Monday 15 August 2016

आजादी की जंग का दस्तावेज बनी ये फ़िल्में

 - एकता शर्मा 

 सिनेमा परदे पर समय-समय पर देश की आजादी, उससे जुड़ी घटना या किसी महत्वपूर्ण संदेश को फिल्म का विषय बनाकर परदे पर पेश किया जाता रहा है। काले, सफ़ेद ज़माने की फिल्म 'शहीद' हो या आज की 'रंग दे बसंती!' इन फिल्मों की हर स्तर पर तारीफ भी हुई और दर्शकों की सराहना भी मिली! ये फिल्में जहाँ आज के दर्शकों को आजादी के संघर्ष के सच से परिचित कराती हैं, वहीं देशप्रेम की भावना भी जागृत करती हैं। कुछ फिल्में आजादी की जंग लड़ने वालों की जद्दोजहद को दिखाती रही हैं, तो कुछ फिल्मों में आजादी के बाद के संघर्ष को अपनी कहानी में पिरोया है। यहाँ ऐसी ही कुछ फिल्मों का जिक्र, जो देशप्रेम जगाने के मामले में अव्वल तो रही ही हैं! इन फिल्मों कप बरसों तक याद भी किया जाता रहेगा!  
   गुलामी के बादलों को छांटने के लिए कैसे संघर्ष हुए, यह 'आनंदमठ' फिल्म में पूरे जज्बे से दर्शकों के सामने आया। 'नवरंग' पूरी तरह आजादी के रंग में डूबी फिल्म नहीं थी, मगर अंग्रेजों के अत्याचार इस फिल्म में भी दिखाई दिए! उस दौर के दर्शकों ने जाना कि आजादी के मायने क्या हैं। बॉलीवुड समय-समय पर आजादी का जश्न अपने हिसाब से बनाता रहा। जैसे-जैसे साल-दर-साल बीतते गए आजादी और देशभक्ति की परिभाषा भी बॉलीवुड के परदे पर बदलती गई। पहले जो खलनायक अंग्रेज हुआ करते थे उसकी जगह पड़ोसी देशों के साथ युद्ध और फिर सीमा पार आतंकवाद ने ले ली।
कुछ ऐसी ही फिल्मों का जिक्र जो अपने कथानक और अभिनय के कारण मील का पत्थर बन गई!
* शहीद : आजादी के बाद 1948 में प्रदर्शित हुई, इस फिल्म में स्वतंत्रता संग्राम को दर्शाने की कोशिश की गई थी! इसी दौर में कुछ और फिल्में भी इसी विषय को दर्शाते हुए बनाई गईं, लेकिन 'शहीद' उन सबसे अलग थी! फिल्म के मुख्य कलाकार दिलीप कुमार और कामिनी कौशल थे। फिल्म के निर्देशक थे रमेश सहगल। फिल्म का गाना 'वतन की राह में, वतन के नौजवां शहीद हों!' आज भी हिट है।
* हकीकत : 1964 में प्रदर्शित इस फिल्म में भारत और चीन के बीच 1962 में हुई जंग को आधार बनाया गया था। देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू आज़ादी के बाद चीन को सबसे बड़ा मित्र समझ रहे थे। उस वक्त 'हिन्दी-चीनी भाई-भाई' का नारा भी मशहूर हुआ था, लेकिन 1962 में चीन ने पीछे से वार किया और भारत पर हमला कर दिया। भारत की सेना इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार नहीं थी। इस कारण भारत को हार का मुंह देखना पड़ा। फिल्म का निर्देशन चेतन आनंद का था। कलाकार थे बलराज साहनी, धर्मेंद्र, प्रिया राजवंश, संजय खान और विजय आनंद।
* गांधी : इस फिल्म को आज़ादी (15 अगस्त) और संविधान स्थापना के दिन (26 जनवरी) की परमानेंट फिल्म माना जाता है। 1982 में रिलीज़ हुई इस फिल्म को बनाया था हॉलीवुड के मशहूर निर्माता-निर्देशक रिचर्ड एटनबरो ने। फिल्म में गांधी की भूमिका निभाने वाले बल्कि ब्रिटिश एक्टर थे सर बेन किंग्सले! इसमें महात्मा गांधी के जीवन संघर्ष और स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न पहलुओं को पेश किया गया है। कई भारतीय और विदेशी कलाकारों से सजी इस फिल्म को पूरी दुनिया में सराहना मिली। 55वें ऑस्कर अवार्ड्स में फिल्म को 11 अलग-अलग कैटेगरी में नॉमिनेशन मिला और इनमें से आठ पुरस्कार उसकी झोली में आए। 
* बॉर्डर :  जेपी दत्ता की 1997 में रिलीज़ हुई ये फिल्म 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान राजस्थान के लौंगेवाला पोस्ट पर लड़ी गई लड़ाई पर आधारित और सच्ची घटनाओं से प्रेरित थी। दिखाया गया है कि कैसे पंजाब रेजिमेंट के 120 जवानों ने मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना की पूरी टैंक रेजिमेंट के खिलाफ रातभर अपनी पोस्ट को बचाए रखा था। फिल्म में सारे कलाकारों ने अपने किरदारों को बखूबी निभाया और फिल्म सुपरहिट रही। फिल्म के मुख्य कलाकारों में सनी देओल, अक्षय खन्ना, जैकी श्रॉफ, सुनील शेट्टी, पूजा भट्ट, तब्बू, शर्बानी मुखर्जी आदि थे।
* लगान : आमिर खान निर्देशित फिल्म 'लगान' भी देशभक्ति की भावना से लबरेज़ फिल्म है। इसमें अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने और क्रिकेट, जो उस दौर में अंग्रेजों का पसंदीदा खेल था, में उन्हीं ही मात देने की अनोखी कहानी है। फिल्म में अंग्रेज अधिकारी गांव वालों पर भारी लगान थोपता है। जब गांव वाले लगान कम करने की विनती करते हैं तो लगान और बढ़ा दिया जाता है। तभी एक सीनियर अंग्रेज अधिकारी प्रस्ताव रखता है कि अगर गांव वाले अंग्रेजों को क्रिकेट में हरा दें तो उनका तीन साल का लगान माफ हो जाएगा। प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद गांव वाले क्रिकेट सीखने की जी-तोड़ कोशिश करते हैं और अंत में फिरंगियों को हरा भी देते हैं। 'लगान' का निर्देशन आशुतोष गोवारीकर का था और मुख्य कलाकार थे आमिर खान, ग्रेसी सिंह, रैचेल शैली और पॉल ब्लैकथॉर्न।
* लीजेंड ऑफ भगत सिंह : शहीद भगत की सिंह की जिंदगी पर बनी और 2002 में प्रदर्शित फिल्मों के जिक्र के बगैर आज़ादी से जुड़ी फिल्मों की पूरी नहीं होती! आजादी की जंग के दौरान शहीद भगत सिंह ने 24 साल की उम्र में अंग्रेजों के फांसी के फंदे को हंसते-हंसते गले लगा लिया था। उनके जीवन की कहानी हमेशा ही लोगों के लिए प्रेरणादायी रही है। राजकुमार संतोषी के निर्देशन में बनी ये फिल्म भगत सिंह की जिंदगी पर आधारित है। फिल्म में अजय देवगन ने भगत सिंह का किरदार निभाया है। फिल्म में राज बब्बर, अमृता राव और फरीदा जलाल जैसे मशहूर कलाकार भी थे। फिल्म के निर्देशक थे राजकुमार संतोषी।
* स्वदेस : शाहरुख खान अभिनीत इस फिल्म में अमेरिका में रह रहा एक कामयाब भारतीय वैज्ञानिक कैसे वापस अपनी मिट्टी से जुड़ता है, इसे बखूबी दिखाया गया है। 2004 में प्रदर्शित इस फिल्म में शाहरुख खान वैज्ञानिक की भूमिका हैं, जो 'नासा' में काम करते हैं। वह अपनी दादी को लेने भारत आता है और यहां उसकी पहचान एक बार फिर अपनी मातृभूमि से होती है। भारत आकर वह पाता है कि शहरों में हो रहे विकास से गांव वाले अब भी महरूम हैं और वह गांव वालों की हर तरह से मदद करने की कोशिश करता है। आशुतोष गोवारीकर की इस फिल्म न सिर्फ कामयाबी के झंडे गाड़े, बल्कि शाहरुख खान को एक अभिनेता के तौर पर स्थापित भी कर दिया।
* लक्ष्य : 2004 में प्रदर्शित ये फिल्म 1999 के कारगिल युद्ध पर आधारित थी। इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक युवक, जिसे पता ही नहीं है कि उसे जीवन में क्या करना है। वह सेना में भर्ती होता है और न सिर्फ युद्ध में हिस्सा लेता है, बल्कि अपनी टीम को विजय भी दिलाता है। रितिक रोशन ने लेफ्टिनेंट करण शेरगिल का किरदार बखूबी निभाया है। हालांकि फिल्म की कहानी काल्पनिक थी, लेकिन फिर भी लोगों का दिल जीतने में कामयाब रही। फिल्म के निर्देशक थे फरहान अख्तर! रितिक के अलावा प्रीति जिंटा, अमिताभ बच्चन, ओम पुरी और बोमन ईरानी थे।
* रंग दे बसंती : इसे लोगों की आंखें खोलने वाली और लोगों के विश्वास की फिल्म कहा जाए तो गलत नहीं होगा! जहां विद्रोह की भावना समय और उम्र से परे हो जाती है। 2006 में आयी इस फिल्म में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और उनके सहयोगियों की भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई पर फिल्म बनाने के लिए एक फिरंगी युवा फिल्म निर्माता सू भारत आती है। लेकिन, पैसों की कमी की वजह से वह अपनी फिल्म में काम करने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिर्टी के कुछ छात्रों को चुनती है। ये युवा आज के युवाओं जैसे ही हैं। आत्मकेंद्रित और मस्ती करने वाले, जिनके लिए देशभक्ति और बदलाव लाने जैसी बातें किताबों में ही होती हैं। फिल्म बेहतरीन है और युवाओं को भी काफी पसंद आई। फिल्म में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जो इन युवकों को सिस्टम के खिलाफ लड़ने को मजबूर कर देती हैं। फिल्म के निर्देशक हैं राकेश ओमप्रकाश मेहरा और मुख्य कलाकार हैं आमिर खान, सोहा अली खान, कुणाल कपूर, आर माधवन, सिद्धार्थ नारायण, शरमन जोशी, अतुल कुलकर्णी और ब्रिटिश एक्ट्रेस एलिस पैट्टन।
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