Sunday 19 November 2017

कब तक नकली इतिहास परोसेंगे सीरियल?

- एकता शर्मा 

  टीवी सीरियलों को लेकर अकसर सवाल किए जाते हैं कि ये हमारी संस्कृति और परिवारों की पहचान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं! लेकिन, आजकल भारतीय इतिहास के साथ मनोरंजन के नाम पर ख़ासा मजाक किया जा रहा है! कई चैनल्स पर इतिहास से जुड़े सीरियल चल रहे हैं! महाराणा प्रताप, सम्राट अशोक, जोधा-अकबर और मीरा बाई जैसे कई सीरियल दर्शक देख चुके हैं। अब 'पोरस' जैसे कुछ सीरियल शुरू होने वाले हैं। सिकंदर और पोरस के जन्म का दिन एक ही बताया जा रहा है, जबकि इतिहास में ऐसा कुछ नहीं है। इस तरह के सीरियलों के कथानक की सत्यता की कोई प्रामाणिकता नहीं है! इतिहास को तोड़ मरोड़कर उसे मनोरंजन बनाकर परदे पर दिखा देने से दर्शकों पर अलग ही प्रभाव पड़ रहा है!
  सीरियल के निर्माता और चैनल किसी विवाद और कानूनी उलझन से बचने के लिए इसके कथानक को इतिहास से अलग महज मनोरंजन होने की सफाई देकर 'डिस्क्लेमर' लगाकर खुद तो बरी हो जाता है, पर दर्शकों में एक बड़ा वर्ग है जो एक नए इतिहास से परिचित होने से नहीं बचता! ऐसे में जब कोई प्रामाणिक इतिहास का जिक्र करता है तो वह उस पर भरोसा नहीं करता! जिस तरह चंदबरदाई के चारणी साहित्य 'पृथ्वीराज रासो' में संयोगिता नाम का चरित्र गढ़कर जयचंद को गद्दारी का पर्यायवाची शब्द बना दिया! उसी प्रकार मुगले आजम, अनारकली, जोधा अकबर आदि फिल्मों ने एक मनगढ़ंत जोधा बाई नाम रच दिया, जो जनमानस के दिलो दिमाग से कभी निकल नहीं पाएगा!
  सीरियल के लेखकों ने इतिहास को नए सिरे से लिखकर उसे दूषित और विकृत कर दिया जाता है। कथानक में मनगढ़ंत किस्से और प्रसंग जोड़कर उसे मनोरंजक तो बना दिया जाता है, पर इसका सत्यता से कोई वास्ता नहीं होता! इतिहास को तोड़-मरोड़कर ऐतिहासिक पात्रों पर फ़िल्में बनने के बाद अब जिस तरह सीरियल बनाए जा रहे हैं, वो देश की संस्कृति के साथ मजाक ही है, इसका दुखद पहलु ये है कि इसकी तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं! देखा जाए तो इतिहास को प्रदूषित और विकृत करने में इन टीवी चैनल्स का सबसे बड़ा हाथ है। मनोरंजन के नाम पर दशकों पहले बनी फिल्म 'मुगले आजम' कोई भी यह मानने को तैयार नहीं था कि अकबर की किसी पत्नी का नाम जोधा बाई था! अकबर नामा, जहाँगीर नामा और अकबर के दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने भी कहीं अकबर की किसी पत्नी का नाम जोधा नहीं लिखा था! लेकिन, 'मुगले आजम' बनने के बाद इसी विषय पर बनी फिल्म और सीरियल (जोधा अकबर) में इसी का जिक्र हुआ!
  'महाराणा प्रताप' सीरियल में भी असली कथानक से भटककर अनर्गल बातें दिखाई गई! मेवाड़ की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप भी लगे! राजस्थान के एक राजपूत संगठन ने तो इसे लेकर अपना विरोध भी दर्ज कराया था। 'मीरा बाई' पर बने सीरियल में अनर्गल प्रसंग जोड़े जाने के आरोप लगे थे! वृंदावन यात्रा पर जा रही मीरा बाई के साथ मेड़ता के शासक वीरमदेव को जोधपुर के शासक मालदेव के भय से छुपते हुए दिखाया गया था! राजा मालदेव और वीरमदेव के बीच जंग दिखाई गई! घायल वीरमदेव द्वारा अपनी मृत्यु से पहले मालदेव को मारना भी दिखाया गया! जबकि, तथ्यात्मक इतिहास बताता है कि मालदेव का निधन वीरमदेव की मृत्यु के कई साल बाद हुआ था! यदि मालदेव और वीरमदेव आपसी झगडे में मारे गए होते तो फिर मालदेव की जयमल के साथ युद्ध कैसे होते? लेकिन, इतिहास की आड़ में सीरियल बनाने वालों को ऐतिहासिक तथ्यों से कोई सरोकार नहीं होता! उनकी नजर तो इतिहास की आड़ में साजिश और संघर्ष दिखाकर टीआरपी कमाने की होती है! इतिहास में ये मिलावट तब तक होती रहेगी, जब तक इसे रोकने कोशिश नहीं होती! 
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