Monday 12 June 2017

आकर कहाँ चला गया 'हीरो'


- एकता शर्मा 

   गोविंदा की एक और फिल्म डिब्बा बंद हो गई! फिल्म का नाम तो 'आ गया हीरो' था, पर ये हीरो कब आकर चला गया किसी को पता ही नहीं चला! संभवतः: हीरो बनने का उनका ये उनका आखरी प्रयोग था। बुरी तरह फ्लॉप रही इस फिल्म ने बरसों तक शिखर पर रहे एक हीरो को ख़त्म कर दिया। फ़िल्मी दुनिया ने दस सालों में अपने आपमें काफी बदलाव किया! लेकिन, गोविंदा अपनी मस्ती और भोलेपन में ही रह गए। जबकि, उनको उबारने वाले सलमान खान काफी आगे निकल गए। एक समय फिल्म के हिट होने का फार्मूला माने जाने वाले गोविंदा दस सालों से अपने स्टारडम लेकर परेशान हैं।
   गोविंदा के पास कॉमेडियन जैसी एक्टिंग के अलावा उनकी डांसिंग स्टाइल भी थी। परंतु, उन्होंने न तो रितिक रोशन बनने की कोशिश की और न शाहिद कपूर बनने की! उन्होंने अपने आपको परीक्षा देने से भी हमेशा बचाया! वे अपने पूरे दौर में सुरक्षित दायरे में बने रहे! जहां से बाहर का कुछ भी नजर नहीं आता था। आज उनके लिए वही सुरक्षित दायरा मुश्किल बन गया। अपना स्टारडम खो चुके गोविंदा को फिल्में करने की आदत 80 और 90 के दशक की लगी थी। सेट पर देरी से आना उनकी आदत में शुमार रहा। इससे फिल्मकारों में उनकी छवि नकारात्मक  पनपती गई। फिल्में मिलना बंद हो गई। क्योंकि, हमेशा हीरो बने रहने के लिए वैसी लाईफस्टाईल में भी बने रहना पड़ता है। ऐसे दौर में सलमान खान ने 'पार्टनर' में उन्हें लेकर उन पर जैसे उपकार किया था। 'पार्टनर' खूब चली पर गोविंदा इस सफलता को भुना नहीं पाए! क्योंकि, गोविंदा अपने आपको बदल नहीं पाएं। समय के अनुसार चलने की बजाए उन्होंने समय को अपने अनुरुप ढालने का प्रयत्न किया और मात खा गए।
  एक वक्त था जब अमिताभ बच्चन को पैसौं की जरुरत थी और उस समय गोविंदा के सितारे बुलंदी पर थे। गोविंदा और डेविड धवन की जोड़ी याने हिट फिल्म की ग्यारंटी। 'बड़े मियां छोटे मियां' फिल्म करने के बाद अमिताभ और गोविंदा दोनों को फायदा हुआ! पर, अमिताभ ने इस फिल्म से आगे की सौ सीढ़ियों को कैसे पार करना है, इसकी योजना बना ली थी। क्योंकि, वे आर्थिक रुप से कंगाल हो चुके थे और उन्हें अपने आपको फिर से स्थापित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा था। वही गोविंदा सफलता का स्वाद पेटभर चखने के बाद आलस्य को अपना गए और सफलता के एक शिखर पर से उन्होंने दूसरे शिखर की ओर देखने की जहमत नहीं उठाई।
   गोविंदा अब यह कह भी रहे है कि वे बॉलीवुड में किसी कैंम्प के नहीं हुए जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा! पर, प्रश्न यह उठता है कि जब सफलता के शिखर पर थे तब भविष्य के बारे में रियेलिस्टिक होकर उन्होंने क्यों नहीं सोचा? गोविंदा अमिताभ का भी उदाहरण देते है कि किस प्रकार से अमिताभ को भी किसी कैंम्प का नहीं होने के कारण आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा! लेकिन, अमिताभ ने अपने आपमें बदलाव किया और समय के अनुरुप वे सोशल मीडिया से लेकर तमाम सभी आधुनिक प्रचार माध्यमों का प्रयोग कर आगे बढ़ते गए। अमिताभ ने प्रयोग किए जबकि गोविंदा ऐसा कुछ भी नहीं कर पाएं। 'आ गया हीरो' के हश्र ने उस हीरो को भुलाने के लिए मजबूर कर दिया जिसकी पहचान ही 'हीरो नंबर-1' थी!
------------------------------------------------------------------------------

No comments:

Post a Comment