Sunday 5 November 2017

इन फिल्मों को हीरोइन के लिए याद किया जाएगा!

- एकता शर्मा 

  बॉलीवुड का नजरिया हमेशा पुरुष प्रधान रहा है। अकसर ऐसे आरोप भी लगते रहे हैं। क्योंकि, फिल्मों के हीरो कभी ही मैन, कभी एंग्री यंग मैन और कभी प्रेम के बादशाह बन जाते हैं। लेकिन, हीरोइनों को कभी इस नजरिए से नहीं देखा जाता। उन्हें कभी ऐसे सम्मानजनक टाइटल  मिले। याद किया जाए तो ऐसी चंद फ़िल्में हैं जिसमें महिला किरदार ही प्रमुख थीं और फिल्म के चलने का श्रेय भी उन्हें ही मिला। 'मदर इंडिया' से 'लिपस्टिक : अंडर माय बुर्का' तक का समय काफी लम्बा रहा, पर ऐसी सभी फ़िल्में मील का पत्थर बन गईं।   
  सिनेमा में महिला किरदारों को 'वस्तु' की तरह इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे माहौल में कोई नारीवादी फ़िल्म आ जाए तो उसकी बात ही और होती है। ऐसी ही एक फिल्म 'लिपस्टिक : अंडर माय बुर्का' से बोल्ड, सुंदर और दमदार फ़िल्म कोई दूसरी नहीं है। ये विदेशों में भी प्रशंसा पा चुकी है और कई कारणों से इसे बोल्ड फिल्म कहा जा सकता है। ‘नारीवादी’ होने के कारण देश में इसे सेंसर बोर्ड ने प्रतिबंधित कर दिया था। पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं की सामाजिक अवधारणा को चुनौती देने वाली और महिलाओं की दैहिक इच्छाएं व्यक्त करने वाली इस फ़िल्म को हमारी संस्कृति के लिए हानिकारक माना गया। लेकिन, जब ये फिल्म रिलीज हुई तो दर्शकों ने इसे हाथों हाथ लिया।  
  महिला प्रधान फिल्मों की गिनती की जाए तो ऐसी ही एक फिल्‍म थी सत्तर के दशक की 'मदर इंडिया' जिसमें नरगिस दत्‍त की अदाकारी ने महिला किरदारों के लिए नया रास्‍ता खोला था। कुछ फिल्‍में हैं जिनमें नायिकाओं को केंद्र में लेकर फिल्‍में बनी और चली भी! विद्या बालन की अदाकारी के सभी कायल हैं। उनकी फिल्‍म 'कहानी' और बाद में इसके सीक्वेल में उनकी एक्टिंग देखकर दर्शक हैरान थे। ये वो हीरोइन है जो अपने दम पर फिल्‍म चलाने का माद्दा रखती है। फिल्म चलाना और उसे कामयाब बनाना विद्या की आदत है। 'डर्टी पिक्‍चर' भी विद्या की एक परफार्मेंस वाली फिल्‍म है, जिसमें वो बोल्‍ड और बिंदास दिखीं। प्रियंका चोपड़ा की 'सात खून माफ' और 'फैशन' भी ऐसी ही फिल्म है जो लीक से हटकर होने के साथ नायिका के किरदार में चार चाँद लगाती है। नायिका प्रधान फिल्मों में सीमा बिस्वास की 'बैंडिट क्‍वीन' को भी गिना जा सकता है। सीमा बिस्वास को लीड रोल बहुत नहीं मिले, लेकिन 'बेंडिट क्वीन' जैसी फिल्म ने उन्‍हें एक झटके में स्‍थापित कर दिया। 
  ऐसी चंद फिल्मों की फेहरिस्त में 'लज्‍जा' को भी गिना जा सकता है। जिसमे रेखा, मनीषा कोईराला, माधुरी दीक्षित और महिमा चौधरी जैसी अभिनेत्रियों के सामने अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ जैसे बड़े नायक भी फीके पड़ गए थे। मुंबई की बार बालाओं के अंधेरे पहलुओं को जिस बारीकी से तब्बू ने 'चांदनी बार' में दर्शाया वो काम और कोई नहीं कर सका। अपने वक़्त की एक्ट्रेस मीनाक्षी शेषाद्री ने कई हिट फिल्‍में दीं। लेकिन, उन्हें आज भी 'दामिनी' में अपनी अदाकारी के लिए ही याद किया जाता है। रेखा की अभिनय क्षमता किसी की मोहताज नहीं है। लेकिन, 'खून भरी मांग' में उनका अवतार पहली बार दिखा और आज भी वे दर्शकों की आँखों में बसा है। इस फेहरिस्त में कंगना रनौत की 'क्‍वीन' का जिक्र होना जरुरी है। 
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