Wednesday 6 April 2016

दुनिया की सरकारें लोगों को खुशियाँ देकर खुश!

- एकता शर्मा 

  मध्यप्रदेश सरकार ने भी 'हैप्पीनेस मिनिस्ट्री' के गठन की घोषणा की है। मध्यप्रदेश ने खुशहाली के मामले में पहल की हो, पर देश में सरकारी स्तर पर न तो कोई योजना है और न अभियान! ये प्रयोग इसलिए भी तार्किक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि बाकी सारे सरकारी विभागों के प्रति लोगों के अनुभव बेहद ख़राब हैं! लोग सबसे ज्यादा परेशान ही सरकार की कार्यप्रणाली से हैं, तो वे सरकार खुश कैसे हो जाएंगे? मुख्यमंत्री शिवराज का कहना है कि 'हैप्पीनेस मिनिस्ट्री' के ज़रिए लोगों को सकारात्मक वातावरण दिया जाएगा। लोगों को अच्छी शिक्षा मिले, शिक्षण संस्थाओं का वातावरण अच्छा हो, विपरीत परिस्थितियों में लोग हौसला न छोड़ें, ऐसी व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य होगा, जहां इस तरह की मिनिस्ट्री स्थापित की जाएगी। उन्हें इसकी प्रेरणा भूटान से मिली! जहाँ 1972 में भूटान के चौथे नरेश जिग्मे सिंगे वांग्चुक ने 'हैप्पीनेस इंडेक्स' की अवधारणा को लागू किया था! जहां सभी मंत्रालयों की जिम्मेदारी बनती है कि आत्महत्या की सोचने वाले और निराश लोगों की समस्या सुलझाईं जाए। हालांकि, अभी ये साफ़ नहीं है कि मध्य प्रदेश सरकार का ये मंत्रालय क्या काम करेगा और लोगों को ख़ुशहाली को कैसे मापा जाएगा!

 दरअसल, खुशियों को लेकर दुनिया का नजरिया बदल रहा है। अब खुशहाली ज्यादा जरूरी हो गई है। तरक्की का पैमाना अब जीडीपी (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रॉडक्ट) नहीं, बल्कि जीएनएच यानी 'ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस' बन गया है। अब समाज में भावनात्मक जुड़ाव को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। इसी कड़ी में संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में 157 देशों की 'हैप्पीनेस रिपोर्ट' जारी की है। इसके मुताबिक तीन साल में 70 देशों में खुशहाली बढ़ी है। जबकि, 56 देशों में इसमें मामूली गिरावट रही! रिपोर्ट के मुताबिक आर्थिक रूप से कमजोर देश मुश्किलों के बावजूद संपन्न देशों की तुलना में ज्यादा खुश हैं। संयुक्त राष्ट्र ने 20 मार्च को ‘इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे’ के तौर पर घोषित किया है। रिपोर्ट में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन हमसे ज्यादा खुश हैं। पाकिस्तान हमसे 26 पायदान आगे हैं, जबकि बांग्लादेश हमसे 8 स्थान ऊपर है। 
   इस साल की 'वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट' के मुताबिक खुशहाली में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी निकारागुआ में दर्ज की गई! सबसे ज्यादा गिरावट आई ग्रीस में! जिन देशों में खुशहाली की दर गिरी है उनमें भारत, पाकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान और इटली भी हैं। इस लिस्ट में भारत का नंबर 118 वां है। अमेरिका 13वें और ब्रिटेन 23वें पायदान पर है। अभी तक सबसे खुशहाल देश स्विट्जरलैंड था, पर अब डेनमार्क पहले नंबर पर गया! ऑस्ट्रेलिया भी टॉप-10 खुशहाल देशों में शामिल हुआ! भूटान के सम्राट जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने 1972 में जीडीपी की जगह 'ग्रॉस हैप्पीनेस इंडेक्स' लागू किया था। यहाँ सभी मंत्रालयों की जिम्मेदारी है, लोगों की समस्याएं सुलझाएं और जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए काम करें। 
  खुशहाली नापने का पैमाना है स्वस्थ्य जीवन, भ्रष्टाचार से मुक्ति और मुश्किल वक्त में साथ देने वाले! अब इसमें असमानता को भी शरीक किया गया है। आयरलैंड, आइसलैंड और जापान ने आपदाओं, वित्तीय संकट के बावजूद खुशहाली हांसिल की। 2007 की आर्थिक मंदी और 2011 के भूकंप के बाद जापान ने खुद को संभाला। आयरलैंड और आइसलैंड आर्थिक संकट से निपटने में कामयाब रहे। इसकी वजह एकजुटता को बताया गया है। फ़रवरी में यूएई ने 'मिनिस्टर ऑफ़ हैप्पीनेस' की नियुक्ति की! वहां 28 साल की ओहूद अल रौमी यूएई की मिनिस्टर ऑफ़ हैप्पीनेस हैं!
   निकारागुआ, सिएरा लियोन, इक्वाडोर, माल्डोवा, चिली में खुशहाली बढ़ी है। जबकि, ग्रीस, मिस्र, सउदी अरब, बोत्सवाना और वेनेजुएला के लोगों में खुशहाली में कमी आई! वेनेजुएला में 2013 'वाइस मिनिस्ट्री ऑफ सुप्रीम सोशल हैप्पीनेस' बनाया गया था। ब्रिटेन 2010 में प्रधानमंत्री ने 'वेल बीईंग एंड हैप्पीनेस इंडेक्स' लॉन्च किया। इसमें देखा जाता है कि लोगों का जीवन स्तर पिछली बार की तुलना में कितना बदला है। 2010 में ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक लॉन्च किया। अमेरिका ने 2012 में अमेरिका ने एक रिपोर्ट तैयार करवाई। इसमें सिफारिश की गई कि सरकार सर्वे के जरिए यह जानने की कोशिश करें कि कितने लोग खुशहाल और संतुष्ट हैं। कनाडा में 2011 में 'कैनेडियन इंडेक्स ऑफ वेल बीईंग' (सीआईडब्ल्यू) लॉन्च किया गया। सिंगापुर में 2013 में राष्ट्रपति डॉ. टोनी टैन ने वित्तीय सुधारों के साथ-साथ सामाजिक मुद्दों को भी अहमियत देने की सलाह दी। उन्होंने भूटान की तर्ज पर काम करने का प्रस्ताव रखा। थाईलैंड में 1997-2001 की राष्ट्रीय योजना में 'ग्रीन हैप्पीनेस इंडेक्स' लॉन्च किया गया। इसमें मानव विकास को सबसे ऊपर रखा गया है। तात्पर्य ये कि अब लोगों को खुश रखने की कोशिश सरकारी स्तर पर भी शुरू हो रही है! कई देशों में तो इसकी पहल भी होने लगी! मध्यप्रदेश ने देश में पहली बार कदम बढ़ाया है, कहीं ये शिगूफा न साबित हो!  
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