Monday 21 March 2016

वर्जनाओं की छटपटाहट और 'एम-टीवी' का शो


- एकता शर्मा 

   महिलाओं के बारे में अक्सर कहा जाता है कि उन्हें समाज में बराबरी का दर्जा मिल रहा है! वे पुरुषों के एकाधिकार वाले क्षेत्रों में प्रवेश करने लगी हैं! पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर अपना वर्चस्व भी बनाने लगी हैं! स्वायत्तशासी निकायों और पंचायतों में महिलाओं की मौजूदगी बढ़ाने और उनमें नया आत्मविश्वास जगाने के लिए सीटें भी आरक्षित की गई! निःसंदेह सरकार के इस कदम से इस क्षेत्र में महिलाओं की संख्या में तो इजाफा हुआ है! पर, क्या उन्हें उन वर्जनाओं से मुक्ति मिल सकी है, जिन्हें भोगने के लिए वे अभिशप्त हैं? ये सच आसानी से कहीं भी देखा जा सकता है! महिला पार्षद हो, महापौर हो, पंच हो या महिला सरपंच या विधायक! सभी अपने पतियों के पीछे चलने और औरत होने की वर्जना भोगने के लिए अभिशप्त है! सिर्फ यही नहीं, ऐसी कई वर्जनाएं अभी समाज में गहराई तक व्याप्त है, जहाँ औरत को हमेशा औरत होने का अहसास कराया जाता है!     

  ये वर्जनाएं गाँव से शहरों तक ही नहीं मेट्रो शहरों तक पसरी है। फर्क यही है कि गाँव में वर्जनाएं कुछ अलग है, शहरों में अलग और मेट्रो शहरों में बिलकुल ही अलग! गाँव में यदि औरत के घूँघट में रहना मजबूरी है, तो शहरों की औरतों के लिए हर फैसले में पति की सहमति! जबकि, मेट्रो शहरों में आधुनिकता के बावजूद एक अलग ही तरह की वर्जना ढोना औरत की मज़बूरी है! औरतों की वर्जना अब बहस, मुबाहिसों तक ही सीमित नहीं है, ये बकायदा मनोरंजन का विषय भी बन रही हैं! टेलीविजन का सबसे आधुनिक सोच वाले चैनल 'एम-टीवी' ने तो बकायदा औरत की वर्जनाओं पर एक शो ही बना डाला! 7 मार्च से शुरू होने वाला ये शो है 'एमटीवी गर्ल्स ऑन टॉप!' चैनल का दावा है कि समाज में महिलाओं से जुड़ी वर्जनाओं को ये शो तोड़ने की कोशिश करेगा। इस शो में देश में महिलाओं से जुड़े मुद्दों और समस्याओं पर बात की जाएगी। 
  एम-टीवी के इस शो में नौकरी, प्यार और घरेलू मुद्दों से जूझती मुंबई में रहने वाली तीन लड़कियों की कहानी है। शो में दोस्ती, रिश्तों, करियर, आशाओं, सनक और कल्पनाओं के चश्मे से शहरी भारत में स्वतंत्र युवा महिलाओं से जुड़े विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया जाएगा। सलोनी चोपड़ा, बरखा सिंह और आयशा अदलखा इसमें तीन प्रमुख भूमिकाएं निभाएंगी। चैनल की कार्यकारी उपाध्यक्ष और यूथ एंड इंग्लिश एंटरटेनमेंट की बिजनेस हेड फरजाद पालिया के मुताबिक 'एमटीवी गर्ल्स ऑन टॉप' के जरिए हम मुंबई में अपने ढंग से अपनी जिंदगी जीने की कोशिश करतीं तीन युवतियों की जिंदगी को करीब से देखेंगे। प्यार, काम और जिंदगी के इर्द-गिर्द उनके संघर्ष पर आधारित इस शो में दर्शकों को भारतीय महिलाओं के बदलते रूप से भी रूबरू कराया जाएगा। पालिया ने कहा कि यह शो उन सभी युवा महिलाओं की जिंदगी की कहानी है, जो समाज की वर्जनाओं को तोड़कर अपनी जिंदगी जीना चाहती हैं।
  मुद्दा ये है कि आजादी के 6 दशक बाद भी देश की औरत का ये संघर्ष अभी ख़त्म नहीं हुआ है। बात सिर्फ पदों पर बैठी महिलाओं पर पति के वर्चस्व और प्रभाव का दबाव सहने की ही नहीं है! हर औरत किसी न किसी के प्रभाव के आभामंडल की गिरफ्त में है। वो चाहे न चाहे, उसे उस प्रभाव मुक्त होने का मौका ही नहीं दिया जाता! आखिर ये वर्जनाएं कब और कैसे टूटेगी, इस सवाल का जवाब न तो राजनेताओं के पास है न समाज सुधारकों के पास! सारी बहस के बाद सवाल  फिर वहीँ खड़ा हो जाता है कि इसकी शुरुआत कहाँ से हो! पुरुष का अहं तो कभी औरत को वर्जनाओं की बेड़ियों से मुक्त होने नहीं देगा, ये तय है! तो क्यों नहीं, औरत ही वर्जनाओं की छटपटाहट से स्वयं मुक्त हो! देखना ये है कि ये साहस भी कौन करता है और कब?
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