Monday 28 January 2019

देश को सलाम करती ये फिल्में!


- एकता शर्मा 

  बॉलीवुड में देश की आजादी पर कई फिल्में बनी है। जिसे काफी पसंद किया गया! आजादी के संघर्ष की इन फिल्मों में कई ऐसी फिल्में हैं, जो हमारे अंदर देशभक्ति का जज्बा जगाती हैं। कहते हैं देशभक्ति का नशा जिसके सर चढ़ जाए सारी दुनिया उसके कदमों में होती है। बॉलीवुड की देशभक्ति से भरी फ़िल्में इस नशे को और भी बढ़ा देती हैं। देशभक्ति पर बनी ये फ़िल्में जब भी परदे पर आई, दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए! कहा जाता है कि 1962 में आई फिल्म ‘हकीक़त’ में जब दर्शकों ने परदे पर भारतीय सैनिकों को युद्ध करते देखते तो खड़े होकर सैल्यूट करने लगते थे। जब सिनेमाघरों में देशभक्ति उतरती है तो दर्शकों के अन्दर भी देशभक्ति का जज्बा लहरें मारने लगता है।
  बॉलीवुड में 1952 में बनी एक ऐसी ही फिल्म बनी थी 'आनंदमठ' जिसमें राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' को भी पहली बार दिखाया गया। यह फिल्म बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास 'आनंदमठ' पर ही आधारित थी। फिल्म में भारत भूषण, गीता बाली, पृथ्वीराज कपूर, प्रदीप कुमार थे। फिल्म में देश के शूरवीरों के बलिदान को दिखाया गया है। फिल्म में 18वीं शताब्दी में अंग्रेजी हुकूमत से लड़े गए क्रांतिकारियों की कहानी थी। इसमें वंदे मातरम भी गाया गया था।  
  1965 में बनी 'शहीद' में मनोज कुमार थे। फिल्म की कहानी 1916 से शुरू होती है, जब भगतसिंह के चाचा अजितसिंह को ब्रिटिश शासन के खिलाफ बगावत करने के जुर्म में पुलिस गिरफ्तार करके ले जाती है। बड़े होकर भगतसिंह भी अपने चाचा के नक्शे कदमों पर चलने लगते हैं और साइमन कमीशन के खिलाफ हो रहे आंदोलन में शामिल हो जाते हैं। मनोज कुमार ने भगतसिंह के किरदार को परदे पर उतारा था। इस फिल्म की कहानी भगत के साथी बटुकेशवर दत्त ने लिखी थी। और यह संयोग ही था कि जिस वर्ष में फिल्म रिलीज होने वाली थी उसी वर्ष बटुकेशवर की मौत हो गई। 1962 में आई 'हकीकत' ऐसे सैनिकों की टुकड़ी के बारें में थी, जो लद्दाख में भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़ी जंग का हिस्सा है। 
   1997 में रिलीज हुई जेपी दत्ता की फिल्म 'बॉर्डर' भारत और पाकिस्तान के बीच लोंगोवाल में हुई जंग पर आधारित थी। इस फिल्म की खासियत ये थी कि इसमें जंग को सच्चाई के साथ दिखाया गया था। इसके अलावा फिल्म में जवानों की निजी जिंदगी की भी कहानियां थी। कोई जवान सरहद पर अपने परिवार को किस हालत में छोड़कर पर आता है! किसी का परिवार उसका इंतजार करता रहता है, कभी छुट्टी मिलने के बावजूद जवान  घर नहीं जा पाते! 'बॉर्डर' को देशभक्ति पर बनी एक बेहतरीन फिल्म माना जाता है। बैन किंग्सले की 'गांधी' देशभक्ति वाली फिल्म तो नहीं थी, पर इस फिल्म ने महात्मा गांधी के जीवन की सच्चाई को दर्शकों के सामने जरूर लाया था। इसमें गांधीजी से जुड़े हर पहलू को पर्दे पर दर्शाने की कोशिश की गई थी। फिल्म ने 8 ऑस्कर अवॉर्ड्स जीते थे।
  फरहान अख्तर की 2004 में आई फिल्म 'लक्ष्य' 1999 के कारगिल युद्ध के संघर्ष की ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित काल्पनिक कहानी थी। रितिक लेफ्टिनेंट करण शेरगिल की भूमिका में थे। वे अपनी टीम का नेतृत्व करके आतंकवादियों पर विजय पाते हैं। 'मंगल पांडे : द राइजिंग' क्रांतिकारी मंगल पांडे की जिंदगी पर बनी फिल्म थी, जिन्होंने 1857 में ब्रिटिश अफसरों का विद्रोह किया था। माना जाता है कि मंगल पांडे ने ही सबसे पहले अंग्रेजो के खिलाफ आजादी की जंग का आगाज किया था। 1967 में आई फिल्म मनोज कुमार की फिल्म ‘उपकार’ भी देशभक्ति से ओतप्रोत फिल्म थी। इस फिल्म को बनाने का मकसद ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे को बुलंद करना था। फिल्म की कहानी राधा (कामिनी कौशल) और उसके दो बेटों भारत (मनोज कुमार) और पूरन (प्रेम चोपड़ा) के बीच जमीन के बंटवारे पर आधारित थी। ये तो वे चंद फ़िल्में हैं, जो उँगलियों पर गिनी गईं! बीते सौ से ज्यादा सालों में हिंदी फिल्मों के परदे पर ऐसी कई फ़िल्में बनी, जिन्होंने लोगों की देशभक्ति को झकझोर दिया था। अभी भी इन फिल्मों का दौर ख़त्म नहीं हुआ, वक़्त के साथ इनकी कहानियाँ बदली हैं, पर इनकी भावनाओं में कोई फर्क नहीं आया!  
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