Monday 12 June 2017

फिर शुरू हो गया कॉस्ट्यूम ड्रामा!

- एकता शर्मा 
    इतिहास पर बनाया गया कॉस्ट्यूम ड्रामा फिल्मकारों का पुराना शगल रहा है। 'बाजीराव मस्तानी' के बाद संजय लीला भंसाली अब 'पद्मावती' ला रहे हैं। 'बाहुबली : द बिगनिंग' का दूसरा पार्ट 'बाहुबली : द कंक्लूजन।' भी लाइन में है। केतन मेहता भी 'रानी लक्ष्मीबाई' बनाने की तैयारी कर रहे हैं। आशुतोष गोवारिकर भी 'मोहन जोदड़ो' लेकर आए थे, पर दर्शकों द्वारा नकार दिए गए। आशय यह कि ऐतिहासिक और कॉस्ट्यूम ड्रामा फिल्मों का दौर फिर शुरू होने वाला है! वैसे इसकी शुरुआत तो आशुतोष गोवारिकर ने 'जोधा-अकबर' बनाकर कुछ साल पहले कर ही दी थी!  


   अपना इतिहास देखना सभी को अच्छा लगता है। लेकिन, इतिहास को किताब में पढ़ने और परदे पर देखने में फर्क होता है। जब फिल्मकार इतिहास को फंतासी अंदाज परदे पर उतारता है तो दर्शकों का रोमांचित होना स्वाभाविक होता है। लेकिन, इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि ये ऐतिहासिक फ़िल्में सफल हो ही जाएंगी! इन ऐतिहासिक फिल्मों का इतिहास बताता है कि ये फार्मूला ही हमेशा चला! फिल्मों के साइलेंट दौर में 1924 में आई बाबूराव पेंटर ने 'सति पद्मिनी' निर्देशित की थी। चित्तौड़ की महारानी पद्मिनी की एक झलक दिल्ली का नवाब अलाउद्दीन ख़िलजी देख लेता है। पद्मिनी को पाने के लिए चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण कर देता है। अलाउद्दीन ख़िलजी चित्तौड़ के राजपूतों को हरा तो देता है, पर पद्मिनी उसे नहीं मिलती! वो अलाउद्दीन के हाथ आने से पहले ही जौहर कर लेती है।
  हिंदी फिल्मकारों ने मुग़लकाल से जुडी कहानियों पर ही ज्यादा फ़िल्में बनाई गई है। जोधा, अकबर, जहांगीर, शाहजहाँ, पसंदीदा करैक्टर साबित हुए।
जब फिल्मों को आवाज मिली तो पहली बोलती फिल्म ही 'आलमआरा' कॉस्ट्यूम ड्रामा ही थी! निर्देशक सोहराब मोदी की यह हिंदी फिल्मों के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई। बाद में सोहराब मोदी ने पुकार, सिकंदर, पृथ्वी वल्लभ और झाँसी की रानी जैसी ऐतिहासिक फ़िल्में बनाई! 'झांसी की रानी' पहली टेक्नीकलर फिल्म थी।
  देखा गया है कि इतिहास से जुडी फिल्मों में भी महिला कैरेक्टरों को ही ज्यादा पसंद किया गया है। जहांगीर और अनारकली से प्रेम कहानी पर बनी 'अनारकली' और 'मुग़ले आज़म' का आज भी उल्लेख किया जाता है। 'अनारकली' का वास्तविकता से कोई सरोकार हो न हो, लेकिन परदे पर ये काल्पनिक चरित्र अमर जरूर हो गया। 'मुग़ले आज़म' में सम्राट अकबर और जोधा के बीच जहांगीर को लेकर टकराव हुआ था। जबकि, आशुतोष  गोवारिकर की 'जोधा-अकबर' में ये नई प्रेम कहानी में बदल गया। कमाल अमरोही की फिल्म 'रजिया सुलतान' दिल्ली की शासक रज़िया की कहानी थी, जिसे गुलाम याकूत से प्रेम हो जाता है। इसी कहानी पर 60 दशक में निरुपा रॉय और कामरान लेकर फिल्म बनाई गई थी! 'ताजमहल' में मुमताज़ महल और शाहजहाँ की अमर कहानी केंद्र में थी! शाहजहाँ की बेटी 'जहाँआरा' पर भी फिल्म बन चुकी है।
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