Thursday 31 May 2018

महँगी हो गई फिल्मों की हीरोइनें!


- एकता शर्मा 

  अब फ़िल्में सिर्फ हीरो की वजह से नहीं चलती। किसी भी फिल्म की सफलता में हीरोइन का भी बड़ा योगदान  होता है। इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर यह भी हुआ कि स्टार हैसियत मिलने से हीरोइनों को भी अच्छा खासा मेहनताना मिलने लगा। इसका ताजा उदहारण 'पद्मावत' है जिसके लिए दीपिका पादुकोण ने सबसे ज्यादा मेहनताना लिया है। फिल्म में रणबीर सिंह और शाहिद कपूर जैसे हीरो थे, पर अपने अभिनय की ज्यादा कीमत दीपिका ने वसूली।   है। इससे पहले ‘रोबोट’ के लिए ऐश्वर्य राय और ‘हीरोइन’ के लिए करीना कपूर को हीरो बराबर पैसे मिले थे। कहा जा सकता है कि आज की हीरोइनें अब मेहनताने के लिए भाव-ताव करने की स्थिति में आ गई हैं। 

   हीरो को पूजने, उसे सम्मान व मेहनताना देने की परंपरा का आमतौर पर फिल्म इंडस्ट्री में बरसों से पालन होता आया है। कुश्ती के किंग दारासिंह को जब पहली बार फिल्म में लिया गया, तो उन्हें ठीक से हिंदी बोलना भी नहीं आता था। अभिनय में तो वे हमेशा ही जीरो रहे! लेकिन, वे फिल्म के हीरो थे इसलिए उन्हें तीन लाख रूपए दिए गए और ज्यादा अनुभवी व एक्टिंग की समझ रखने वाली मुमताज के हिस्से में आए सवा दो लाख! नायिका प्रधान फिल्में वैसे भी कम ही बनती हैं, फिर भी फिल्मों में हीरोइनों की हैसियत पहले से ज्यादा बढ़ी है। 50 और 60 के दशक में जरूर हीरोइनों नेअपनी पहचान और हैसियत बनाई थी। उस दौर में नायिका प्रधान फिल्में ज्यादा बनती थी और उनकी कहानियों में हीरोइन को ज्यादा महत्व भी दिया जाता था। लेकिन, यह दौर ज्यादा नहीं चला और उस जमाने की कुछ हीरोइनों पर ही केंद्रीय रहा।  
  पिछले कुछ सालों में फिर हीरो प्रदान फिल्मों का दौर आया और पुरानी मानसिकता के चलते सलमान खान, शाहरुख खान, अमिर खान, अक्षय कुमार, ऋतिक रोशन, अजय देवगन को ही ज्यादा वाह-वाही मिली। लेकिन, अब हीरोइनों ने भी भी इसमें सेंध लगानी शुरू कर दी है। स्टार का जो दर्जा आमतौर पर हीरो के लिए आरक्षित माना जाता था, अब हीरोइनें भी उसमें दखल देने लगी हैं। इसी से उनकी हैसियत और मेहनताना भी तय होने लगा है। 
  आज की स्थितियों को देखकर भले ही यह आश्चर्य न लगे! लेकिन, पिछले आठ साल में विद्या बालन, दीपिका पादुकोण ने अपनी इमेज में काफी सुधर किया है। 'बाजीराव मस्तानी' और 'पद्मावत' में दीपिका ने अपने अभिनय से चार चाँद तो लगाए ही, ये संदेश भी दे दिया कि वे किसी हीरो से काम। यही स्थिति विद्या बालन की है, जिसने पहले परिणीता, भूल भुलैया, कहानी के बाद 'डर्टी पिक्चर्स' में अपनी दमदार मौजूदगी दिखाई थी। हिंदी फिल्मों में काम करने के बाद भी हिंदी बोलने से परहेज करने वाली कैटरीना कैफ की फिल्मों ने उन्हें भी करीना कपूर के बराबर लाकर खड़ा दिया। आज कैटरीना की फीस भी करीना से कम नहीं हैं। है। 
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