Friday 1 December 2017

सिर्फ कानून बनाने से अपराध कैसे रुकेंगे?

- एकता शर्मा 

    मध्य प्रदेश में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों बच्ची के साथ दुष्कर्म या गैंगरेप करने वालों को कैबिनेट ने मृत्यु दंड की सजा देने के विधेयक को मंजूरी दे दी। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद इसे मंजूरी के लिए राज्यपाल व राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। देश में ये पहला मौका है जब इस तरह का कानून बनने जा रहा हैं, जिसे सबसे पहले मध्यप्रदेश सरकार लागू करेगी। लेकिन, सवाल उठता है कि क्या सिर्फ कानून बना देने से छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बंद हो जाएँगी? क्या वास्तव में समाज में कानून का इतना डर है कि इस तरह की घटनाओं में शामिल लोग नए कानून से भयभीत होंगे? दरअसल, इसके लिए सबसे ज्यादा जरुरी है कानून का पालन करवाने का सख्त नजरिया!     
    यदि नया विधेयक कानून की शक्ल लेता है, तो ऐसी घटनाएं रुक जाएंगी, ऐसा मान लेना फिलहाल जल्दबाजी होगी। क्योंकि, इस तरह की घटनाएं कानून की धाराओं को याद करके कभी नहीं की जाती! हर व्यक्ति जानता है कि हत्या की सजा मृत्यु दंड भी हो सकती है, फिर भी हत्याएं कभी रुकी नहीं! यदि ये विधेयक कानून बनकर लागू हो गया तो सबसे ज्यादा जरुरत पुलिस की भूमिका में सुधार की होगी। क्योंकि, किसी आरोपी को सजा दिलाने में एफआईआर ही महत्वपूर्ण होती है और पुलिस वहीं से इसमें गड़बड़ी करती है और आरोपी को बचने का मौका मिलता है। दुष्कर्म के मामलों में आज तक जितने भी आरोपियों को सजा हुई है, उसका सबसे बड़ा कारण पुलिस की शुरूआती सशक्त भूमिका ही रहा है। बेहतर हो कि सरकार ऐसे मामलों के लिए के लिए पुलिस उप-अधीक्षक स्तर के अधिकारी को ही विवेचना का दायित्व सौंपे और इसके लिए फास्ट-ट्रेक कोर्ट बनाए, तभी इस तरह के किसी कानून की सार्थकता साबित होगी!       
  दुष्कर्म के मामलों में फलहाल कानून में धारा 376 लगाईं जाती हैं। लेकिन, नया विधेयक यदि कानून बना तो गृह विभाग इसमें दो नए प्रावधान 376 ए-ए तथा 376 बी-ए जोड़ेगा! ऐसी स्थिति में इस धारा के तहत 12 साल से कम उम्र की बालिकाओं के साथ दुष्कर्म के आरोपी को मृत्यु दंड तक की सजा सुनाई जा सकेगी। आरोपी को एक लाख रुपए का जुर्माना भी भरना होगा। नए प्रावधान के मुताबिक इस मामले में लोक अभियोजक को सुनवाई का अवसर दिए बिना आरोपी को जमानत भी नहीं मिलेगी। सरकार ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध जैसे शादी के बाद दुष्कर्म, छेड़छाड़, पीछा करना आदि के लिए कठोर कानून बनाने और संशोधन करने का प्रस्ताव भी विधेयक में किया है।
 इस विधेयक पर पहले भी विचार किया गया था। यह प्रस्ताव गृह विभाग में कैबिनेट की पिछली बैठक में रखा गया था। लेकिन, उस दौरान कुछ मंत्रियों ने इस पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि इसमें सुधार की जरुरत है। क्योंकि, अपराध करने के बाद कानून के डर से वो पीड़िता की हत्या भी कर सकते हैं! काफी हद तक ये बात सही भी है। ऐसे में सरकार ने भरोसा भी दिलाया कि मामले की पूरी छानबीन होने के बाद ही सजा सुनाई जाएगी ऐसे में इसका दुरूपयोग नहीं हो पाएगा। लेकिन, सजा से बचने के लिए आरोपी और उन्हें बचाने वाले हरसंभव कोशिश करते हैं और यदि ये कानून बन गया तो इसमें भी यही होगा! इसलिए सबसे ज्यादा जरुरी ही कि पुलिस विवेचना इतनी पुख्ता हो कि दुष्कर्म का कोई भी आरोपी कानून के हाथ से बचकर न निकल सके! 
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