Saturday 20 July 2019

कंगना जहाँ खड़ी होती है, वहीं से शुरू होते हैं विवाद!

- एकता शर्मा 
   कंगना ने अपने करियर में कई सफल फ़िल्में दी! अपने अभिनय से उन्होंने परदे पर अलग पहचान बनाई! ये साबित किया कि फ़िल्में चलाने के लिए हमेशा हीरो की जरुरत नहीं होती! लेकिन, अपनी लाजवाब एक्टिंग के अलावा कंगना अपने बयानों, लव लाइफ और अफेयर्स को लेकर चर्चा में ज्यादा रहती हैं। दरअसल, कंगना रनौत विवादों की विरासत है। अमिताभ बच्चन के 'कालिया' फिल्म के एक डायलॉग को थोड़ा बदला जाए तो कहा जा सकता है कि 'कंगना जहाँ खड़ी होती है, विवाद वहीँ से शुरू होते हैं!' दरअसल, उनके विवादों का कोई अंत नहीं है! एक ख़त्म नहीं होता और दूसरा शुरू हो जाता है! अपने करीब 15 साल के फिल्म करियर में कंगना रनौत जितनी विवादास्पद रहीं, बॉलीवुड में उतना कभी कोई नहीं रहा! उन्होंने जिस भी फिल्म में काम किया कोई पंगा जरूर हुआ! लेकिन, इस बार वे एक पत्रकार से भिड़ंत को लेकर चर्चा में हैं। अपनी फिल्म 'जजमेंटल है क्या?' के प्रमोशन के समय एक पत्रकार के सवाल पर इतना उलझीं कि एडीटर्स गिल्ड ने उनका बायकॉट तक कर दिया! 
    कंगना को अपनी होम प्रोडक्शन फिल्म 'मणिकर्णिका' पर की गई उस पत्रकार की टिप्पणी से एतराज था! ये एकता कपूर की फिल्म है, इसलिए उनकी कंपनी ने बकायदा माफीनामा जारी करके विवाद शांत करने की कोशिश की, तो कंगना की बहन रंगोली ने विवाद को नए सिरे से हवा दे दी!  कंगना की बहन रंगोली ने ट्वीटर पर पत्रकारों को देशद्रोही तक कहा। उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से पत्रकारों को लिखा कि कंगना उनसे कभी माफी नही मांगेगी! एक बात का मैं वादा करती हूं कि कंगना से इन बिकाऊ, नंगे, देशद्रोही, देश के दलाल, लिबरेटेड, मीडियावालों को माफ़ी तो नहीं मिलेगी, मगर वो तुमको धो-धो कर सीधा जरूर करेगी! …जस्ट वेट एंड वॉच .. तुमने गलत इंसान से माफी मांगने के लिए कहा है। ट्वीटर पर जब लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी, तो जवाब में रंगोली ने ट्वीट किया कि कंगना भाजपा और मोदी की समर्थक है, इसलिए लोग उनकी जान के दुश्मन बने हुए हैं। मोदी को सपोर्ट करने के बाद लिबरल्स कंगना की जान के दुश्मन बन गए हैं।
  ये पहली बार नहीं हुआ, जब कंगना रनौत के साथ कोई विवाद चस्पा हुआ हो! वे अपने रिलेशन और बेबाक बातों को लेकर हमेशा ही सुर्खियां बनती रही हैं! जिस 'जजमेंटल है क्या' फिल्म की प्रेस कांफ्रेंस में विवाद हुआ, उसी फिल्म के लिए अपने सोलो पोस्टर को लेकर भी उलझन हो चुकी है। कंगना चाहती थी कि फिल्म के पोस्टर पर उनका अकेले का फोटो हो! बात यहाँ तक बढ़ गई थी कि कंगना ने फिल्म की शूटिंग तक रोक दी थी। लेकिन, बाद में मामला सुलझ गया! पुलवामा में सेना पर हुए आतंकवादी हमले पर भी विवादित बयान देकर कंगना रनौत सुर्खियां बनी थी। कंगना ने कहा था कि पाकिस्तान से हमें कोई वास्ता नहीं रखना चाहिए। साथ ही शबाना आजमी को उन्होंने एंटी-नेशनल बताया था। कंगना सबसे पहले रितिक रोशन से अपने खुले झगडे के लिए सबकी नजर में आई थी! कंगना का तो यहाँ तक कहना था कि रितिक से उनका अफेयर था और सुजैन के अलग होने की वजह भी वही थीं! लेकिन, रितिक ने उनसे दूरी बना ली! बताते हैं कि कंगना ने उनके पिता राकेश रोशन से भी संपर्क किया था लेकिन राकेश ने ये साफ कर दिया था कि रितिक की उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। रितिक का कहना था कि 'कृष-3' की आउटडोर शूटिंग के समय कंगना ने शराब के नशे में सबके सामने भारी हंगामा किया था। रितिक का तो ये भी कहना था कि कंगना की बहन रंगोली ने बताया कि वो एस्परजर्स सिंड्रोम (एक तरह की मानसिक परेशानी) की शिकार हैं। पर, ये बात रितिक किसी को न बताएं।
  बॉलीवुड में अपने शुरूआती दौर में कंगना का अफेयर आदित्य पंचोली से था! जो उससे करीब 25 साल बड़ा है। ये अफेयर कई सालों तक रहा। इस बीच कंगना ने आदित्य पंचोली के खिलाफ धोखाधड़ी और उनका गलत इस्तेमाल करने की शिकायत दर्ज कराई! इसे लेकर आदित्य और कंगना आमने-सामने तक आ गए थे। आदित्य पंचोली से ब्रेकअप के बाद शेखर सुमन के बेटे अध्ययन सुमन का अफेयर शुरू हुआ। ये अफेयर भी कुछ महीनों ही चला! 'राज़-2' फिल्म में दोनों साथ नजर भी आए थे। ब्रेकअप के बाद अध्ययन ने कंगना पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। अध्ययन का कहना था कि कंगना ने मेरे और पापा के खिलाफ गलत भाषा का इस्तेमाल किया था। वो बहुत ज्यादा ड्रग्स लेती हैं! दिनभर रितिक को कोसती रहती हैं। उसने यहाँ तक कहा था कि कंगना ने मेरे ऊपर काला जादू का इस्तेमाल किया, जिससे मेरा करियर आगे नहीं बढ़ पाया! खुद की होम प्रोडक्शन की फिल्म 'मणिकर्णिका' के डायरेक्टर क्रिश से भी उनकी झड़प हो गई थी! हालात यहाँ तक पहुंचे कि डायरेक्टर ने फिल्म छोड़ दी! फिल्म की करीब 90% शूटिंग करने के बाद क्रिश ने फिल्म छोड़ छोड़ दी! इसके बाद कंगना ने खुद फिल्म डायरेक्ट की और फिल्म के  कई सीन को फिर से शूट किया। विवाद तब ज्यादा बढ़ा, जब फिल्म के पोस्टर्स से क्रिश का नाम ही गायब था।
  करण जौहर के चैट शो 'कॉफी विद करण' में भी कंगना ने बॉलीवुड के बारे में अपनी राय रखते हुए सभी स्टार किड्स को निशाने पर लिया था। उनके इस बयान के बाद पूरा बॉलीवुड उनके खिलाफ ही हो गया था! सोशल मीडिया पर भी कंगना लोगों के निशाने पर रही! कंगना और उनकी बहन के इस रवैये से ये अहसास हो रहा है कि वे भारत में भी 'कांस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ जैसी परिपाटी लागू करना चाहती हैं! इस फिल्म फेस्टिवल में पत्रकार किसी की आलोचना नहीं कर सकता! किसी से भी प्रेस कांफ्रेंस में उसके खिलाफ सवाल नहीं कर सकता! ऐसा करने पर फेस्टिवल के आयोजक उस पत्रकार का बायकॉट करते है। उसके बाद पत्रकार किसी भी प्रेस कांफ्रेंस या फिल्म के शो में घुस नहीं सकता! 

Saturday 13 July 2019

'कबीर सिंह' का ये नकारात्मक पक्ष भी तो देखिए!

- एकता शर्मा   
 
   हमारे यहाँ फिल्मों में महिला किरदारों के साथ दुर्व्यवहार और हिंसात्मक दृश्यों का मुद्दा अकसर उठता रहा है। कई बार ये बात भी सामने आई जिसमें कहा गया कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध में कहीं न कहीं फिल्मों की भूमिका है! वास्तव में 'कबीर सिंह' जैसी फ़िल्में ही इस तरह की बुराई को बढ़ावा देती हैं। ये फिल्म बिजनेस के नजरिए से सुपरहिट हुई है! लेकिन, इस फिल्म के बहाने ये मुद्दा एक बार फिर उठा है! कई महिला संगठनों और जागरूक महिलाओं ने इस बात को उठाया कि फिल्मों में महिला किरदारों को दोयम दर्जे का क्यों रचा जाता है? सिरफिरा नायक नशा करने के बाद अपनी हरकतों को सबसे ज्यादा नायिका पर ही क्यों आजमाता है? 'कबीर सिंह' का नायक भी फिल्म की नायिका को अपनी जागीर समझकर उस पर अपनी इच्छाएं लादता है और अपनी मर्दानगी दिखाता है! जिसकी जरुरत नहीं थी!
   फिल्मों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से बचकर ही समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार किया जा सकता है। जिस तरह से फिल्म में महिलाओं से जुड़े दृश्य दिखाए जाते हैं, इसका लोगों पर असर होता है। क्योंकि, सामान्य जीवन में भी महिलाओं को ऐसी घटनाओं से गुजरना पड़ता है। ऐसी स्थिति सामने नहीं आए, इसके लिए जरूरी है कि फिल्मों में ऐसे दृश्यों से बचा जाए। फिल्मों के कलाकारों को भी इस मामले में समझने की जरुरत है। महिला विरोधी फ़िल्मी दृश्यों से महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं। दर्शक फिल्म खुद भी वैसा ही करने की कोशिश करते हैं। इसलिए कि हमारे समाज में फिल्म बेहद सशक्त माध्यम है, ऐसे में इसका बेहद गंभीरता से इस्तेमाल होना चाहिए। जिससे लोगों में अच्छा संदेश जाए। जो लेखक और गीतकार डायलॉग या गीत लिखते हैं, उन्हें सबसे पहले अपनी परिवार की महिलाओं के बारे में सोचना चाहिए। निश्चित रूप से यदि वे एक बार सोच लेंगे तो उनका शब्दों का चयन सुधर जाएगा। फिल्मों के साथ-साथ टीवी पर आने वाले सीरियल और विज्ञापन भी काफी असर डालते हैं।  इनका सही इस्तेमाल बेहद जरूरी है। फिल्म के डायलॉग, गाने सभी का अपना असर होता है। लोगों में कहीं इनका गलत असर नहीं जाए इससे बचने के लिए जरूरी है कि फिल्मकार इसको लेकर गंभीर बने। इसमें सुधार के जरिए महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कम किया जा सकता है।
   कुछ दिनों पहले एक टीवी चैनल पर चर्चा चल रही थी कि 'ग्रेंड मस्ती' फिल्म समाज को दिखाने योग्य है या नहीं? यह विचार भी सामने आया कि इससे युवा मन गलत दिशा की तरफ आकर्षित होगा! उसी तरफ दौड़ेगा, गिरेगा और अपराध भी करेगा! तर्क यह भी दिया गया था कि क्या महिला का नग्न शरीर मनोरंजन का आधार बन सकता है? अधिकतर लोगों का मत था कि ऐसी फिल्में और महिलाओं के सम्मान के साथ ऐसा घिनौना व्यवहार कभी भी सहा नहीं जा सकता! लेकिन, एक फिल्म समीक्षक ने सभी सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ने की वकालत कर दी। उनका कुतर्क था कि फिल्म वयस्कों के लिए है, जो देखना चाहे वही देखे! दर्शक ऐसी फ़िल्में पसंद करते हैं। किसी के सिर पर बंदूक रखकर उसे जबरन फिल्म नहीं दिखाई जा रही। उनका तो यह भी कहना था कि आज सेंसर बोर्ड की जरूरत नहीं है! विदेशों में भी फिल्म सेंसर को ही नकारा जा रहा है। जब इंटरनेट पर ये आसानी से मिलता है, तो फिर 'ग्रेंड मस्ती' जैसी फिल्मों को दिखाने में कोई हर्ज नहीं। लेकिन, ऐसे तर्क देने वाले भूल जाते है कि महिलाओं के सम्मान के जो मापदंड भारत में है, वह पश्चिम में नहीं है। जिस देश में यह कह दिया जाए कि मनोरंजन के लिए सबकुछ ठीक है! जो बिकेगा, वही दिखेगा, जनता जो देखना चाहती है वही कलाकार दिखाएगा! तो फिर गली-गली नशाखोर और महिला उत्पीड़न करने वाले 'कबीर सिंह' पैदा होंगे, उनका क्या करोगे? इसका जवाब है किसी के पास?
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जायरा का फैसला गले नहीं उतरा, शादी करके तो कई ने फ़िल्में छोड़ी!

- एकता शर्मा

    बॉलीवुड में काम करना या न करना न करना किसी का निहायत निजी मामला है। कोई कलाकार कभी भी काम छोड़ सकता है, फिर चाहे कारण कोई भी हो! लेकिन, 'दंगल' गर्ल जायरा वसीम का बॉलीवुड छोड़ने को लेकर जो कारण दिया गया, वो किसी के गले नहीं उतर रहा! उन्होंने धार्मिक आजादी की मंशा को लेकर फिल्मों में काम न करने का फैसला किया है! वैसे ये उनका निजी फैसला है, पर ऐसा नहीं जो किसी के गले उतरे! लेकिन, देखा गया है कि बॉलीवुड छोड़ने में हीरोइनों हमेशा ही आगे रही हैं! ज्यादातर हीरोइनों ने शादी के बाद फिल्मों में काम करना छोड़ा है!      
    जायरा वसीम के व्यक्तिगत फैसले पर टिप्पणी करने का अधिकार किसी को नहीं है। इस पर सवाल उठाने का हक होना भी नहीं चाहिए! एक्टिंग करना या न करना किसी की पर्सनल चॉइस है। लेकिन, धार्मिक आजादी को मुद्दा बनाकर फिल्मों में काम करना छोड़ना सवाल खड़े करता है! क्योंकि, ऐसा कौनसा धर्म है, जिसने जायरा को काम करने आजादी नहीं दी! क्या एक्टिंग करने से भगवान या अल्लाह से हमारा रिश्ता टूट जाता है? जायरा वसीम के बॉलीवुड छोड़ने की घोषणा के बाद ही फ़िल्मी दुनिया में नई तरह की बहस शुरू हो गई है। किसी को जायरा का फैसला सही लग रहा है, कोई इसके खिलाफ खड़ा हो गया! बताते हैं कि जायरा वसीम को टीवी के रियलिटी शो 'बिग बॉस' के अगले सीजन के लिए अप्रोच किया गया है। 'बिग बॉस' ऐसा शो है जिसमें हमेशा विवादास्पद लोगों को मौका दिया जाता है। अभी कह नहीं सकते कि ये खबर सही है या गलत! लेकिन, यदि सही है, तो इसके पीछे शो के प्रोड्यूसर का मकसद उस सच्चाई को सामने लाना होगा जो जायरा वसीम के बॉलीवुड छोड़ने का सही कारण है! समझा जा रहा है कि वे बॉलीवुड छोड़ने को लेकर वे और भी कारणों का खुलासा कर सकती हैं।
  जायरा वसीम पहली ऐसी एक्ट्रेस है, जिसने धर्म को आधार बनाकर बॉलीवुड छोड़ने का एलान किया! उनके अलावा दो और एक्ट्रेस हैं, जिनके फ़िल्में छोड़ने का कारण शादी के अलावा कुछ और रहा था! अपने बिंदास अंदाज के लिए मशहूर ममता कुलकर्णी ने बहुत सी हिट फिल्मों में काम किया! जैसे करण-अर्जुन, सबसे बड़ा खिलाड़ी, नसीब, और चाइना गेट। ममता की बॉलीवुड छोड़ने की वजह था उनका एक फिल्म पत्रिका के कवर पेज पर छपा टॉपलेस फोटो। इसके बाद ममता खासी चर्चा में रही और इसके लिए उन्हें जुर्माना भी देना पड़ा। बाद में उन्होंने अपने आपको भगवान की भक्ति में लगा दिया। ममता ने एक किताब भी लिखी जिस का नाम 'आटोबायोग्राफी ऑफ़ एन योगिन।' 90 के दशक में 'वीराना' फिल्म की एक्ट्रेस जैसमीन ने भी अचानक बॉलीवुड को अलविदा कह दिया था। 
  'हीरो' जैसी सुपरहिट फिल्म की हीरोइन मीनाक्षी शेषाद्रि ने भी अपने कैरियर के शिखर पर बैंकर हरीश मैसूर से शादी की और अमेरिका में बस गईं। फिलहाल वे डांस क्लासेस चलाती हैं। उन्होंने 1983 में 'पेंटर बाबू' से डेब्यू किया था। नम्रता शिरोडकर ने 2005 में साउथ के एक्टर महेश बाबू से शादी की थी। उन्होंने 'मेरे दो अनमोल रतन' से डेब्यू किया था। इसके बाद कच्चे धागे, वास्तव, पुकार, ब्राइड एंड प्रिज्युडिस, अस्तित्व, तेरा मेरा साथ रहे जैसी कई फिल्मों में काम किया। 'स्वदेश' से शाहरुख़ के डेब्यू करने वाली गायत्री जोशी ने भी 2005 में ओबेरॉय कंस्ट्रक्शन के विवेक ओबेरॉय से शादी की। अब इनके दो बेटे हैं। गायत्री भी अपने पति के बिजनेस में हाथ बटाती हैं। 
 पुराने पन्ने पलटें तो सायरा बानों ने भी दिलीप कुमार से 1996 में शादी के बाद फ़िल्मों में ज्यादा काम नहीं किया। बबिता ने 19 फिल्मों में काम करने के बाद 23 साल की उम्र में रंधीर कपूर से शादी की और फिल्मों को अलविदा कह दिया। नीतू सिंह ने अपना करियर चाइल्ड एक्टर के तौर पर शुरू किया था। बाद में लीड एक्ट्रेस के तौर पर काम किया। उन्होंने 21 साल की उम्र में उनसे शादी कर ली। उन्होंने फ़िल्म 'दो दुनी चार' से कमबैक किया था।  अभिनय छोड़ने वाली अभिनेत्रियों में संगीता बिजलानी भी थी जिन्होंने 1996 में क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन से शादी की थी। संगीता ने 1988 में 'कातिल' से डेब्यू किया था। ट्विंकल खन्ना ने 2001 में अक्षय कुमार से शादी की। ट्विंकल ने 1995 में फिल्म 'बरसात' से अपने करियर की शुरुआत की थी। इसी तरह असीन ने 2016 में बिजनेसमैन राहुल शर्मा से शादी की। उन्होंने 'गजनी' से अपने करियर की शुरुआत की थी। फिलहाल वे अपनी फैमिली में बिजी हैं। ईशा कोपिकर की गिनती बॉलीवुड में उन एक्ट्रेसेस में की जाती है, जिन्होंने शादी के बाद कोई फिल्म नहीं की। ईशा ने 2009 में बिजनेसमैन टिम्मी नारंग से शादी की। शादी के बाद ईशा ने बॉलीवुड को अलविदा कह दिया। अमृता अरोड़ा ने 2009 में बिजनेसमैन शकीक लड़क के शादी की। उन्होंने भी शादी के बाद कोई फिल्म नहीं की। सोनाली बेंद्रे ने 2002 में एक्टर डायरेक्टर गोल्डी बहल से शादी की। शादी के कुछ दिन बाद 'कल हो न हो' जैसी फ़िल्मों में कैमियो किया और टीवी पर 'इंडियाज़ बेस्ट ड्रामेबाज़' जैसे शो को जज करती नज़र आई। लम्बे समय तक माधुरी दीक्षित भी शादी के बाद फिल्मों से दूर रही हैं! 
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बच्चे को सिर्फ प्यार ही न दें, उसकी सुरक्षा भी करें!



 बाल यौन शोषण

- एकता शर्मा
र तरह के अपराध का एक अपना अलग मनोविज्ञान होता है। अपराध करने वाले की शारीरिक भावभंगिमाएं और उनकी नजरें इस बात की चुगली करती हैं कि वे कोई वारदात करने की मंशा में हैं! लेकिन, बाल यौन शोषण ऐसा अपराध है, जिसके अपराधी को न तो नजर से परखकर पहचाना जा सकता है और न उसकी भंगिमाएं ही आम अपराधियों जैसी होती है! समाज के अंदर पनपता ये सबसे वीभत्स अपराध है। वहीं ये पनपता है और समाज ही इसे छुपाता भी है! कहा जा रहा है कि आजकल ऐसी घटनाएं ज्यादा बढ़ गई है! ये बात कुछ हद तक सही है, पर घटनाओं के सामने आने का मुख्य कारण समाज में आई जागरूकता भी है! लेकिन, सबसे बड़ा सवाल है कि ऐसी घटनाओं से बच्चों को बचाया कैसे जाए? इसलिए कि ये ऐसा अपराध है, जिसका दोषी कहीं भी हो सकता है!
   आए हर दिन बच्चों के साथ होने वाली यौन शोषण की घटनाएं सामने आती हैं। बाल यौन शोषण देश और समाज की कितनी बड़ी समस्या है, इसका सहजता से अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता! कहा जाता है कि रोजाना चार में से एक लड़की और छह में से एक लड़के के साथ बाल्यावस्था में यौन शोषण होता है। बच्चों की मासूमियत का फ़ायदा उठाने वाला या तो कोई परिवार का व्यक्ति है, परिचित होता है या ये घटना स्कूल में घटती है। शोषक का परिचित होना ही, इस तरह की घटनाओं के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण माना जा सकता है। क्योंकि, बच्चा उस पर सहजता से भरोसा कर लेता है और बहलावे में आ जाता है। ऐसी घटनाओं में सामान्यतः बच्चे ये नहीं समझ पाते कि उनके साथ जो हो रहा है, वो गलत है। वो परिवार के व्यक्ति, परिचित व्यक्ति या स्कूल में बिना समझे शोषित हो जाता है!
  आज के हालात में परिवार के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है कि वे अपने बच्चों को प्यार के अलावा उनकी सुरक्षा पर भी अतिरिक्त ध्यान दें! देखा गया है कि परिवारों में बच्चों की हर फरमाइश को तो पूरा करने की कोशिश होती है, पर बच्चे के मनोभावों को नहीं परखा जाता! कामकाजी परिवारों में ये समस्या सबसे ज्यादा है। जहाँ पति और पत्नी दोनों ही अपने काम में व्यस्त रहते हैं और बच्चों को सँभालने की जिम्मेदारी या तो झूलाघर वालों की होती है या घर में किसी सर्वेंट की! पति-पत्नी दोनों अपने बच्चे की सुरक्षा और देखभाल से निश्चिंत हो जाते हैं, पर समस्या यहीं से शुरू होती है। बच्चा झूलाघर या घर में होने वाले उस कथित शोषण को समझ नहीं पाता! ये घटना बाद में कभी पकड़ में जरूर आती है, पर तब सिवाय हाथ मलने के और कुछ नहीं होता! ऐसी स्थिति में जरुरी है कि बच्चे को उसकी शोषण से सुरक्षा के लिए अच्छे और बुरे में फर्क़ करना सिखाना जाए! कई परिजनों को संकोच होता है कि यौन शोषण जैसी बातों की समझ के लिए उनका बच्चा अभी बहुत छोटा है। ये धारणा कई सभ्रांत परिवारों में देखी गई है! वे तो इसे कोई समस्या ही नहीं मानते! ऐसे में बच्चों के यौन शोषण के शिकार हो जाने की आशंका ज़्यादा बढ़ जाती है। क्योंकि समाज, परिवार और बच्चे के परिवेश में मौजूद यौन शोषक इसी अज्ञानता का फ़ायदा उठाने  नहीं चूकते!
  कुछ ऐसी बातें हैं, जो हर परिवार को अपने बच्चों को निसंकोच बताना जरुरी है! इसलिए कि हमारे देश में यौन शिक्षा अभी शर्म के दायरे से बाहर नहीं निकल सकी है! इसलिए परिवार का ही दायित्व है कि अपने बच्चों को वो जानकारियां जरूर दें, जो उसकी सुरक्षा और के लिए जरुरी है! लड़कों के मुकाबले लड़कियों को ये जानकारी विस्तार और संभावित खतरे को देखते हुए देना सबसे ज्यादा जरुरी है! बच्चों को 'गुड़ टच' और 'बेड टच' तक ही सीमित न रखें, उसके आगे भी उन्हें खुलकर बताएं कि क्या सही है क्या गलत! बच्चे को बताएं कि किसी गैर व्यक्ति की गोद में न बैठे, जबरदस्ती करे तो घर के किसी सदस्य को तत्काल बताएं! बच्चे जब बाहर खेलने जाएँ, तो ध्यान रखें कि वे कहाँ और क्या खेल रहे हैं! बच्चा यदि किसी से मिलने असहज महसूस करता है तो उसकी अनदेखी करें और न दबाव बनाएं! पता जरूर करें कि इसके पीछे क्या कारण है! इसके अलावा किसी के प्रति ज्यादा लगाव तो भी ध्यान दें कि ऐसा क्यों है! यदि बच्चा खामोश रहने लगे और दोस्तों से कटने लगे तो भी कारण पता लगाने की कोशिश करें!   
   इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चा किस तरह की किताबें पढ़ने में रूचि ले रहा हैं और वो टीवी के कौनसे प्रोग्राम देखने में उसकी रूचि हैं, इस बात पर भी ध्यान दें। यदि बच्चा किसी अन्य बच्चे, परिवार के किसी सदस्य या किसी टीचर की शिकायत करता है, तो उसकी अनदेखी न करें, उसे गंभीरता से लें और सही कदम उठाएं। बच्चे को ये भी बताएं कि वो हर बात निसंकोच बताए! जहाँ तक संभव हो, उसका दोस्त बन कर रहें, ताकि ऐसा कुछ होने पर बताने में उसे झिझक न हो! ! ध्यान देने वाली बात ये भी है कि बच्चे के सामने यौन जानकारी खतरनाक रूप न ले! उसे खुद ही इस बारे में शिक्षित करें और इसकी अच्छाई और बुराई से अवगत कराएं! पेरेंट्स का सिखाना इसलिए जरुरी है कि ऐसे मामलों में जो शिक्षा पेरेंट्स दे सकते हैं, वो किसी और से संभव नहीं है! हो सकता है, बाहर वाले की शिक्षा को बच्चा गलत नजरिए से ले!
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Thursday 4 July 2019

आधे साल में तीन फिल्मों का कमाल!

- एकता शर्मा 

  बॉलीवुड में इस बार शुरूआती छह महीने में तीन फिल्मों ने कमाई के मामले में कमाल कर दिया। उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक, भारत और कबीर सिंह ने बता दिया कि अब दर्शकों की पसंद बदल रही है। क्योंकि, इनमें से कोई भी फिल्म न तो प्रेम कहानी है और न बदले वाली एक्शन फिल्म! आधे साल की सबसे बड़ी हिट तो शाहिद कपूर की 'कबीर सिंह' है, जिसने 5 दिन में सौ करोड़ का कारोबार किया। लेकिन, कुछ फिल्मों ने निराश भी किया। बड़े बजट की फिल्म 'कलंक' के अलावा रॉ, एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, सोनचिरैया, इंडियाज मोस्ट वांटेड जैसी फिल्में भी अपना कोई असर नहीं छोड़ पाई।
   इस साल की पहली छमाही में बॉलीवुड ने कमाई के मामले में अच्छी शुरुआत की! शाहिद कपूर की फ‍िल्‍म 'कबीर स‍िंह' ने बॉक्‍स ऑफ‍िस पर अच्छा कारोबार किया। उनकी ये पहली ऐसी फिल्म है, जिसने सर्वाधिक बिजनेस किया है। इस फिल्म को आम दर्शकों की पसंद का काफी लाभ हो रहा है। इस फ‍िल्‍म ने छह द‍िन में 120 करोड़ की कमाई कर ली है और अभी भी इसकी कमाई में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। बॉलीवुड में पहली तिमाही काफी धमाकेदार रही, जिसमें 1150 करोड़ का कलेक्शन हुआ! दूसरी तिमाही जरूर जरा कम रही, जिसमें अभी तक 640 करोड़ का कलेक्शन बताया जा रहा है। 'उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक, भारत और 'कबीर सिंह' ने इस छमाही में कमाल किया है। सलमान खान की 'भारत' ने अभिनेता के करियर में सबसे बड़ी ओपनर फ़िल्म बनने का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया! आमिर खान की 'ठग्स ऑफ़ हिंदोस्तान' के बाद 'भारत' दूसरी सबसे बड़ी ओपनर बन गई। लम्बे समय बाद दर्शकों का रुख सिनेमाघरों की तरफ होता दिखाई देने लगा! साल 2019 बॉलीवुड में कमाई के लिहाज से काफी शानदार रहा है। इस आधे साल की कमाई का आंकड़ा ही हैरान करने वाला है।   
   2019 की शुरुआत 'उरी : द सर्जिकल स्ट्राइक’ से हुई। इस फ‍िल्‍म की ओपनिंग तो धीमी हुई, लेकिन फिर इस फिल्म ने बॉक्‍स ऑफ‍िर पर धूम मचा दी। विक्‍की कौशल की एक्टिंग और देशभक्ति के विषय पर बनी इस फ‍िल्‍म ने 30 दिन में 207 करोड़ से ज्‍यादा की कमाई की थी। इस साल 'उरी' और 'कबीर सिंह' को मिलाकर कुल 8 फ‍िल्‍मों ने 100 करोड़ क्‍लब में जगह बनाई! जबकि, 200 करोड़ क्‍लब में अभी केवल दो फ‍िल्‍में हैं। बावजूद इसके पहली छमाही में फ‍िल्‍मों ने 1800 करोड़ से ज्‍यादा की कमाई की।
  
शाहिद कपूर की फ‍िल्‍म 'कबीर सिंह' ने 100 करोड़ क्‍लब में जगह बनाई और उससे पहले ईद के मौके पर रिलीज हुई सलमान खान की 'भारत' ने यह कीर्तिमान बनाया था। 'भारत' अभी भी सिनेमाघरों में जमी है और अब तक इसकी कमाई 220 करोड़ हो गई है। उससे पहले अजय देवगन और रकुलप्रीत सिंह की कॉमेडी फ‍िल्‍म 'दे दे प्‍यार दे' ने 100 करोड़ क्‍लब में जगह बनाई थी। इस फ‍िल्‍म ने अब तक 103.55 करोड़ कमाए हैं। रणवीर सिंह की 'गली बॉय' ने बॉक्‍स ऑफ‍िस पर 139.63 करोड़, अजय देवगन की 'टोटल धमाल' ने 155.67 करोड़, अक्षय कुमार की 'केसरी' ने 155.70 करोड़ रुपये कमाए थे।
   कुछ फ‍िल्‍में ऐसी भी रहीं जिन्‍हें पर्दे पर खूब पसंद किया गया, लेकिन वह 100 करोड़ क्‍लब में जगह नहीं बना सकीं। 75 करोड़ से लेकर 100 करोड़ के बीच इन फ‍िल्‍मों की कमाई पर ब्रेक लग गया। कंगना रनौत की 'मणिकर्णिका' और 'लुका छुपी' ने बॉक्‍स ऑफ‍िस पर 94 करोड़ से ज्‍यादा कमाए! जबकि, अमिताभ बच्‍चन की 'बदला' ने 88 करोड़ और वरुण धवन की 'कलंक' ने 83 करोड़ से ज्‍यादा की कमाई की। अभी साल पूरा नहीं हुआ है। आधा साल अभी बाकी है! देखना है कि दूसरी छमाही की तिजोरी में बॉलीवुड के लिए क्या छुपा है!
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शाहिद काबिल एक्टर फिर उनकी फैन फॉलोइंग कमजोर क्यों?

- एकता शर्मा


   शाहिद कपूर को लेकर दर्शक कमीटेड क्यों नहीं हैं, ये बात समझ से परे है। शाहिद जैसे वर्साटाइल एक्टर को लोग गंभीरता से नहीं लेते! उड़ता पंजाब, हैदर और 'पद्मावत' जैसी फिल्मों में अपने किरदार का लोहा मनवाने वाले इस एक्टर को की फैन फॉलोइंग भी रणवीर सिंह जैसी नहीं है! जबकि, वे काफी पहले से परदे पर हैं! लेकिन, अपनी नई 'कबीर सिंह' के जरिए शाहिद ने फिर कमाल कर दिया! इस एक्टर ने अपने अभिनय का जो रंग दिखाया है, वो काबिले तारीफ है! गुस्सैल किन्तु काबिल डॉक्टर किरदार में शाहिद कपूर ने जो एक्टिंग की है, उसने उन्हें अपने समकक्षों से बहुत आगे खड़ा कर दिया! फिल्म की पहले दिन की कमाई ने ये साबित भी कर दिया कि वे अभी चुके नहीं है! शाहिद में अभी बहुत से रंग बाकी हैं!       
  इस बात से नहीं कि शाहिद कपूर और कियारा अडवाणी की फिल्म ‘कबीर सिंह’ ने बॉक्स ऑफिस पर पहले दिन तो धमाल ही कर दिया। दर्शकों को शाहिद और कियारा की लव स्टोरी पसंद आई। अपनी कहानी और दोनों प्रमुख कलाकारों की एक्टिंग से फिल्म दर्शकों को आकर्षित करने में कामयाब हुई है। पहले दिन फिल्म का 20 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस ये साबित भी करता है। संभवतः ये शाहिद की पहले दिन सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म है। फिल्म के जानकारों का मानना हैं की इस फिल्म की कमाई का ग्राफ वीकेंड पर काफी तेजी से बढ़ेगा। यह इस साल की नॉन हॉलिडे में सबसे बड़ी ओपनिंग पाने वाली फिल्म भी बन गई!
    शाहिद कपूर को बॉलीवुड का सबसे टैलेंटेड एक्टर माना जाता है। उन्होंने अपने करियर में कई बड़ी हिट फिल्में दी! कमीने, उड़ता पंजाब, जब वी मेट और 'हैदर' के बाद अब 'कबीर सिंह' को दर्शकों ने पसंद किया है। लेकिन, शाहिद का करियर का ग्राफ अच्छी फिल्मों के बावजूद कभी लगातार ऊपर नहीं चढ़ा! उनको फ़िल्में भी तब मिलती है, जब एक फिल्म हिट हो जाती है! वे रणवीर कपूर की तरह कभी व्यस्त नहीं रहे! बताते हैं कि 'कबीर सिंह' के बाद फिलहाल उनके पास कोई फिल्म नहीं है! अब ये बात अलग है कि इस फिल्म  सफलता उन्हें फिर व्यस्त कर देगी।
  ‘कबीर सिंह’ सुपरहिट तेलगु फिल्म ‘अर्जुन रेड्डी’ (2017) की हिंदी रीमेक हैं। ये एक अलग तरह की लव स्टोरी वाली फिल्म है, जिसमें शाहिद कपूर ने शराबी और गुस्सैल डॉक्टर की भूमिका निभाई है! उसे एक मेडिकल स्टूडेंट कियारा अडवाणी से मोहब्बत हो जाती है। 'कबीर सिंह' को संदीप रेड्डी वांगा ने डायरेक्ट किया है। 'कबीर सिंह' लगभग 60 करोड़ के बजट से बनी है और फिल्म को जिस तरह की शुरुआत मिली है, उससे लग रहा है कि ये बाद में बड़ा करिश्मा कर सकती है। क्योंकि, 'हैदर' और 'उड़ता पंजाब' के बाद शाहिद की एकबार फिर परदे पर धमाकेदार वापसी हुई है। फिल्म की कहानी यूथ को पसंद आएगी। क्योंकि, यही वो उम्र होती है, जिसमे कई ऐसे उतार-चढाव आते हैं जब लोग सही फैसला लेने के बजाए गलत दिशा भटक जाते हैं! नशाखोर डॉक्टर के किरदार में शाहिद ने फिल्म में अपना नया ही रंग दिखाया है!  
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