Sunday 5 November 2017

परदे का नया विवाद है भंसाली की 'पद्मावती'

- एकता शर्मा

 सिनेमा और विवादों का चोली-दामन का साथ है। ऐसे कई उदाहरण है जब फिल्मों को लेकर विवाद पनपे! अब एक नया विवाद सामने आया है संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' को लेकर! इसकी कथित कहानी लेकर राजस्थान की राजपूत करणी सेना ने आपत्ति उठाई है! उन्हें लगता है कि फिल्म की कहानी ज्ञात इतिहास से अलग लिखी गई! जबकि, भंसाली ने इससे इंकार किया है। लेकिन, फिल्म की संभावित सफलता ने 'पद्मावती' के आसपास रिलीज होने वाली 8 फिल्मों को प्रभावित जरूर कर दिया। इस फिल्म के ट्रेलर ने ही 24 घंटे में डेढ़ लाख व्यूज के साथ रिकॉर्ड बना लिया। इसमें दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर मुख्य भूमिका में हैं और रणवीर सिंह ने सुलतान अलाउद्दीन खिलजी की भूमिका निभाई है। इस किरदार की एक झलक ने ही रणवीर सिंह ने फैन्‍स का दिल जीत लिया। हिंदी फिल्मकारों ने अभी तक मुग़लकाल से जुडी कहानियों पर ही ज्यादा फ़िल्में बनाई गई है। जोधा, अकबर, जहांगीर, शाहजहाँ, पसंदीदा करैक्टर साबित हुए।

  जयपुर में इसी साल जनवरी में जब 'पद्मावती' की शूटिंग शुरू हुई, तब राजपूत करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने संजय लीला भंसाली के साथ मारपीट की थी। इन लोगों ने फिल्म के सेट पर पहुंचकर काफी तोड़फोड़ भी की थी। इन्हें फिल्म की कहानी से जुड़े एक तथ्य पर आपत्ति जताते हुए ये कदम उठाने का दावा किया है। आरोप लगाया गया था कि ये फिल्म गलत तथ्यों पर बनाई जा रही है, यही कारण है कि हम इसका विरोध कर रहे हैं। करणी सेना का कहना है कि रानी पद्मावती के साथ अलाउद्दीन खिलजी का रोमांस दिखाने की कोशिश कथित तौर पर फिल्म में की जा रही है, जो गलत है। उन्होंने कहा कि पद्मावती वो महिला थीं, जिसने अपनी आन-बान-शान के लिए जौहर किया था! लेकिन, अभी तक फिल्म की कहानी सामने नहीं आई, इसलिए दावा नहीं किया जा सकता कि ये आरोप कितने सही हैं! हाल ही में गुजरात के एक शहर में 'पद्मावती' की सात घंटों में बनी भव्य रंगोली को भी करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने बिगाड़ दिया था। इसे लेकर काफी विवाद हुआ तब कहीं जाकर रंगोली बिगाड़ने वाले 5 लोगों को पकड़ा गया। 
 इतिहास पन्नों को पलटा जाए तो संजय लीला भंसाली से पहले साइलेंट फिल्मों के दौर में 1924 में बाबूराव पेंटर ने 'सति पद्मिनी' नाम से इसी कहानी पर फिल्म बनाई थी। चित्तौड़ की महारानी पद्मिनी की एक झलक दिल्ली का नवाब अलाउद्दीन ख़िलजी देख लेता है। पद्मिनी को पाने के लिए वो चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण कर देता है। अलाउद्दीन ख़िलजी चित्तौड़ के राजपूतों को हरा तो देता है, पर पद्मिनी उसे नहीं मिलती! वो अलाउद्दीन के हाथ आने से पहले ही जौहर कर लेती है। कहा जाता है कि इतिहास में भी यही है। लेकिन, संजय लीला भंसाली की 'पद्मावती' की फिल्म के कथानक को लेकर अभी सिर्फ कयास ही लगाए जा सकते हैं।
 अपना इतिहास देखना सबको अच्छा लगता है। लेकिन, इतिहास को किताब में पढ़ने और परदे पर देखने में फर्क है। जब फिल्मकार इतिहास को फंतासी अंदाज परदे पर उतारता है, तो दर्शकों का रोमांचित होना स्वाभाविक होता है। लेकिन, इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि ये ऐतिहासिक फ़िल्में सफल हो ही जाएंगी! इन ऐतिहासिक फिल्मों का इतिहास बताता है कि ये फार्मूला ही हमेशा चला!
जब फिल्मों को आवाज मिली तो पहली बोलती फिल्म ही 'आलमआरा' कॉस्ट्यूम ड्रामा ही थी! निर्देशक सोहराब मोदी की यह हिंदी फिल्मों के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई। बाद में सोहराब मोदी ने पुकार, सिकंदर, पृथ्वी वल्लभ और झाँसी की रानी जैसी ऐतिहासिक फ़िल्में बनाई! 'झांसी की रानी' पहली टेक्नीकलर फिल्म थी।
  देखा गया है कि इतिहास से जुडी फिल्मों में भी महिला कैरेक्टरों को ही ज्यादा पसंद किया गया है। 'पद्मावती' भी इसी श्रृंखला की अगली कड़ी है। संजय लीला भंसाली ने इतिहास की रोचक कहानियों को खोजकर जिस तरह बड़े कैनवास पर फ़िल्में बनाने की शुरुआत की है तय है कि 'पद्मावती' के बाद वे और भी कोई कहानी नई कहानी खोज लाएंगे। जहाँ तक विवाद की बात है तो ये भी सच है कि ऐसे विवाद ही कई बार फिल्मों की सफलता का कारण बनते हैं। 
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