Sunday 7 January 2018

तमिल राजनीति और सिनेमा के सितारे!


- एकता शर्मा

  दक्षिण भारत के राज्य तमिलनाडु की राजनीति पर बरसों से तमिल सिनेमा की हस्तियों का राज रहा है। परदे से मिलने वाली लोकप्रियता का उनके प्रशंसकों पर प्रभाव आज भी है। इसी लोकप्रियता के सहारे उन्होंने हमेशा चुनावी जीत भी हांसिल की! कुछ सितारे राजनीति के मैदान में सफलता का स्वाद चखने में विफल भी रहे। 67 साल के सुपरस्टार रजनीकांत तमिल राजनीति में उतरने वाले नए सितारे हैं। वहाँ अगला विधानसभा चुनाव साल 2021 में है। पिछले पांच दशकों से तमिलनाडु में द्रविड़ राजनीति करने वाले स्थानीय दलों का ही प्रभाव रहा है। रजनीकांत ने तमिल और हिंदी सिनेमा में अलग-अलग किरदार निभाएं हैं। उन्होंने कई फिल्मों में खुद को जनता के हीरो के रूप में पेश किया है। विरोधियों को रजनीकांत की लोकप्रियता का अंदाजा तो है, लेकिन वे राजनीति को फिल्मों से अलग मानते हैं। 
    हाल में कमल हासन तमिलनाडु के विपक्षी दल डीएमके के साथ मंच साझा करते नजर आए! इसके पहले भी हासन सत्ताधारी दल एआईएडीएमके की आलोचना करते रहे हैं। हालांकि, हासन की ओर से अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वह किस दल के साथ जाएंगे! वे 'आम आदमी पार्टी' के मुखिया अरविन्द केजरीवाल से भी मिले थे। 
  अभिनेता एमजी रामचंद्रन तमिलनाडु में पहले सितारे थे, जो अन्नाद्रमुक बनाकर 1970 के दशक में राज्य की सत्ता में आए! उनके धुर विरोधी और पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि का भी फिल्मी दुनिया से नाता रहा है। उन्होंने कई फिल्मों की पटकथाएं लिखीं। करुणानिधि 1969 में द्रमुक संस्थापक सीएन अन्नादुरई की मौत के बाद उनके उत्तराधिकारी और राज्य के मुख्यमंत्री बने! रामचंद्रन राज्य में 'एमजीआर' के नाम से लोकप्रिय थे। वे अपनी फिल्मों में गरीबों के मसीहा की भूमिका निभाते थे! करुणानिधि से मतभेद के बाद रामचंद्रन ने 'द्रमुक' से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई थी! 'एमजीआर' के संरक्षण में राजनीति के तौर-तरीके सीखने वाली जे जयललिता ने उनकी मृत्यु के बाद रामचंद्रन की विरासत को संभाला।  
 'एमजीआर' की मृत्यु के बाद अन्नाद्रमुक दो फाड़ हो गई और फिर 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध में दोनों धड़ों का विलय हो गया। जयललिता ने पार्टी की बागडोर संभाली। वे दिसंबर 2016 में जीवन के अंत तक अन्नाद्रमुक की सर्वोच्च नेता बनी रहीं! उन्होंने 2011 और 2016 में लगातार दो विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी को सफलता दिलाई। एमजीआर' के समकालीन और अभिनेता शिवाजी गणेशन भी कांग्रेस में रहने के दौरान राजनीति में सक्रिय रहे, लेकिन, 1988 में अपनी पार्टी बनाने के बाद सफलता पाने में विफल रहे! अभिनेता विजयकांत ने भी 2006 के विधानसभा चुनाव से पहले 'डीएमडीके' नाम की अपनी पार्टी बनाई! साल 2011 का विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी ने जयललिता की अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन करके लड़ा। 2016 का विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी अकेले लड़ी, लेकिन उसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। 
    राजनीति में फिल्मी हस्तियों का आना सिर्फ तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं है। अन्य दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी यही परंपरा है। आंध्र प्रदेश की राजनीति में सिनेमा जगत से आए नेता थे एनटी रामाराव! वे 'एनटीआर' के नाम से मशहूर रामाराव तेलुगू सिनेमा का बड़ा चेहरा थे। उन्होंने कई तेलुगू फिल्मों में भगवान के किरदार निभाए! एनटीआर ने अपनी इस छवि का इस्तेमाल तेलुगू गर्व के मुद्दे पर आधारित अपनी तेलुगू देशम पार्टी को स्थापित करने में बखूबी की। वे करीब सात साल राज्य के मुख्यमंत्री रहे।  

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