saturday 12 August 2017

हिन्दी फिल्मों में भी 'गुरू' की महिमा अपरम्पार

- एकता शर्मा 

     जीवन के हर क्षेत्र में गुरू का अपना महत्व होता है। बॉलीवुड भी इसका अपवाद नहीं है। यहां गुरू नाम से कलाकार भी हुए हैं और 'गुरू' नाम से फिल्में भी बनी हैं। कुछ महान गुरूओं के कुछ महान शिष्य भी हुए हैं। हिंदी फिल्मों में 'गुरु' नाम वाले केवल एक अभिनेता हुए गुरु दत्त। जहां तक 'गुरू' शीर्षक से बनने वाली फिल्मों का सवाल है तो यह सिलसिला 1959 में बनी फिल्म 'गुरू घंटाल' से शुरू हुआ था। एसएम युसूफ निर्देशित इस काॅमेडी फिल्म में मीना कुमारी, मोतीलाल के साथ उषा किरण और अजीत ने काम किया था। काॅमेडियन के नाम पर इसमे आगा, सुंदर और मिर्जा मुशर्रफ थे। 1979 में 'गुरू हो जा शुरू' शीर्षक से एक एक्शन फिल्म भी बनी थी। बाद में इसी नाम से एक बार फिर फिल्म बनी। इसमें गुमनाम सितारों की भरमार थी। ये फिल्म कब आई और चली गई, कोई नहीं जानता। 
    1989 में 'गुरू दक्षिणा' और 'गुरू' नाम से दो फिल्में आई। पहली फिल्म ने कोई पहचान नहीं बनाई! इसी साल श्रीदेवी की उमेश महरा निर्देशित फिल्म 'गुरु' रिलीज हुई थी। इस फिल्म में उनके जोड़ीदार मिथुन चक्रवर्ती थे। फिल्म को  बॉक्स ऑफिस पर अच्छी सफलता भी मिली थी। यही वो फिल्म थी, जिसके निर्माण दौरान मिथुन चक्रवर्ती और श्रीदेवी की शादी की अफवाह उड़ी थी, फिल्म पत्रिकाओं में फोटो तक छप गए थे। 1993 में विनोद मेहरा ने श्रीदेवी, अनिल कपूर और ऋषि कपूर को लेकर 'गुरूदेव' बनी, लेकिन इसकी रिलीज से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई। 
  'गुरू' शीर्षक से बनी सबसे उल्लेखनीय फिल्म है 2007 में रिलीज मणिरत्नम की फिल्म थी 'गुरु।' इस फिल्म ने  अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या रॉय की 'ढाई अक्षर प्रेम के' और 'उमराव जान' जैसी फ्लॉप फिल्मों की जोड़ी को हिट बना दिया! कहते हैं कि ये फिल्म धीरू भाई अम्बानी के जीवन पर आधारित एक सफल फिल्म थी, जिसने अभिषेक के डूबते कैरियर को कुछ समय के लिए संभाल लिया था। फराह खान ने भी शाहरुख़ खान को लेकर 'मैं हूँ ना' बनाई थी। संजय लीला भंसाली ने सलमान खान और ऐश्वर्या रॉय को लेकर 'हम दिल दे चुके सनम' बनाई थी, जिसमें सलमान संगीत सीखने गुरु के यहाँ जाता है और उनकी बेटी को दिल दे बैठता है। आमिर खान ने 'तारे जमीं पर' बनाकर तो मानों इतिहास बना दिया! जबकि, यशराज की फिल्म 'मोहब्बतें' में अमिताभ बच्चन ने कठोर शिक्षक का उल्लेखनीय किरदार निभाया था। 'स्टेनली का डिब्बा' भी गुरु की भूमिका वाली एक बेहतरीन फिल्म मानी जाती है।     
  बॉलीवुड में गुरू-शिष्य परम्परा का भी अपना अलग इतिहास है। इस क्रम में राजकपूर के गुरू केदार शर्मा का उल्लेख जरूरी है, जिन्होंने राजकपूर को कभी पृथ्वीराज कपूर का बेटा नहीं माना! एक बार तो गलती होने पर उन्होंने राजकपूर को तमाचा रसीद कर दिया था। राजकपूर खुद भी राहुल रवैल और जेपी दत्ता के गुरू थे। गुरूदत्त ने राज खोसला और आत्माराम जैसे सफल निर्देशकों का बॉलीवुड से परिचय कराया था। टीनू आनंद ने सत्यजीत रे से निर्देशन के गुर सीखे तो बासु भट्टाचार्य प्रसिद्ध निर्देशक बिमलराय के शिष्य थे। जिन्होंने बाद में उनकी बेटी रिंकी से शादी कर गुरू शिष्य परम्परा को विवादित बना दिया था।
  अभिनेताओं में दिलीप कुमार तो मनोज कुमार से लेकर शाहरूख खान तक कई सितारों के अघोषित गुरू साबित हुए हैं। अनिल कपूर ने राज कपूर की परम्परा को आगे बढाया तो राजेश खन्ना और जैकी श्राफ ने देवानंद के लटके झटकों की नकल करके उनके शिष्य बनने का प्रयास किया। भगवान दादा को बॉलीवुड का डांस गुरु कहा जा सकता है। अमिताभ बच्चन को लम्बी टांगों के कारण डांस करने में परेशानी होती थी। इसलिए उन्होंने भगवान दादा वाला अंदाज अपनाया। अमिताभ भगवान दादा को अपना डांसिंग गुरु कहते थे। गायन में मोहम्मद रफी को तो महेन्द्र कपूर से लेकर सोनू निगम अपना गुरू मानते रहे। किशोर कुमार की नकल करके कुमार शानू और बाबुल सुप्रियो ने अपनी पहचान बनाई। हिन्दी फिल्म इंड्रस्ट्री की अधिकांश गायिकाएं लता मंगेशकर को ही अपना गुरू मानती हैं।  
---------------------------------------------------------

No comments:

Post a Comment