Saturday 1 July 2017

कहानी में ही पावर नहीं था तो 'ट्यूबलाइट’ कैसे जलती?

- एकता शर्मा 

  सलमान खान की हालिया रिलीज ‘ट्यूबलाइट’ से जैसी ट्रेड को उम्मीद थी फिल्म वैसा कमाल दिखाने में नाकामयाब रही है। अगर फिल्म की अब तक की कमाई की बात की जाए तो ईद के बावजूद वो अभी तक केवल 104 करोड़ रुपए हो पाई! 'ट्यूबलाइट' को पहले ही दिन क्रिटिक्स ने सलमान खान की बड़ी गलती करार दिया था। भाईजान के फैंस ने भी इसे उस तरह से स्वीकार नहीं किया, जैसा कि उनकी फिल्मों को प्यार मिलता रहा है। हालांकि, जब यह फिल्म रिलीज होने वाली थी, तब ट्रेड ने अंदाजा लगाया था कि इसकी कमाई लगभग 500 करोड़ के आसपास रहेगी! लेकिन, बॉक्स ऑफिस आंकड़े कुछ और ही सच्चाई बयां कर रहे हैं। 

यदि ये सवाल किया जाए कि 'ट्यूबलाइट' जली क्यों नहीं, तो इसके जवाब में कई तर्क साफ़ दिखाई देंगे। एक तो ये कि पूरे समय स्क्रीन पर सलमान का ही चेहरा दिखना कुछ ज्यादा हो गया! वो भी एक मंदबुद्धि के रूप में सलमान को इतनी देर देखना दर्शक पचा नहीं पाए! मंदबुद्धि के रूप में 'कोई मिल गया' में जो कमाल रितिक रोशन ने किया, वो सलमान नहीं कर सके। इस तरह की एक्टिंग में रितिक बहुत भारी थे। पूरी फ़िल्म में 'यकीन' को केंद्र बनाया गया। 'यकीन' यानी ऐसा 'विश्वास' कि यदि किसी बात पर किया जाए तो वो होकर रहता है। जबकि, खुद फ़िल्म ही इस बात से भटक गई! सलमान अपने भाई की मौत पर बहुत आसानी से यकीन कर लेता है। उसके कपड़े और जूते जलाकर उसकी झूठी अस्थियां तक विसर्जित करता है। जबकि, यहाँ एक बार भी ये नहीं बताया गया कि सलमान को यकीन है कि उसका भाई ज़िंदा है। नायिका का पिता कौन था और कहाँ चला गया और वापस कैसे आया? ये सवाल भी अंत तक सुलझ नहीं सका!
  फिल्म ये स्पष्ट करने में भी भटकी है कि सलमान (यानी लक्ष्मणसिंह बिष्ट) केवल हाथ को एक दिशा में केंद्रित करके पहले बोतल और फिर पहाड़ हिला देता है! यहाँ तक कि भारत और चीन का युद्ध खत्म होने का कारण भी फिल्म में सलमान के किरदार को बताया गया है। लेकिन, ये सवाल तो अनुत्तरित ही रह गया कि वो ऐसा क्यों कर सका? बेहतर होता कि उसकी इस अदृश्य शक्ति का कोई ठोस कारण बताया जाता! जादूगर बना शाहरुख़ भी बोतल के हिलने के भी पीछे कोई ठोस कारण नहीं बता पाया! इस हाई-टेक्नोलॉजी के युग में ऐसे चमत्कार आज की दर्शक भला हजम भी कैसे करें? बॉक्स ऑफिस पर फिल्म के पानी न मांगने का एक बड़ा कारण ये भी है कि फ़िल्म में प्रेम कहानी का अभाव है। फिल्म में कोई नायिका नहीं है और जो है उसे भी नायिका की तरह प्रस्तुत नहीं किया गया!
  फ़िल्म में अच्छे गानों और मसाले का अभाव है! सलमान के माता-पिता और बचपन की कहानी को बहुत जल्दी में बताया गया। इसे थोड़ा विस्तार से दर्शाया जाना था। यहाँ तक कि सोहेल को भी कैमरे पर बहुत लिमिटेड दिखाया! दोनों भाइयों के प्रेम को जितना दिखाया जाना था, वैसा भी नहीं किया! इस प्रेम से जुड़े कई सीन जोड़े जा सकते थे! जैसा कि 'करन-अर्जुन' में कभी दिखा था। फ़िल्म की पृष्ठभूमि भी भारत और चीन की लड़ाई पर आधारित होना भी गले नहीं उतरता! जिस घटना को लोग भूल चुके है और नई पीढ़ी तो उस बारे में ज़्यादा जानती भी नहीं! सलमान और सोहेल की ड्रेसिंग सेन्स भी असर नहीं छोड़ पाई! फ़िल्म को पुराने समय का रंग देने की कोशिश की, मगर वो नाकामयाब रही। जहाँ तक एक्टिंग की बात है तो सभी की ठीक रही, मगर फ़िल्म में बहुत सी कमियां हैं, जिसका खामियाजा सलमान की इमेज को भुगतना पड़ा! यहाँ तक कि स्टोरी, डायरेक्शन, संवाद और म्यूजिक में कुछ भी प्रभावी नहीं है।
   सलमान खान को भी 'ट्यूबलाइट' के बॉक्स ऑफिस आंकड़ों से निराशा ही हुई होगी! फिल्म से वे जिस तरह की कमाई की उम्मीद कर रहे थे 'ट्यूबलाइट' वो करने में कामयाब नहीं हो पाई! जो लोग 'ट्यूबलाइट' को सलमान खान की गलती या उनके करियर की ढलान बता रहे हैं, वो ये न भूलें कि उन्होंने 'जय हो' जैसी फिल्म देने के बाद 'दबंग' और 'बजरंगी भाईजान' जैसी फिल्म दीं थीं। अब इंतजार कीजिए 'टाइगर जिंदा है' का!
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