Tuesday 22 March 2016

नौकरी, परिवार और ज़िंदगी!


 एकता शर्मा 

   आज वक़्त में महिलाओं का नौकरी करना सामान्य बात है। ऐसे में यदि पति-पत्नी दोनों काम करते हैं तो परिवार का खर्च चलाना भी आसान हो जाता है। पुरुष के लिए तो परिवार और नौकरी के समय को एडजस्ट करना आसान है! पर, कामकाजी महिलाओं के लिए नौकरी, परिवार और जिंदगी के बीच सामंजस्य बनाना आसान नहीं होता! महिलाओं के लिए पारिवारिक जिम्मेदारियों के बावजूद कामकाजी होने के कुछ निजी कारण हैं। एक कामकाजी महिला का कहना है कि मैं अपने करियर में चुनौतियां पसंद करती हूँ! साथ ही नौकरी में रोजाना नई चीजें सीखने को भी मिलता है।

 अमेरिका में श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक यहाँ काम करने वाली महिलाएं 47 फीसदी हैं। जबकि, 1960 में यह संख्या 22 फीसदी थी। इस संख्या में उछाल की वजह यह है कि महिलाओं की कार्यक्षमता को लेकर लोगों की सोच में बदलाव आया है। समाज में जैसे-जैसे महिलाओं के साथ समानता का वातावरण बन रहा है, वैसे वैसे वे अपने पारंपरिक कामकाज के दायरे से बाहर निकलकर दूसरी पेशेवर भूमिकाओं में सामने आ रही हैं! अच्छी बात ये है कि उनके पति घरेलू कामकाज और बच्चों को संभालने जैसी ज़िम्मेदारी निभाने में भी संकोच नहीं कर रहे!
  दोहरी जिम्मेदारियां और खुद को नई पहचान देने की कोशिश ने कामकाजी महिलाओं में नया आत्मविश्वास जगाया है। इसके अलावा उन्हें काम के प्रति संतुष्टि का आभास दिलाया है। खासकर इसके जरिए वे हांसिल रचनात्मकता और रोजमर्रा के अपने सहकर्मियों से संबंधों को लेकर भी बहुत उत्साहित रहती हैं। अपने व्यक्तित्व और बुद्धि के इस पक्ष को बनाए रखना और उसे आगे बढ़ाना भी उनके लिए महत्वपूर्ण है।
   देखा जाए तो इन महिलाओं के कामकाजी और घरेलू जीवन में तालमेल की वजह है, इनकी व्यवस्थित दिनचर्या! ये सभी महिलाएं अपने परिवार और कामकाज के बारे में प्रतिबद्ध होकर चलती हैं। कामकाजी महिलाएं घड़ी की तरह से जीवन को चलाती हैं। इसलिए कि उनके लिए ये काफी व्यवस्थित होता है। इससे स्थितियां काबू में रहती हैं और परिवार का जीवन भी खुशियों से भरा होता है। इन सभी महिलाओं की कोशिश होती है कि कम से कम पूरा परिवार रात के खाने के लिए घर पर ही रहें। एक कामकाजी महिला की मां को इस बात की ख़ुशी है कि एक व्यस्त परिवार में पलने के बावजूद उनकी बेटी के लिए परिवार सबसे पहले है। वे कहती हैं कि हम सब डिनर के समय एक साथ रहते हैं। क्योंकि, हम सभी के लिए यह अहसास अद्भुत होता है।
  जिस परिवार में पति और पत्नी दोनों काम करते हैं उस घर में सप्ताहांत और छुट्टी का दिन खास होता है। ऐसे परिवारों में सप्ताहांत साथ बिताने की आदत होती है और पूरा परिवार भी इसे एंजॉय करता है। इस दिन दूसरे परिवारों के साथ भी उनका मिलना-जुलना होता है। एक तरह से पूरा परिवार दिनभर एक साथ रहता है।
   जीवन की तमाम व्यस्तताओं के बीच यही वो समय होता है जब कामकाजी महिला का परिवार संतुष्टि का अनुभव करता है। दरअसल, समाज की ये वे महिलाएं हैं जिन्होंने अपने बच्चों के सामने जीवन के दृष्टिकोण का एक सकारात्मक और ठोस उदाहरण पेश किया है। इन महिलाओं का सोच है कि जब वे रचनात्मक और पेशेगत चुनौतियों से गुजरती हैं, तो उनके बच्चे भी उस पूरे हालात, मेहनत, उसमें आने वाली मुश्किलों और आशंकाओं और उनके नतीजों के अनुभवों से रूबरू होते हैं।
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