Monday 9 March 2020

हर दौर में रंगों से सराबोर रहा फिल्मों का परदा!

- एकता शर्मा

   होली और हिंदी फिल्मों का साथ बहुत पुराना है। क्योंकि, फिल्मों और त्यौहारों का आपस में जबरदस्‍त रिश्ता रहा है। कहानी में खुशी के पल दिखाना हो, बिछोह के बाद मिलन का दृश्य हो या किसी से बदला लेना हो! सभी के लिए होली सबसे अच्छा बहाना रहा है। होली से जुड़ा एक पहलू यह भी है कि कुछ फिल्मकारों ने इसे कहानी बढ़ाने के लिए उपयोग किया, तो कुछ ने टर्निंग प्वाइंट के लिए। कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने इसे सिर्फ मौज-मस्ती और गाने फिट करने के लिए फिल्म में डाला। कुछ सालों से फ़िल्मी कथानक में होली का प्रसंग कम जरूर हुआ, पर ख़त्म नहीं हुआ! अभी जैसी फ़िल्में बन रही है, उसमें त्यौहारों की गुंजाइश बहुत कम हो गई! आज के युवा दर्शक भी अब त्यौहारों के प्रति कम ही रूचि दिखाते हैं! यही वजह है कि फिल्मों के परदे से होली बिदा होती नजर आ रही है। हाल की फिल्मों में अग्निपथ, जॉली एलएलबी-2 और 'वार' में ही होली गीत दिखाई दिए, पर उनका फिल्म की कहानी से कोई जुड़ाव नहीं दिखा! 
   राजकुमार संतोषी ने ‘दामिनी’ में होली दृश्य फिल्म में टर्निंग प्वाइंट के लिए किया था। जबकि, ‘आखिर क्यों’ के गाने ‘सात रंग में खेल रही है दिल वालों की होली रे’ और ‘कामचोर’ के ‘मल दे गुलाल मोहे’ में निर्देशक भी इससे फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाया था। होली के दृश्य और गीत फिल्म की मस्ती को बढ़ाने के लिए फिल्माए जाते रहे हैं। ऐसी फिल्मों में ‘मदर इंडिया’ भी है, जिसका गाना ‘होली आई रे कन्हाई’ याद किया जाता है। ‘नवरंग’ का ‘जा रे हट नटखट’, ‘फागुन’ का ‘पिया संग होली खेलूँ रे’ और ‘लम्हे’ का ‘मोहे छेड़ो न नंद के लाला’ गाने ने भी होली का फिल्मों में प्रतिनिधित्व किया।
  होली जैसे रंग-बिरंगे त्यौहार में फ़िल्मी गीत मस्‍ती का तड़का लगा देते हैं। जब भी होली के गानों की बात छिड़ती है, जहन में ऐसे कई गीत आते हैं, जो यादों को रंगीन बना देते हैं। भागी रे भागी रे भागी बृजबाला ... कान्हा ने पकड़ा रंग डाला, रंग बरसे भीगे चुनरिया वाली और होली के दिन दिल मिल जाते हैं जैसे आइकॉनिक गीत भला कौन भूल सकता है! 'ये जवानी है दीवानी' का गाना 'बलम पिचकारी' और 'रामलीला' का गाना 'लहू मुंह लग गया' भी काफी लोकप्रिय रहा। जब से फ़िल्में बनना शुरू हुई, होली एक ऐसा त्यौहार रहा जिसे जमकर भुनाया गया। होली आयोजन का आधार रहे भक्त प्रहलाद पर भी फ़िल्में बनी हैं। 
    पहली बार 1942 में चित्रपू नारायण मूर्ति ने तेलुगु में ‘भक्त प्रहलाद’ बनाई थी। 1967 में इसी नाम से हिंदी फिल्म बनी। फिल्म इतिहास बताता है कि ‘होली’ और 'फागुन’ नाम से दो बार फिल्म बनी, जिसमें होली दिखाई गई थी। जहाँ तक परदे पर रंगीन होली की बात है, तो पहली टेक्नीकलर फ़िल्म 'आन' 50 के दशक में आई थी! इसमें दिलीप कुमार और निम्मी की होली दिखाई दी! 1958 की 'मदर इंडिया' में भी होली हुई और 'होली आई रे कन्हाई' गीत सुनाई दिया। वी शांताराम ने 'नवरंग' में होली का अनोखा रंग दिखाया था। 1959 की इस फ़िल्म में संध्या ने 'चल जा रे हट नटखट' पर नृत्य किया जो अविस्मरणीय था। 
   इसके बाद फ़िल्म कोहिनूर, गोदान और 'फूल और पत्थर' में भी होली गीत सुनाई दिए। राजेश खन्ना और आशा पारेख की फ़िल्म 'कटी पतंग' में राजेश खन्ना होली पर आशा पारेख को न छोड़ने की बात करते हुए 'आज न छोड़ेंगे बस हमजोली, खेलेंगे हम होली' गाते हैं। वहीदा रहमान और धर्मेन्द्र की फ़िल्म 'फ़ागुन' में भी 'फ़ागुन आयो रे' गीत था। अमिताभ बच्चन ने भी 'नमक हराम' में 'नदिया से दरिया' रेखा और राजेश खन्ना के साथ गाया था। 1975 में आई 'शोले' में डकैत होली के दिन ही गांव पर हमला करते हैं। फिल्म में 'होली के दिन दिल खिल जाते हैं' आज भी सुनाई देता है। सुनील दत्त 'ज़ख़्मी' में 'आई रे आई रे होली आई रे' गाते नज़र आए। थे 
  बासु चटर्जी ने 'दिल्लगी' में धर्मेन्द्र पर होली गीत फिल्माया था। इस गाने को होली का एंथम भी कहा जाता है। यश चोपड़ा की फिल्म 'सिलसिला' का अमिताभ, रेखा और संजीव कुमार पर फिल्माया 'रंग बरसे भीगे चुनर वाली' होली गीत आज पहले नंबर पर है। 'राजपूत' का गीत 'भागी रे भागी बृज बाला' पसंद किया जाता है। राकेश रोशन की फ़िल्म 'कामचोर' का गीत 'रंग दे गुलाल मोहे' होली पर रिश्तों का रंग बताता है। परदे पर होली का रंग बिखेरने वालों में अमिताभ बच्चन का नाम सबसे आगे है। रेखा के साथ ‘सिलसिला’ में, हेमा मालिनी के साथ ‘बागबां’ में परदे को रंगीन किया। अमिताभ ने ‘वक्त’ में अक्षय कुमार और प्रियंका चोपड़ा के साथ ‘डू मी ए फेवर, लेट्स प्ले होली’ गाते हुए भी खासे जँचे। धर्मेंद्र और हेमा मालिनी ने भी होली को फिल्मों में रंगीन बनाया। इस जोड़ी पर फिल्माया फिल्म ‘शोले’ का गीत ‘होली के दिन दिल खिल जाते हैं’ आज भी होली की मस्ती दिखाते हैं। इसके बाद इस जोड़ी ने फिल्म ‘राजपूत’ में भी 'कान्हा ने पकड़ा रंग डाला’ गाकर होली खेली।
   'मशाल' में सड़क छाप होली के सीन उल्लेखनीय थे। अनिल कपूर और रति अग्निहोत्री पर फ़िल्माए गीत को लोग याद रखते हैं। फ़िल्म 'आख़िर क्यों' के गाने 'सात रंग में खेले' में स्मिता पाटिल के साथ राकेश रोशन और टीना मुनीम भी नज़र आए थे। 1993 में आई फ़िल्म 'डर' का गाना 'अंग से अंग लगाना सजन हमें ऐसे रंग लगाना' में जूही चावला, सनी देओल की मस्ती थी। 'मोहब्बतें' का गाना शहरी होली के इर्द-गिर्द बुना गया था। 2013 'ये जवानी है दीवानी' का गाना 'बलम पिचकारी' और साल 2014 में आई फ़िल्म 'रामलीला' का गाना 'लहू मुंह लग गया' भी युवाओं में लोकप्रिय है।
   राजकुमार संतोषी ने ‘दामिनी’ में होली दृश्य फिल्म में टर्निंग प्वाइंट के लिए किया था। जबकि, ‘आखिर क्यों’ के गाने ‘सात रंग में खेल रही है दिल वालों की होली रे’ और ‘कामचोर’ के ‘मल दे गुलाल मोहे’ में निर्देशक भी इससे फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाया था। होली के दृश्य और गीत फिल्म की मस्ती को बढ़ाने के लिए फिल्माए जाते रहे हैं। ऐसी फिल्मों में ‘मदर इंडिया’ भी है, जिसका गाना ‘होली आई रे कन्हाई’ याद किया जाता है। ‘नवरंग’ का ‘जा रे हट नटखट’, ‘फागुन’ का ‘पिया संग होली खेलूँ रे’ और ‘लम्हे’ का ‘मोहे छेड़ो न नंद के लाला’ गाने ने भी होली का फिल्मों में प्रतिनिधित्व किया था। 
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