Friday 1 May 2020

बरसों बाद भी 'दूरदर्शन' के ये सीरियल आज भी बेजोड़!

- एकता शर्मा 

   अपने शुरूआती काल से अभी तक टेलीविजन में बहुत कुछ बदलाव आया है। तकनीकी विस्तार के अलावा सीरियलों के कथानक भी बदले और दर्शकों का सोच भी! इन सालों में निजी चैनलों ने मनोरंजन की ऐसी नईदुनिया रच दी, जिसके सामने 'दूरदर्शन' के पुराने सीरियलों को लेकर दर्शकों में कोई रूचि नहीं रही! लेकिन, कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन ने इस भ्रम खंडित कर दिया। 'दूरदर्शन' ने पुराने सीरियलों का पुनर्प्रसारण करके देश के करोड़ों दर्शकों को फिर जोड़ लिया। रामायण, महाभारत, शक्तिमान, चाणक्य और श्रीमान-श्रीमती जैसे सीरियल देखने के लिए दर्शक टूट पड़े! ऐसे ही कुछ चुनिंदा सीरियलों पर एक नजर!
 000 
   जंगल, जंगल बात चली है पता चला है ऐसे ... चड्ढी पहन के फूल खिला है फूल खिला है! ये वो लाइन हैं जिन्हें गुलजार ने 'जंगल बुक' सीरियल के लिए लिखी थी! ये लाइनें और ये सीरियल आज भी उस दौर के दर्शकों के दिलों में बसा है! बच्चों से लेकर बड़ों तक को बेसब्री से इंतज़ार रहता था। यही क्यों 80 और 90 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित ऐसे कई सीरियल हैं, जो बहुत ज्यादा पसंद किए गए। 'रामायण, महाभारत, हम लोग और 'बुनियाद' तो लोकप्रियता में मील का पत्थर थे ही, इनके अलावा भी ऐसे कई सीरियल हैं, जो निर्माण के मामले में भले ही आज से हल्के दिखाई देते हों, पर अपने कथानक कारण दर्शकों की पहली पसंद थे।    
   'जंगल जंगल पता चला है, चड्ढी पहन के फूल खिला है' गुलज़ार लिखी ये लाइन्स हर किसी को याद होंगी। इस गाने को संगीतबद्ध किया था विशाल भारद्वाज ने। इस सीरियल पत्र मोगली हर घर का चहेता था। रात में 9 बजे दूरदर्शन पर ये एनिमेटेड इंग्लिश सीरीज़ आती थी जिसे हिंदी में रूपांतरित किया गया था। कहा जाता था कि कई गाँवों में तब बिजली नहीं होती थी, तो लोग बैटरी से टीवी को जोड़कर ये शो देखते थे। इस सीरीज के 52 एपिसोड बने थे। ये दरअसल एक जापानी शो था, जिसे हिंदी में डब किया गया था। जापान में 1989 में दिखाए गए इस शो को भारत में 1993 में प्रसारित किया गया था। इसकी कहानी को रुडयार्ड किप्लिंग ने लिखा था। 2016 में इसी कहानी पर एक फिल्म भी बनी थी।
  आरके नारायण की कहानियों पर आधारित 'मालगुड़ी डेज़' भी बच्चों का ही सीरियल था, जिसकी शुरुआत 1987 में हुई थी। इसे भी लोगों ने काफी पसंद किया था। इस सीरियल में स्वामी एंड फ्रेंड्स तथा वेंडर ऑफ स्वीट्स जैसी लघु कथाएं व उपन्यास शामिल थे। इसे हिन्दी और अंग्रेज़ी में बनाया गया था। 'दूरदर्शन' पर मालगुडी डेज़ के 39 एपिसोड प्रसारित हुए थे और इसे 'मालगुडी डेज़ रिटर्न' नाम से पुनर्प्रसारित भी किया गया था।  
    भारतीय टेलीविजन इतिहास में 'हम लोग' पहला सीरियल था, जो 7 जुलाई 1984 को दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ। दर्शकों को यह शो इतना पसंद आया था कि इसके चरित्र विख्यात हो गए! इस सीरियल की कहानी लोगों की रोज़मर्रा की बातचीत का हिस्सा बन गई थी। इस सीरियल ने देश के माध्यम वर्ग की ज़िंदगी को बहुत नजदीक से दर्शाया था। इसकी लोकप्रियता का पैमाना कुछ वैसा ही था, जैसा बाद में 'रामायण' और 'महाभारत' का रहा!
  'रामायण' को भारतीय टेलीविजन के सबसे सफल सीरियलों में से एक माना जाता है। रामानंद सागर के इस सीरियल का असर ऐसा था दर्शकों की धार्मिक भावनाएं उभरकर सामने आ गईं! जबकि, रामानंद सागर पर इसके असर का चरम ये था, कि उन्होंने उसके बाद फ़िल्में बनाना ही छोड़ दिया था। दूरदर्शन पर ये सीरियल जब पहली बार प्रसारित किया गया गाँव व शहरों में कर्फ्यू जैसा माहौल हो जाता था। जिनके घरों में टीवी नहीं था, वे दूसरों के घर जाकर 'रामायण' देखते थे।
  बीआर चोपड़ा ने भी 'महाभारत' बनाकर छोटे परदे पर कुछ ऐसा ही जादू किया था। ये सीरियल 2 अक्टूबर 1988 को पहली बार प्रसारित हुआ था। इस सीरियल की शुरुआत सबसे खास हिस्सा होता था जब हरीश भिमानी की आवाज गूंजती थी 'मैं समय हूं!' ब्रिटेन में इस धारावाहिक का प्रसारण बीबीसी ने किया था, जिसकी इसकी दर्शक संख्या 50 लाख के आंकड़े को भी पार कर गई थी।
   दूरदर्शन पर 1994 में प्रसारित होने वाले 'अलीफ लैला' के दो सीज़न में 260 एपिसोड प्रसारित हुए! जादू, जिन्न, बोलते पत्थर, एक मिनट में गायब हो जाना, राजा व राजकुमारी की कहानी को मिलाकर बने इस सीरियल को लोग आज भी याद करते हैं। '1001 नाइट्स' पर आधारित इस धारावाहिक में मिस्र, यूनान, फ़ारस, ईरान और अरब देशों की बहुत सी रोमांचक कहानियां थीं जिनके हीरो 'सिन्दबाद', 'अलीबाबा और चालीस चोर', 'अलादीन' हुआ करते थे।
  रामानंद सागर ने 'रामायण' से पहले 'विक्रम और बेताल' बनाया था। इस धारावाहिक के सिर्फ 26 एपिसोड ही प्रसारित हुए थे। ये 1985 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था। ये महाकवि सोमदेव की लिखी 'बेताल पच्चीसी' पर आधारित था। राजा विक्रम के किरदार अरुण गोविल ने निभाया था, उनके कंधे पर बेताल टंगा रहता था जो कहानी सुनाता और कहता था कि मुझसे सवाल मत करना वरना मैं भाग जाऊंगा।
  भारत के बच्चों को अपना पहला सुपर हीरो 'शक्तिमान' 27 सितम्बर 1997 को मिला था। इससे पहले के सारे सुपर हीरो सिर्फ कॉमिक्स बुक्स तक ही सीमित थे! लेकिन 'शक्तिमान' का अपना अलग ही क्रेज़ था। 400 एपिसोड वाला दूरदर्शन का ये शो करीब 10 साल तक चला! इस शो से शुरू हुए दो जुमले 'सॉरी शक्तिमान' और 'गंगाधर ही शक्तिमान' है आज भी प्रचलित हैं।
 'दूरदर्शन' पर 'चंद्रकांता' का प्रसारण 4 मार्च 1994 को शुरू हुआ था। देवकीनंदन खत्री के फंतासी उपन्यास पर बने इस सीरियल को लोगों ने पसंद किया। इस सीरियल के किरदार क्रूर सिंह को लोगों ने काफी सराहा। क्रूर सिंह के अलावा जादुई अय्यार, पंडित जगन्नाथ, ऐसे चरित्र थे जो आज भी लोगों को याद हैं। सीरियल देखने के लिए बड़ी बेसब्री से रविवार की सुबह का इंतज़ार किया जाता था।
-----------------------------------------------------------------------------

No comments:

Post a Comment