Thursday 29 September 2016

बॉलीवुड में नहीं चलती हीरोइनों की दूसरी पारी

- एकता शर्मा 

  अभिनय एक ऐसा कारोबार है, जो तब तक मंदा नहीं पड़ता, जब तक दर्शकों का साथ मिलता रहता है! लेकिन, जैसे ही किसी हीरो या हेरोइन से दर्शकों का दिल उचाट हुआ, अभिनय का सारा कारोबार दरक जाता है। क्योंकि, बॉलीवुड अभी तक वो फार्मूला नहीं खोज पाया, जिसे अपनाकर फिल्म की सफलता का दावा किया जा सके! लेकिन, बॉलीवुड के जांबाज हीरो और हीरोइन भी उस मिट्टी के बने होते हैं, जो आसानी से हार नहीं मानते! उनकी एक पारी पूरी होती है, तो कुछ वक़्त बाद दूसरी पारी की तैयारी कर लेते हैं! ऐसे हीरो, हीरोइनें की लंबी लिस्ट है, जिन्होंने दूसरी पारी में किस्मत आजमाई! कुछ का सिक्का दूसरी बार में भी अच्छा चला! पर, ज्यादातर दूसरी पारी में कोई करिश्मा नहीं कर सके! अपनी दूसरी पारी में सर्वकालीन सफल अभिनेताओं में अमिताभ बच्चन अकेले हैं! अमिताभ पहली पारी में जितने सफल रहे, उससे कहीं ज्यादा सफलता उन्होंने दूसरी पारी में पाई! 
 याद करने पर भी कोई अभिनेत्री दूसरी पारी में बहुत ज्यादा सफलता नहीं पा सकी! फिर वो धक् धक् गर्ल माधुरी दीक्षित ही क्यों न हो! क्योंकि, हीरोइन की वापसी आसान नहीं होती! उम्र की ढलान का असर दर्शक भांप लेते हैं! वे बूढ़े हीरो को तो स्वीकार लेते हैं, पर बूढ़ी हीरोइन को परदे पर इश्क़ फरमाते देखना नहीं चाहते! बॉलीवुड में 35 प्लस की हीरोइन के लिए वैसे भी कोई पटकथा नहीं लिखी जाती! अधिकांश हीरोइनों की दूसरी पारी माँ या बहन  सीमित हो जाती हैं।  
  सौदागर, खामोशी, दिल से जैसी फिल्मों से पहचान बनाने वाली मनीषा कोइराला कैंसर से जंग लड़ने के बाद ‘डियर माया’ में दिखाई दी! पर, बात नहीं बनी! कपूर खानदान की करिश्मा की दूसरी पारी भी कमजोर साबित हुईं। छ: साल बाद करिश्मा ने विक्रम भट्ट की 'डेंजरस इश्क' जैसी फिल्म की! लेकिन, दर्शकों ने फिल्म को नकार दिया! सफलतम हीरोइन  वाली माधुरी दीक्षित की दूसरी पारी भी फीकी रही! 2007 में उन्होंने 'आजा नच ले' से वापसी की कोशिश की, लेकिन फिल्म नहीं चली! इसके बाद एक्शन फिल्म 'गुलाब गैंग' भी पानी नहीं माँगा! 'डेढ़ इश्किया' को दर्शक नहीं मिले! रेखा जैसी नामचीन एक्ट्रेस ने भी 'सुपर नानी' से वापसी की कोशिश की, लेकिन फिल्म ने पानी नहीं माँगा! 
  तब्बू भी काफी समय से इस इंतजार में थीं कि बॉलीवुड में उनकी दूसरी पारी शुरू हो! लेकिन, तब्बू का ये फैसला सही था कि उन्होंने हीरोइन के बजाय कैरेक्टर रोल को चुना! पहले 'हैदर' और उसके बाद तब्बू 'दृश्यम' में दिखाई दी और दोनों ही फिल्मों में उनके अभिनय को सराहा गया! श्रीदेवी को भी उस फेहरिस्त में रखा जा सकता है, जिनकी वापसी का दर्शकों ने स्वागत किया! 2012 में आई 'इंग्लिश विंग्लिश' सफल रही थी! फिल्म की पटकथा मजबूत थी और श्रीदेवी ने भी उस अधेड़ महिला का किरदार निभाया था, जो बेटियों  पर इंग्लिश सीखती है। इस फिल्म की सफलता के बाद भी श्रीदेवी ने दूसरी फिल्म की जल्दबाजी नहीं की! डिम्पल कपाड़िया दूसरी पारी को भी सफल कहा जा सकता है। रुदाली, लेकिन, बनारस जैसी फिल्मों से डिम्पल ने अपनी ग्लैमरस पहचान को पूरी तरह बदल डाला था! लेकिन, राजेश खन्ना की मौत के बाद से ही वे परदे से दूर हैं! डिंपल ने होमी अदजानिया की ही फिल्म 'कॉकटेल' की थी। फिल्म में डिंपल सैफ अली की माँ के रोल में थी! 'कॉकटेल' से पहले डिंपल ने होमी की एक फिल्म 'बीइंग सायरस' में भी काम किया था। 
  सलमान खान से साथ 'तेरे नाम' से अभिनय यात्रा शुरू करने वाली एक्ट्रेस भूमिका चावला कई सालों से बॉलीवुड से अलग रहीं! भूमिका ने 'तेरे नाम' में निर्झरा का किरदार निभाकर दर्शकों का जीता था! 2007 में उनकी आखिरी फिल्म 'गांधी माई फादर' रिलीज हुई थी। अब भूमिका 'एसएस धोनी' की बायोपिक फिल्म में धोनी की 'बहन' बनकर वापसी कर रही हैं। पीछे पलटकर देखा जाए तो पुराने दौर में हीरोइन का वापसी करना बेहद मुश्किल काम माना जाता था। वापसी होती थी तो मां के रोल में! वहीदा रहमान, नूतन, माला सिन्हा, शर्मीला टैगोर, सायरा बानू समेत कई हीरोइनों ने फिर परदे का रुख किया, पर हीरो या हीरोइन की माँ बनकर! हीरोईन बनने का साहस संभवतः सत्तर के दशक में अपने अभिनय से धूम मचाने वाली मुमताज ने किया था! 1990 में 'आंधियां' से वापसी की कोशिश की थी। लेकिन, इस फिल्म के पिटने के साथ ही उन हीरोइनों की वापसी के दरवाजे भी बंद हो गए, जो मुमताज की समकालीन थीं और वापसी की राह देख रही थीं।
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