Thursday 3 August 2017

'जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर'

- एकता शर्मा 

  पार्श्वगायक किशोर कुमार कुदरत की ऐसी धरोहर थे, जिसे बनाने में सदियां खर्च हुई होंगी। वे नैसर्गिक गायक थे। आज वे नहीं हैं, पर उनकी विरासत अमर है। उनकी गायकी का माधुर्य बरसों तक लोगों के सिर चढ़कर बोला और आगे भी बोलता रहेगा। आज भी लोग जब उनकी आवाज सुनते हैं तो कान ठिठक जाते हैं। किशोर कुमार को लोग उनके मसखरेपन वाले अंदाज से ज्यादा जानते हैं। लेकिन, उनके इस मस्तीभरे अंदाज के पीछे दर्द का गहरा साया छुपा था। उन्होंने हमेशा अपने दर्द को दबाकर रखा! उस दर्द को कभी सामने नहीं आने दिया। क्योंकि, उनका मानना था कि ये दर्द मेरा निजी है, इसे किसी और  दिखाया जाए।      

   उनकी आवाज सुनकर संगीतकार सलिल चौधरी ने उन्हें पहला मौका दिया था। इसके बाद किशोर कुमार की आवाज घर-घर पहुँची और पसंद की गई। इसके बाद किशोर कुमार की आवाज संगीतकार सचिन देव बर्मन के कानों में पहुँची। सचिन देव ने किशोर की प्रतिभा को पहचाना। बाद में इस जोड़ी ने कई कालजई गीतों को जन्म दिया। इसके बाद तो किशोर कुमार के गानों का जादू ऐसा चला था कि मशहूर गायक मोहम्मद रफी भी उनके फैन हो गए। रफी ने किशोर को अपनी आवाज 'रागिनी' में उधार दी। 'शरारत' में भी किशोर के लिए रफी ने गाया था। गाने को लेकर किशोर की अपनी शर्त हुआ करती थी। जब तक पूरे पैसे नहीं आ जाते, वी गाना रिकॉर्ड नहीं कराते! ये उनकी बचपन की आदत थी। घर आने वाले मेहमानों को वे एक्टिंग के साथ गाने सुनाया करते थे और बदले में मुँह से ईनाम मांग लेते थे।
  किशोर ने चार शादियां की। ख़ास बात ये कि जिनसे शादी की उनमें तीन हीरोइनें अपने दौर की खूबसूरत हीरोइनें रहीं। पहली शादी रुमा देवी से हुई, लेकिन जल्द ही तलाक हो गया। फिर उन्होंने सर्वकालीन सुंदर अभिनेत्री मधुबाला से शादी की। इस शादी के लिए उन्होंने इस्लाम अपनाया और अपना नाम ‘करीम अब्दुल’ रख लिया था। कहा जाता है कि मधुबाला को कैंसर होने की जानकारी के बावजूद किशोर कुमार ने उनसे शादी की थी। मधुबाला की बीमारी को लेकर किशोर कई सालों तक बहुत परेशान भी रहे। 9 साल के साथ बाद मधुबाला ने दुनिया और किशोर कुमार दोनों से विदाई ले ली। इसके बाद उन्होंने योगिता बाली से शादी की, जो ज्यादा दिन नहीं चली। फिर उनकी जिंदगी में लीना चंदावरकर जो अंतिम समय तक उनके साथ रही।   
   किशोर कुमार ने खंडवा के बाद आगे की पढाई इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से की। बताते हैं कि वे रेल से शनिवार शाम खंडवा जाते और सोमवार को लौटते थे। रास्ते में वे हर स्टेशन पर डिब्बा बदल लेते और यात्रियों को गाने सुना-सुनाकर मनोरंजन करते। उनकी एक आदत कॉलेज की कैंटीन से उधार लेकर खाने और खिलाने की भी रही। जब कैंटीन वाले ने एक दिन उधारी के पांच रुपया बारह आना मांगे, तो किशोर ने पैसे देने के बजाए टेबल पर गिलास और चम्मच बजा बजाकर पाँच रुपया बारह आना गाकर कई धुन निकाल दी। बाद में उन्होंने 'पांच रुपया बारह आना' गीत को एक फिल्म में इस्तेमाल किया। 
  किशोर कुमार की प्रतिभा अद्भुत थी। उन्होंने हिन्दी के साथ ही तमिल, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उड़िया फिल्मों के लिए भी गाया। इसके अलावा 81 फ़िल्मों में अभिनय किया और 18 फिल्मों का निर्देशन किया। उनके अभिनय में कॉमेडी का पुट रहता था। वास्तव में ये उनका नैसर्गिक मसखरापन था, जो अभिनय के रूप में सामने आया। उन्होंने सिर्फ परदे पर ही अभिनय नहीं, निजी जिंदगी में भी उनका मसखरापन झलकता था। अटपटी बातों को अपने चटपटे अंदाज में कहना किशोर कुमार का आदत थी। गानों की पंक्तियों को उलट-पलटकर गाने में उन्होंने इसमें महारत हांसिल कर ली थी। नाम पूछने पर वे कहते थे 'रशोकि रमाकु।' 
  किशोर कुमार जब भी किसी समारोह में मंच पर खड़े होते तो शान से खंडवा का नाम लेते। उन्होंने फैसला किया था कि वे फिल्मों से संन्यास लेकर खंडवा में बसेंगे। वे कहा करते थे ‘दूध जलेबी खाएंगे खंडवा में बस जाएंगे।’ लेकिन, ऐसा नहीं हो सका! 13 अक्टूबर, 1987 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। इच्छा मुताबिक उनका अंतिम संस्कार खंडवा में ही किया गया। जहां उनका दिल बसता था, वहीं वो आज भी बसे हैं। 

किशोर कुमार के 10 बेहतरीन गीत 
 
1 / 'जिंदगी कैसी है पहेली हाय' - आनंद  
2 / 'जिंदगी का सफर है ये कैसा सफर' - अंदाज  
3 /  'तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं' - आंधी
4 / 'देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए' - सिलसिला
5  / 'एक लड़की भीगी भागी सी' - चलती का नाम गाड़ी 
6 / 'गाता रहे मेरा दिल, तू ही मेरी मंजिल' - गाइड
7 / 'तुम आ गए हो नूर आ गया है' - आंधी 
8 / 'चिंगारी कोई भड़के' - अमर प्रेम
9 / 'ये शाम मस्तानी मदहोश' - कटी पतंग  
10/ 'ये दिल ना होता बेचारा, कदम ना होते आवारा' - 'ज्वैल थीफ'  
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